Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Scam of crores in the name of admission in Ayurveda and Unani colleges STF Started investigation in Lucknow

आयुर्वेद और यूनानी कॉलेजों में एडमिशन के नाम पर करोड़ों का घोटाला, एसटीएफ की जांच से हड़कंप

उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद और यूनानी कॉलेजों में प्रवेश में बड़े घोटाले का खुलासा का खुलासा हुआ है। इस मामले में एसटीएफ ने जांच शुरू कर दी है। माना जा रहा है कई रसूखदार इस मामले में फसेंगे।

Atul Gupta संवाददाता, लखनऊMon, 7 Nov 2022 09:11 PM
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उत्तर प्रदेश में आयुर्वेद और यूनानी कॉलेजों में प्रवेश में बड़े घोटाले का खुलासा होने से हड़कंप की स्थिति है। इस मामले की जांच एसटीएफ ने शुरू कर दी है। यदि विभागीय अधिकारियों और रसूखदारों से जुड़े कॉलेजों और काउंसलिंग का ठेका लेने वाली एजेंसियों की ठीक ढंग से जांच हो तो प्रदेश में बड़े रैकेट का भंडाफोड़ हो सकता है। काउंसलिंग में सबसे पहले इसी कॉकस से जुड़े कॉलेजों को भरा जाता है। 

दरअसल, आयुष विभाग में एडमिशन माफिया का एक बड़ा कॉकस सक्रिय है। इस कॉकस में एजेंटों से लेकर कॉलेज संचालक, निदेशालय और शासन के कुछ अधिकारी और कर्मचारी व नोडल एजेंसी के लोग शामिल हैं। यही कारण है कि रिकार्ड के साथ छेड़छाड़ आसानी से कर के बड़े पैमाने पर नियम विरुद्ध दाखिले विभिन्न आयुर्वेद और यूनानी कॉलेजों में करा दिए गए। होम्योपैथी कॉलेजों में भी गड़बड़ी से इंकार नहीं किया जा सकता। इस साल का खेल खुल गया है, मगर गड़बड़ी का यह सिलसिला काफी समय से चल रहा है। इस रैकेट में आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी के साथ ही फार्मेसी, बीफार्मा और डीफार्मा कोर्स चलाने वाले भी शामिल हैं।

छात्रों को फंसाने को बिछा रखा है एजेंटों का जाल

काउंसलिंग के दौरान कॉकस में शामिल कॉलेजों को ही वरीयता दी जाती है। वहां की सीटें पहले भरवा दी जाती हैं। प्रवेश लेने वालों को फंसा कर लाने के लिए एजेंटों का जाल बिछा रखा है। ठेके पर काउंसलिंग कराने वाली एजेंसी की मदद से सीटें बेच दी जाती हैं। जो कॉलेज इस रैकेट का हिस्सा नहीं हैं, उनके यहां सीटें खाली रह जाती हैं।

जांच में और बढ़ सकता है फर्जीवाड़े का दायरा

आयुष विभाग में ठेके पर काउंसलिंग कराए जाने में बड़े खेल का खुलासा हुआ है। अभी तक 891 ऐसे संदिग्ध केस सामने आ चुके हैं, जिसमें बिना नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट) दिए ही बीएएमएस, बीयूएमएस में प्रवेश दे दिए गए। बीएचएमएस में भी ऐसे फर्जी मामले होने से इंकार नहीं किया जा सकता क्योंकि आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथी की काउंसलिंग कराने का जिम्मा एक ही नोडल एजेंसी के पास था। लखनऊ में राजकीय आयुर्वेद कॉलेज में छह छात्रों को भेद खुलने पर निष्कासित भी किया जा चुका है। पूरे प्रदेश में जांच होने पर फर्जीवाड़े वाली सीटों की संख्या और भी बढ़ सकती है।

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