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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय की जमीन का पेंच फंसा, पिता ने बेची जमीन; बेटे ने चढ़वाया अपना नाम

संपूर्णानंद संस्‍कृत विश्‍वविद्यालय परिसर की करीब 2 हेक्‍टेअर जमीन पर नाम चढ़वाने को लेकर पेंच फंस गया है। जमीन को राजा यादवेंद्र दत्त दुबे ने 1955 में बेचा था। अब इस पर उनके बेटे का नाम चढ़ गया है।

Ajay Singh वरिष्‍ठ संवाददाता, वाराणसीWed, 4 May 2022 07:01 AM
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संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित लगभग दो हेक्टेयर जमीन पर नाम चढ़वाने में नया पेच फंस गया है। सन-1955 में विवि को भूखंड बेचने वाले राजा यादवेंद्र दत्त दुबे के पुत्र अवनींद्र दत्त दुबे का इस जमीन पर नाम दर्ज हो गया है।

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि इस संबंध में राजभवन व मुख्यमंत्री कार्यालय को पत्र लिखा जाएगा। साथ ही, राजस्व विभाग के कर्मचारियों और नाम चढ़वाने वाले व्यक्ति पर केस भी दर्ज कराया जाएगा। विवि के उत्तरी छोर पर दो हेक्टेयर भूमि है। कुछ ही दूरी पर पंचमंदिर भी है जिसका जीर्णोद्धार एनआरआई इंजीनियर रमन त्रिपाठी के सहयोग से हो रहा है। विवि के संपत्ति अधिकारी डॉ. विमल कुमार त्रिपाठी ने बताया कि 21 फरवरी 1955 को जौनपुर के तत्कालीन राजा यादवेंद्र दत्त दुबे ने उत्तरी छोर पर 2.5010 हेक्टेयर भूमि 3 लाख 50 हजार 708 रुपये में बेची थी जबकि पंचमंदिर की 0.2710 हेक्टेयर भूमि दान में दी थी। विश्वविद्यालय के पहले कुलपति और उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव डॉ. आदित्यनाथ झा की देखरेख में यह कार्यवाही पूरी की गई थी। इसके बाद से अभिलेखों में विश्वविद्यालय का नाम दर्ज नहीं हुआ था।

अभिलेख की छानबीन में खुलासा
मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्र के निर्देश के बाद तीन दिन पहले कुलपति ने इस भूमि पर विश्वविद्यालय का नाम चढ़वाने के लिए एक समिति गठित की। समिति ने भूमि के अभिलेख निकलवाए तो पता चला कि अगस्त-2019 में राजा यादवेंद्र दत्त दुबे के पुत्र अवनींद्र दत्त दुबे ने भूमि और मंदिर पर अपना नाम चढ़वा लिया है।

उपकेंद्र को मांगी थी भूमि
बिजली विभाग ने नया उपकेन्द्र बनाने के लिए संस्कृत विवि से पहले यह जमीन मांगी थी। कार्य परिषद ने मना कर दिया था। साथ ही अभिलेखों में नाम दर्ज कराने की कवायद शुरू हुई। विवि ने इस जमीन पर शिक्षाशास्त्रत्त् भवन, गेस्ट हाउस और ऑडिटोरियम बनाने के लिए 127 करोड़ रुपये का प्रस्ताव शासन को भेजा है।

सीएम पोर्टल पर दर्ज कराई शिकायत
जौनपुर जिले के मछरहट्टा रासमंडल निवासी राजा अवनीन्द्र दत्त दुबे ने कहा कि मेरे दादा राजा श्रीकृष्ण दत्त दुबे के नाम से जैतपुरा परगना अमानत तहसील सदर में 2.7720 हेक्टेयर जमीन थी। खसरे में उनका नाम राजा श्रीकृष्ण दत्त दुबे के स्थान पर राम किशुन दत्त दर्ज था। दादा के बाद पिता के नाम से वरासत हुई। उन्होंने संस्कृत विवि को जमीन दी थी तो आज तक नाम क्यों नहीं चढ़ा। मैंने 30 अप्रैल 2022 को मुख्यमंत्री के पोर्टल पर एण्टी भूमाफिया की शिकायत दर्ज करायी है।

कार्रवाई शुरू : वीसी

कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने कहा कि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में संस्कृत संवर्धन में लगे विवि को लेकर केंद्र व राज्य सरकारें गंभीर हैं। विश्वविद्यालय के साथ इस फर्जीवाड़े में शामिल राजस्व विभाग के सभी स्तर के लोगों तथा अवनींद्र दत्त दुबे पर मुकदमा दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू कर दी गई है।

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