Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Search operation went on for 80 hours at house Agra shoe businessman how much cash did Income Tax Department get

500-500 के नोटों का बिस्तर, रुपये गिनते-गिनते थक गईं मशीनें, 80 घंटे चले सर्च ऑपरेशन में कितना मिला कैश?

आगरा के तीन जूता व्यापारियों के घर आयकर ने छापा मारा। तीनों के यहां करीब 80 घंटे तक सर्च ऑपरेशन चला। सर्च ऑपरेशन के दौरान तीनों कारोबारियों के घर से नोटों की गड्डियां मिली।

Dinesh Rathour वरिष्ठ संवाददाता, आगराTue, 21 May 2024 10:39 PM
share Share

आगरा के तीन फुटवियर कारोबारियों पर चल रही आयकर सर्च का समापन मंगलवार रात नौ बजे हो गया। बीके शूज कंपनी, मंशु फुटवियर कंपनी एवं हरमिलाप ट्रेडर्स पर लगभग 80 घंटे तक चली इस सर्च में विभाग ने 57 करोड़ रुपये की नगदी जब्त की। इसको बैंक में जमा करा दिया गया है। लगभग एक करोड़ रुपये के जेवर मिले हैं। कुछ निवेश प्रॉपर्टी में भी हैं। बड़ी रकम हवाला की गई है। लगभग 30 करोड़ रुपये की पर्चियां मिली हैं। इनका कनेक्शन भी इंवेस्टीगेशन टीम द्वारा जांचा जाएगा। पूरी प्रक्रिया में विभाग के 80 से भी अधिक अधिकारी एवं निरीक्षक शामिल रहे। वहीं 50 पुलिस कर्मियों ने इस कार्रवाई में सहयोग किया। आयकर विभाग की इंवेस्टीगेशन शाखा की यह कार्रवाई संयुक्त निदेश जांच के निर्देशन में की गई। इसमें उप निदेशक जांच एवं अन्य अधिकारी शामिल रहे। पहले दिन जब आयकर की टीम ने छापेमारी की थी तो कमरे में नोटों का बस्तर मिला था। कमरे में 500-500 की गड्डियां भरी थीं। नोट इतने थे कि रुपये गिनते-गिनते मशीनें तक थक गई थीं। 

सर्च में पकड़ी गई भारी भरकम नगदी ने आयकर विभाग के अधिकारियों की जमकर मशक्कत कराई। सोमवार सुबह 11 बजे से बैंक में इस नगदी को फिर से गिनने की प्रक्रिया शुरू की गई। लगभग 17 घंटे में इस प्रक्रिया को पूरा किया जा सका। इस दौरान प्रत्येक नोट को जांचते हुए भारतीय स्टेट बैंक की चेस्ट में जमा कराया गया। इससे पहले विभागीय टीम ने जांच परिसरों में नगदी गिनने के लिए विभिन्न बैंकों से स्टाफ बुलाए। उनके लिए नगदी गिनने की मशीन लगवाई गई। यहां भी इस प्रक्रिया को डेढ़ दिन से अधिक का समय लग गया। सबसे अधिक नगदी हरमिलाप ट्रेडर्स के संचालकों के निवास पर मिली। यहां विभाग को 53 करोड़ रुपये के करीब मिले। नोट अटैचियों और बैगों के साथ पलंग में भी रखे मिले। शेष राशि बीके शूज कंपनी एवं मंशु फुटवियर कंपनी के स्थलों पर मिली। 

बोगस खर्च क्लेम मिले 

आयकर सर्च के दौरान टीमों को बड़े पैमाने पर बोगस खर्च क्लेम की जानकारी मिली है। सूत्रों के अनुसार आमदनी को कम करके दिखाने के लिए ऐसी मदों में खर्च क्लेम किया गया, जिसकी अनुमति आयकर अधिनियम नहीं देता। रोजमर्रा के खर्च, वेतन सहित अनेक मदों में जो राशि क्लेम की गई, उनको बोगस माना जाता है। विभाग के समक्ष जमा होने वाले रिटर्न में इन कारोबारियों के द्वारा जो आमदनी दिखाई गई, उसको लेकर भी विभागीय टीम को आपत्ति है। रिटर्न में कुछ इस तरह समायोजित किया गया कि टैक्स की राशि वास्तविक से काफी कम बनी। अब विभागीय टीम इन कारोबारियों के साक्ष्य से मिलान करके वास्तविक आय की गणना करेगी। यह भी संभव है कि इनके पिछले रिटर्न में अतिरिक्त राशि को आय में जोड़ दिया जाए। इस पर अतिरिक्त टैक्स देय होगा। 

खरीद भी बोगस निकली

विभागीय टीम की निगाह में खरीद को लेकर भी कई सवाल उठे। इसके लिए भी पूछताछ की गई। सूत्रों ने बताया कि जो माल अपंजीकृत से खरीदा जाता था, उस पर टैक्स दिया ही नहीं गया। उस खरीद को कच्चे पर्चों तक ही सीमित रखा गया। चर्चा है कि फुटवियर पर टैक्स की दर 12 फीसदी किए जाने के बाद से खरीद में यह खेल शुरू हो गया। बड़े पैमाने पर बिक्री भी कच्चे पर्चों से की गई। खरीद के आधार पर ही विभागीय टीम यह जांचने का प्रयास करेगी कि कितनी खरीद और बिक्री को लेखा पुस्तकों से दूर रखा गया। यह भी पता करने का प्रयास किया जाएगा कि इस माल को किन खरीदारों तक भेजा गया। यह कनेक्शन मिलने पर जांच का दायरा और भी बढ़ सकता है। ऐसे तमाम कारोबारी जो इन इकाइयों से संव्यवहार करते हैं, उनके रिटर्न भी विभाग द्वारा खंगाले जा सकते हैं। 

पर्चियों की होगी जांच

सर्च के दौरान मिली पर्चियों को जारी करने वाले कारोबारियों की जांच की जाएगी। विभाग को अंदेशा है कि जिन कारोबारियों ने इन पर्चियों को जारी किया है, उन्होंने पूरी सप्लाई को अपनी लेखा पुस्तकों में शामिल नहीं किया है। ऐसे सभी कारोबारियों के लिए जीएसटी विभाग से डाटा शेयरिंग की जाएगी। संबंधित अवधि के रिटर्न को इन पर्चियों से मिलाया जाएगा। यदि खरीद को दर्ज नहीं पाया गया तो संबंधित कारोबारी की कुंडली को खोल दिया जाएगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि इन पर्चियों से बोगस खरीद के राज मिलेंगे। विशेष रूप से अपंजीकृत आपूर्ति कर्ताओं से खरीद का पूरा ब्योरा मिल सकेगा। विभाग के राडार पर ऐसे कारोबारी आने का अनुमान है जो अभी तक छिप कर कारोबार कर रहे थे और जिनके द्वारा बहुत कम राशि का आयकर रिटर्न विभाग के समक्ष रखा जा रहा था। 

बिगड़ सकता है भुगतान का फेर

बाजार के जानकार इस सर्च के बाद के हालातों को लेकर आशंकित हैं। दबी जबान से कह रहे हैं कि यह सर्च आने वाले दिनों में अपना असर दिखाएगी। सबसे बड़ी दिक्कत भुगतान के फेर से जुड़ी है। यदि कारोबारियों ने परचे जारी करने से हाथ खींचे तो वे उतना ही माल खरीद पाएंगे जितनी पूंजी तुरंत उपलब्ध होगी। वहीं दूसरी ओर एमएसएमई एक्ट से संबंधित आयकर की धारा 43 बीएच को लेकर भी यह उद्योग परेशान है। इस धारा के तहत भुगतान समय से करने की अनिवार्यता है। ऐसे हालातों में खरीद के सापेक्ष बैंकर्स चेक जारी करना संभव नहीं होगा। क्योंकि इनको जारी करने के बाद एमएसएमई एक्ट के तहत कार्य होगा। यह जूता कारोबारियों के लिए संकट पैदा करेगा। उनको पन्द्रह से 45 दिन में हर खरीद का भुगतान एमएसएमई को नियमित रूप से करना ही होगा। 

हवाला कनेक्शन की जांच

सर्च के बाद जूता कारोबार के हवाला कनेक्शन की भी पड़ताल होगी। ऐसे कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक जानकारी मिली है जिससे यह साबित हो रहा है कि इन तीनों कारोबारियों ने समय समय पर बड़ी राशियो को देश के दूसरे केंद्रों से मंगाया है। स्थानीय स्तर पर भी बड़ी मात्रा में नगदी का लेन देन किया गया। मोबाइल फोन में हवाला ट्रांजेक्शन में प्रयोग होने वाले प्रचलित प्रतीक आदि भी इस सर्च के दौरान मिले। टीम इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रही हैं कि जूता कारोबार में किन सेक्टरों से धन आ रहा है। इन तीनों कारोबारियों से मिली नगदी क्या इनकी अपनी है या फिर इनको किसी अन्य व्यक्ति ने पर्चियां खरीदने के लिए दिया है। ऐसे तमाम सवालों के जवाब खोजने के लिए आयकर की इंवेस्टीगेशन शाखा फिर से दिन रात एक करने की तैयारी कर रही है।  

अगला लेखऐप पर पढ़ें