Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Signs of big change in UP BJP after election setback Bhupendra Chaudhary takes responsibility for defeat

चुनावी झटके के बाद यूपी बीजेपी के बड़े बदलाव के संकेत, भूपेंद्र चौधरी ने ली हार जिम्मेदारी

लोकसभा चुनाव में टके के बाद यूपी बीजेपी के बड़े बदलाव के संकेत है। भूपेंद्र चौधरी ने शनिवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। भूपेंद्र चौधरी ने हार की नैतिक जिम्मेदारी ली है।

Deep Pandey हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 23 June 2024 11:17 AM
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लोकसभा चुनावों में उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगे सबसे बड़े झटके के बाद प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने शनिवार को भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की है। लगभग आधे घंटे की इस मुलाकात में भूपेंद्र चौधरी ने न केवल हार की नैतिक जिम्मेदारी ली, बल्कि उन कारणों को भी सामने रखा, जिनसे सहारनपुर से लेकर सोनभद्र तक यानी लगभग पूरे प्रदेश में भाजपा का प्रदर्शन बेहद खराब रहा। हालांकि नेतृत्व तर्कों से बहुत संतुष्ट नहीं है। राज्य में जल्द संगठन स्तर पर बड़े बदलाव भी हो सकते हैं।

लोकसभा चुनावों में भाजपा के पूर्ण बहुमत से दूर रहने की सबसे बड़ी वजह उत्तर प्रदेश रहा, जहां वह पिछली बार की तुलना में 29 सीटें हार गई और मात्र 33 सीटों पर सिमट कर रह गई। जबकि समाजवादी पार्टी (सपा) ने 37 सीटें जीत ली। सूत्रों के अनुसार, भाजपा नेतृत्व प्रदेश संगठन को लेकर काफी नाराज है। क्योंकि, वह न तो स्थिति का सही आकलन कर सका, न ही वह कार्यकर्ताओं को पूरी तरह मैदान में उतार सका। इसके अलावा, चुनावों के दौरान भी भाजपा नेताओं के झगड़े बने रहे। केंद्रीय नेतृत्व को यह बात भी अखरी है, जिसमें प्रदेश के नेता राज्य से सबसे ज्यादा सीटें जीतने का दंभ भर रहे थे।

शनिवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी ने भाजपा मुख्यालय में राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से पार्टी मुख्यालय में मुलाकात की। इस दौरान चौधरी ने हार की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए विभिन्न कारण भी बताए। सूत्रों के अनुसार, उन्होंने नड्डा को बताया कि सभी लोकसभा क्षेत्रों में लगभग 40 हजार स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं से चर्चा कर फीडबैक ले चुके हैं। इसमें अयोध्या पर हार की चर्चा और वाराणसी में प्रधानमंत्री की जीत का अंतर कम होना भी शामिल है। जो कारण बताए गए हैं उनमें अंतिम मतदाता सूची में कई बूथों पर 25 से 30 मतदाताओं के नाम कम होना। इसके अलावा, संविधान बदलने और आरक्षण खत्म होने का भ्रम, अधिकारियों की मनमानी जैसे मुद्दे शामिल रहे। 
सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय नेतृत्व इन तर्कों से संतुष्ट नहीं है। उसने 25 जून तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। भाजपा नेतृत्व अगले सप्ताह के आखिर में केंद्रीय पदाधिकारियों की बैठक भी कर सकता है, जिसमें लोकसभा चुनावों की विस्तृत समीक्षा की जा सकती है। 
 
पशुपति पारस भी नड्डा से मिले
भाजपा अध्यक्ष से लोक जनशक्ति पार्टी के नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति नाथ पारस ने भी मुलाकात की है। यह मुलाकात हाल में पारस के उस बयान के संदर्भ में महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने अपनी एनडीए की स्थिति के बारे में सवाल उठाया था। इसके अलावा, दिल्ली भाजपा के नेता अमरिंदर सिंह लवली ने भी नड्डा से मुलाकात की है।
 

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