Solar Eclipse: ग्रस्ताग्रस्त है सूर्य ग्रहण, काशी के विद्वानों ने बताया कब करें पूजा पाठ, मंदिरों पर हो रहा मंथन
सूर्य ग्रहण का स्पर्श भारतीय समयानुसार 25 अक्तूबर को सायं काल 4.22 बजे होगा। ग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त के बाद होगा। इस आधार पर इसे ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण माना जाएगा। ऐसे में उसी दिन पूजा पाठ नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण का स्पर्श भारतीय समयानुसार 25 अक्तूबर को सायं काल 4.22 बजे होगा। ग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त के बाद होगा। इस आधार पर इसे ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण माना जाएगा। कुछ माध्यमों से ग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त से पूर्व 05.22 बजे प्रचारित कर दिए जाने के कारण इसे खंडग्रास मान लिया गया था। उसी आधार पर काशी के कई बड़े देवालयों में तैयारी कर ली गई थी किंतु देर शाम विद्वत परिषद का निर्णय आने के बाद अन्य मंदिरों ने भी पुन मंथन शुरू कर दिया है।
अन्नपूर्णा मंदिर में स्वर्ण अन्नपूर्णा मोक्ष के बाद पूजन शुरू करने की बात कही गई थी। बैठक में विद्वानों ने धर्म सिंधु, निर्णय सिंधु सहित अन्य ऐसे ग्रंथों का संदर्भ लिया। इनमें दुविधा की स्थिति में धार्मिक निर्णय लेने के विधान अंकित हैं।
सूर्य ग्रहण पर 18 घंटे बंद रहेगा बीएचयू का विश्वनाथ मंदिर
वाराणसी। कार्तिक कृष्ण अमावस्या तिथि पर 25 अक्तूबर को सूर्यग्रहण के कारण बीएचयू परिसर स्थित विश्वनाथ मंदिर 18 घंटे बंद रहेगा। मन्दिर के मानित व्यवस्थापक प्रो विनय कुमार पाण्डेय ने बताया कि सूर्यग्रहण आरंभ होने के करीब पांच घंटे पहले 25 अक्तूबर को दोपहर 12 बजे मंदिर बंद कर दिया जाएगा। इसके बाद मंदिर के पट 26 अक्तूबर को सुबह 0602 बजे खुलेगा।
12 घंटे पहले आरंभ होगा सूतक
सूर्य ग्रहण के 12 घंटे पूर्व सूतक आरंभ हो जाएगा। इसमें बालक, वृद्ध, रोगी को छोड़कर सभी को यथाशक्ति भोजन आदि का त्याग कर शास्त्रत्त्ीय नियमों का अनुसरण करना चाहिए।
परंपरानुसार बंद होंगे बाबा विश्वनाथ के कपाट
दीपावली के अगले दिन पड़ने वाला सूर्य ग्रहण खंडग्रास नहीं अपितु ग्रस्तास्त ग्रहण है। इस निर्णय की घोषणा श्रीकाशी विद्वत परिषद ने शनिवार को बैठक के बाद की। परिषद के अनुसार ग्रहण का मोक्ष सूर्यास्त (538 बजे) के 54 मिनट बाद भारतीय समयानुसार 0632 बजे होगा, इसलिए यह ग्रस्तास्त सूर्यग्रहण है। अगला सूर्योदय होने के बाद ही ग्रहण की धर्म शास्त्रीय निवृत्ति मानी जाएगी। पूजा-पाठ, राग-भोग आदि कृत्य अगले सूर्योदय (0602 बजे) के बाद ही होंगे।
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर में ग्रहण शुरू होने के एक-डेढ़ घंटे पूर्व मंदिर का कपाट बंद किया जाता रहा है। मंदिर परंपरा का अनुसरण करते हुए मंदिर प्रशासन मध्याह्न भोग-आरती के बाद कभी भी कपाट बंद कर सकता है। उल्लेखनीय है कि श्रीकाशी विश्वनाथ विशिष्ट क्षेत्र विकास परिषद ने ग्रहण के मोक्ष के संबंध में विद्वत परिषद से मार्गदर्शन मांगा था।
बैठक में रहे शामिल
परिषद के ज्योतिष प्रकोष्ठ के अध्यक्ष व बीएचयू के संस्कृतविद्या एवं धर्मविज्ञान संकाय के पूर्व प्रमुख प्रो. रामचंद्र पांडेय की अध्यक्षता में हुई बैठक में प्रो. विनय कुमार पांडेय, प्रो. चंद्रमौलि उपाध्याय, प्रो. नागेंद्र पांडेय, प्रो. रामनारायण द्विवेदी प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।