कोरोना वैक्सीन के असर को लेकर रिसर्च विवादों में घिरी, AIIMS बोला- मानकों पर खरी नहीं
कोरोना टीकाकरण के प्रभाव को लेकर रिसर्च विवादों के घेरे में आ गई है। एम्स गोरखपुर ने साफ कर दिया कि फिजियोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चारुशीला रूकादिकर का शोध मानकों पर खरा नहीं है।
Corona vaccine research: अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में महिलाओं के मासिक चक्र पर कोरोना टीकाकरण के प्रभाव को लेकर रिसर्च विवादों के घेरे में आ गई है। एम्स ने साफ कर दिया कि फिजियोलॉजी विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. चारुशीला रूकादिकर का शोध मानकों पर खरा नहीं है। इस रिसर्च से एम्स प्रशासन ने खुद को अलग कर लिया है।
एम्स प्रशासन ने इसको लेकर गुरुवार को बकायदा प्रेस विज्ञप्ति भी जारी की। प्रेस विज्ञप्ति में एम्स प्रशासन ने रिसर्च पर सवाल उठाए हैं। कार्यकारी निदेशक डॉ. गोपाल कृष्ण पाल ने कहा कि इंटरनेशनल जनरल करंट ड्रग रिसर्च में यह शोध प्रकाशित हुआ है। यह अवलोकात्मक सर्वेक्षण था। इसे रिसर्च का नाम नहीं देना चाहिए था।
कार्यकारी निदेशक ने कहा कि मासिक चक्र में कई वजह से अनियमितता हो सकती है। कोविड संक्रमण के दौरान तनाव, जीवन शैली में बदलाव का तनाव, वित्तीय आय में कमी का तनाव, संक्रमण के प्रभाव का तनाव, परिवार सदस्यों के संक्रमित होने का तनाव, करीबी लोगों की मौत या उनके खोने के डर के तनाव से भी मासिक चक्र अनियमित हो सकता है। इन प्रभावों को सांख्यिकी रूप से अलग नहीं किया गया। इस सर्वेक्षण में 5709 प्रतिभागियों में से सिर्फ 333 प्रतिभागियों में मासिक धर्म संबंधी अनियमितताएं सामने आई थीं। इसमें कोई कंट्रोल ग्रुप नहीं था। जिससे तय किया जा सके कि टीकाकरण का मासिक चक्र पर कोई असर हुआ या नहीं।
विश्व के कई प्रतिष्ठित जनरल में प्रकाशित हुआ है कि 15 फीसदी तक महिलाओं में मासिक चक्र में अनियमितता मिलती है। ऐसे में 5.8 फीसदी महिलाओं में मासिक चक्र की अनियमितता पर शोध अवैज्ञानिक है। यह सर्वे टीकाकरण के डेढ़ साल बाद किया गया। ऐसे में अनियमितता का दावा वैज्ञानिक रूप से अनुचित व अर्थहीन है।