फ्लैट देने में देरी और लेटलतीफी पर GDA को रेरा से झटका, सूद समेत लौटानी होगी रकम
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की लोहिया एन्क्लेव योजना में विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है। रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने आवंटियों द्वारा दाखिल वाद पर जीडीए के खिलाफ सख्त निर्णय दिया...
गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) की लोहिया एन्क्लेव योजना में विवाद खत्म होता नहीं दिख रहा है। रियल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) ने आवंटियों द्वारा दाखिल वाद पर जीडीए के खिलाफ सख्त निर्णय दिया है।
रेरा ने आदेश दिया है कि लोहिया एन्क्लेव में समय से फ्लैट नहीं मुहैया कराने पर प्राधिकरण ब्याज समेत रकम आवंटियों को वापस करें। प्राधिकरण इस निर्णय के खिलाफ अपील करेगा। यदि जीडीए को राहत नहीं मिला तो उसे एक-एक आवंटी को 5 से 7 लाख रुपये तक वापस करना होगा।
लोहिया एन्क्लेव आवासीय योजना 2015 में शुरू हुई थी। तब दावा किया गया था कि आवंटियों को 2017 में कब्जा दे दिया जाएगा। लेकिन आवंटियों को कब्जा देने की कार्रवाई अप्रैल 2021 से शुरू हुई। ऐसे में योजना के 11 आवंटियों ने रेरा में वाद दाखिल कर दिया था। जिसे देखते हुए रेरा ने आवंटियों की दलील को सही मानते हुए प्राधिकरण को ब्याज समेत रकम वापस करने का आदेश दिया है। रेरा में वाद दाखिल करने वाले अरूण कुमार पांडेय का कहना है कि आवंटियों ने बैंक से कर्ज लेकर फ्लैट लिया था। समय से फ्लैट का कब्जा नहीं मिलने पर उन्हें किराये के मकान में रहना पड़ा। ऐसे में उन्हें दोहरा चोट लगी है।
विवादों में योजना, सभी हैं नुकसान में
लोहिया एन्क्लेव आवासीय योजना विवादों में रही है। लोहिया एन्क्लेव के 492 फ्लैट में से 435 आवंटित किए जा चुके हैं। 2015 में जब परियोजना शुरू हुई थी तो इसकी कीमत 28.59 लाख रुपये थी। बाद में कुछ खाली बचे फ्लैट 33 और 38 लाख रुपये में भी बेचे गए। प्राधिकरण को अप्रैल 2017 में सभी आवंटियों को कब्जा देना था, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है। इसी बीच आवंटियों ने घटिया निर्माण को लेकर शिकायत की। जिसे लेकर कमिश्नर ने जांच कमेटी बनाई। इसी दौरान जीडीए द्वारा अधिक रकम लेने का मामला भी उछला। जिसके बाद 293 आवंटियों को ब्याज के 5.86 करोड़ रुपये लौटाने की मंजूरी बोर्ड बैठक में हुई। आवंटन के समय जीडीए ने फ्लैट की कीमत में निर्माण पूरा होने के लिए तय दो साल के ब्याज की रकम भी जोड़कर ले ली थी, जबकि कई आवंटियों ने फ्लैट की एकमुश्त रकम जमा की थी।
जीडीए को दो साल की मिली है राहत
रेरा ने अपने आदेश में जीडीए को थोड़ी राहत भी दी है। आवंटियों को योजना में फ्लैट पर कब्जा 2017 में ही मिल जाना चाहिए था। लेकिन पहला कब्ज्रा अपैल 2021 में दिया गया। प्राधिकरण की तरफ से रेरा में दलील दी गई थी कि एनजीटी के आदेश और कोरोना संकट के चलते योजना में देरी हुई है। ऐसे में जुर्माना का आदेश ठीक नहीं है। रेरा ने जीडीए की दलील को सही मानते हुए चार साल की हुई देरी में दो साल की राहत दे दी है। कोर्ट ने डेढ़ साल एनजीटी को लेकर छह महीने कोरोना के लेकर छूट दी है। हालांकि जीडीए अभी इस निर्णय को स्वीकारने को तैयार नहीं है। वह एक बाद फिर रेरा में अपील करेगा।
लोहिया एन्क्लेव योजना में अन्य आवंटियों को भी मिल सकती है राहत
रेरा ने ब्याज समेत रकम वापस करने का आदेश 11 आवंटियों के वाद पर किया है। लेकिन माना जा रहा है कि यदि अन्य आवंटी भी इसी दलील के साथ रेरा में वाद दाखिल करते हैं तो उन्हें भी निर्णय का लाभ मिलेगा। ऐसे में प्राधिकरण को तगड़ा झटका लगेगा।
योजना में लेटलतीफी की जायज वजहों को एक बार फिर रेरा के समक्ष रखा जाएगा। कोरोना से लेकर एनजीटी के आदेश के चलते योजना में देरी हुई है। अपील में रेरा की तरफ से जो आदेश होगा उसका अनुपालन किया जाएगा।
प्रेम रंजन सिंह, उपाध्यक्ष, जीडीए