22 जुलाई से शुरू सावन, पांचों सोमवार को अलग रूप में होंगे बाबा विश्वनाथ, ऐसा होगा श्रृंगार
22 जुलाई से सावन का पावन महीना शुरू हो रहा है। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ेंगे जिसमें भगवान शिव का जलाभिषेक होगा। काशी विश्वनाथ धाम में बाबा पांचों सोमवार को अलग रूप में दर्शन देंगे।
सावन माह के सभी सोमवार को वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम में बाबा अलग-अलग रूपों में दर्शन देंगे। इस बार सावन में पांच सोमवार पड़ रहे है। हर सोमवार को बाबा के अलग-अलग स्वरूपों का श्रृंगार किया जाएगा। पहले सोमवार को बाबा की चल प्रतिमा का श्रृंगार दर्शन होगा जबकि समापन पर अपने परिवार माता पार्वती, कार्तिकेय और गणेश जी के साथ दर्शन देंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्वभूषण मिश्र ने बताया कि महादेव का अति प्रिय सावन 22 जुलाई से प्रारंभ होकर 19 अगस्त तक चलेगा। इस बार सावन सोमवार से शुरू होकर सोमवार को ही समाप्त हो रहा है। भक्तों के सुमग दर्शन व सुरक्षा के विशेष प्रबंध किए गए हैं।
सोमवार और श्रृंगार का रूप
- 22 जुलाई- पहला सोमवार: बाबा की चल प्रतिमा का श्रृंगार
- 29 जुलाई- दूसरा सोमवार: गौरी शंकर शृंगार
- 05 अगस्त- तीसरा सोमवार: अर्द्धनारीश्वर श्रृंगार
- 12 अगस्त- चौथा सोमवार: रुद्राक्ष शृंगार
- 19 अगस्त- पांचवां सोमवार: शिव परिवार और श्रावण पूर्णिमा वार्षिक झूला शृंगार
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महादेव आज लेंगे लोक प्रतिपालक का प्रभार
हिंदू मान्यता अनुसार आषाढ़ शुक्ल एकादशी, 17 जुलाई को ब्रह्मांड में एक अनूठा घटनाक्रम होगा। देवाधिदेव महादेव योग निद्रा में जा रहे 'विश्वाकारं' श्रीविष्णु से लोक प्रतिपालक, सृष्टि संचालक का अतिरिक्त कार्यभार लेंगे। 'संहारक' की जिम्मेदारी तो उनके पास रहेगी ही। वह कार्तिक शुक्ल एकादशी (देवोत्थान) को उसी सहजता और विनम्रता के साथ श्रीविष्णु को उनका पदभार लौटा भी देंगे।
चातुर्मास से जुड़ा यह पौराणिक प्रसंग पूरी दुनिया में अनूठा है। इस अवधि में ऋतुकाल के अनुसार आहार-विहार संयम और जीवन को अनुशासित, निरोगी बनाने के विधान ही नहीं हैं बल्कि उसमें एक दर्शन भी निहित है। सुप्रसिद्ध ज्योतिर्विद डॉ. कामेश्वर उपाध्याय कहते हैं कि भारतीय दर्शन के अलावा कहीं भी दो सर्वशक्तिमानों के बीच दायित्वों की सहज अदला-बदली का ऐसा उदाहरण नहीं मिलता। लोकाचार, व्यवस्था नियमन का यह अनुपम दृष्टांत आज के दौर में अधिक प्रासंगिक है।
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