पीसा की मीनार से भी ज्यादा झुका हुआ है वाराणसी का यह मंदिर, बारिश के मौसम में यहां नहीं होती पूजा
वाराणसी का रत्नेश्वर महादेव मंदिर बेहद खास है। यह मंदिर पीसा की मीनार से अधिक झुका हुआ है। इसके अलावा यह 6 महीने पानी में ही डूबा रहता है।
यूपी के लगभग सभी जिलों में टूरिस्ट प्लेस की भरमार है। इनमें से कही का ऐतिहासिक तो कही का धार्मिक स्थल प्रसिद्ध है। इसी क्रम में वाराणसी भी आता है। महादेव की यह नगरी अपनी सभ्यता, संस्कृति के साथ-साथ अपने मशहूर किस्सों के लिए जानी जाती है। काशी की बोली से लेकर गाली तक यहां सब फेमस है। अगर यहां के फेमस मंदिरों की तो काशी विश्वनाथ मंदिर, दुर्गाकुंड और संकट हनुमान मंदिर का नाम सबसे पहले नंबर पर आता है। लेकिन इसी कड़ी में महाश्मशान पर स्थित भगवान शिव का एक और पुराना मंदिर है जिसे रत्नेश्वर महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है।
वाराणसी के मणिकर्णिका घाट के पास स्थित यह रत्नेश्वर महादेव मंदिर बेहद खास है। इस मंदिर का शिल्प और बनावट सैलानियों को बेहद आकर्षित करता है।दरअसल यह मंदिर 9 डिग्री यानी पीसा के लीनिंग टॉवर से अधिक झुका हुआ है। पुरातत्व विभाग इस मंदिर की वास्तुकला और एक तरफ झुके होने के कारण इसे पीसा के मीनार से अधिक महत्व देता है। घाट के किनारे होने के कारण यह मंदिर छह महीने पानी में डूबा रहता है। खासकर तीन महीने तो केवल मंदिर का शिखर ही नजर आता है। हालांकि कुछ साल पहले भूंकप गिरने के बाद भी यह ज्यादा क्षतिग्रस्त नहीं हुआ।
मंदिर को लेकर प्रचलित है मान्यता
रत्नेश्वर महादेव मंदिर को लेकर ऐसी मान्यता है कि जिस समय रानी अहिल्याबाई होल्कर वाराणसी में मंदिरों का निर्माण करा रही थीं। उस समय उनकी दासी रत्नबाई ने भी मणिकर्णिका घाट के पास शिव मंदिर बनवाने की बात कही। इसके लिए उसने रानी अहिल्याबाई होल्कर से रुपये भी उधार लिए और इसका निर्माण कराया। बाद में इस मंदिर का वैभव देख रानी खुश हुईं लेकिन उन्होंने दासी से कहा कि वह मंदिर को अपना नाम न दें लेकिन इसके बावजूद दानी ने अपने नाम पर ही मंदिर का रत्नेश्वर महादेव नाम रख दिया। ऐसा कहा जाता है कि इस बात से नाराज होकर अहिल्याबाई ने श्राप दे दिया कि यहां बहुत ही कम लोग पूजा-अर्चना करने आएंगे।
इनक्रेडिबल इंडिया ने जारी किया पोस्टर
साल 2020 में इनक्रेडिबल इंडिया ने एक्स (ट्वीटर) पर रत्नेश्वर महादेव मंदिर की तस्वीर जारी कर इसका बखान भी किया था। साथ ही लिखा था- वाराणसी के सबसे चमत्कारी मंदिरों में से ये एक है। यह अनेकों रहस्यों को समेटे हुए हुए है।