लखनऊ पीजीआई ट्रामा सेंटर में खुलेगा रिहैबिलिटेशन सेंटर, आसानी से होगा इलाज
लखनऊ पीजीआई के ट्रामा सेंटर में रिहैबिलिटेशन सेंटर खुलेगा। रीढ़ की चोट लगने व ब्रेन स्ट्रोक के बाद हाथ, पैर व दूसरे अंग बेजान व कमजोर होने का इलाज फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन से होगा।
लखनऊ पीजीआई के ट्रामा सेंटर में हादसे में सिर और रीढ़ की चोट लगने व ब्रेन स्ट्रोक के बाद हाथ, पैर व दूसरे अंग बेजान व कमजोर होने का इलाज फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) से होगा। इन मरीजों के बेजान अंगों में डॉक्टर कुछ खास तरह के अभ्यास और कसरत से जान डालेंगे। पीजीआई के ट्रामा सेंटर में रिहैबिलिटेशन सेंटर विकासित किया जाएगा। यहां ट्रामा के अलावा मुख्य संस्थान और बाहर के मरीजों का उपचार किया जाएगा। एक साल में सेंटर को विकसित कर उपचार शुरू कर दिया जाएगा।
एपेक्स ट्रामा सेंटर के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक या स्पाइन इंजरी के इलाज के बाद फिजिकल इलाज जल्द शुरू होने से सफलता दर काफी बढ़ जाती है। हालांकि अधिकांश मरीज छह माह बाद आते है। जिनमें सफलता की गुजांइश काफी कम होती है। इन मरीजों में दवा के अलावा ऑपरेशन, स्पेलिंग, ऑक्युपेशनल व वोकेशनल थेरेपी काफी कारगर है। एपेक्स ट्रामा सेंटर में संचालित रिहैबिलिटेशन विभाग के डॉ. सिद्धार्थ राय के निर्देशन में ट्रामा मरीजों का उपचार किया जा रहा है। हालांकि सेंटर शुरू होने से डॉक्टर और सुविधाएं बढ़ायी जाएंगी।
हर ट्रामा सेंटर में विभाग शुरू करने की जरूरत
डॉ. राजेश हर्षवर्धन ने बताया कि ट्रामा में फिजिकल मेडिसिन विभाग प्रदेश के किसी भी ट्रामा सेंटर का पहला विभाग है। उन्होंने बताया कि हर ट्रामा सेंटर में इस विभाग की जरूरत है। फिजिकल इलाज से हाथ, पैर व अन्य किसी भी अंग में आयी कमजोरी को दूर किया जा सकता है।
क्या होता है रिहैबिलिटेशन
रिहैबिलिटेशन (पुनर्वास) के जरिए मरीज को फिर से पुरानी अवस्था में लाने का प्रयास किया जाता है। मरीज के कमजोर व बेजान हो चुके अंगों को दोबारा से सक्रिय करने का प्रशिक्षण दिया जाता है। कुछ खास अभ्यास व कसरत करायी जाती है। कुछ दवाएं भी दी जाती हैं। मरीज को शारीरिक एवं मानसिक रूप से मजबूत बनाया जाता है।