स्वास्थ विभाग में सुधार के लिए जारी होगी रेटिंग, हर साल नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों का होगा मूल्यांकन
राज्य सरकार की योजना मिशन निरामयाः के तहत हर साल नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों का वार्षिक मूल्यांकन किए जाने का फैसला लिया गया है। वार्षिक मूल्यांकन का कार्य स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा किया जाएगा।
उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग बेहतर बनाने और अधिक कार्यबल तैयार किए जाने के क्षेत्र में काम किया जा रहा है। राज्य सरकार की योजना मिशन निरामयाः के तहत हर साल नर्सिंग और पैरामेडिकल संस्थानों का वार्षिक मूल्यांकन किए जाने का फैसला लिया गया है। वार्षिक मूल्यांकन का कार्य स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा किया जाएगा। मूल्याकन के आधार पर इन्हें रेटिंग देने का भी प्रावधान किया गया है।
संस्थानों का मूल्यांकन उनके शिक्षण, अध्यापन और बुनियादी ढांचे की उपलब्धता के साथ ही छात्रों के व्यवहारिक कौशल पर केंद्रित होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को निरंतर बेहतर करने का काम किया जा रहा है। बता दें कि योगी सरकार ने 22 अक्टूबर को ‘मिशन निरामया:’ की शुरुआत की थी।
2023 की पहली तिमाही में जारी होगी रेटिंग
संस्थानों का मूल्यांकन स्वतंत्र एजेंसी के द्वारा किया जाएगा। इस कार्य का उत्तरदायित्व भारतीय गुणवत्ता परिषद (क्यूसीआई) को सौंपा गया है। क्यूसीआई ने चिकित्सा शिक्षा के तकनीकी भागीदारों के सहयोग से पहले ही ऑनलाइन स्वमूल्यांकन फॉर्म तैयार कर लिया है।
सभी संस्थानों द्वारा इस फॉर्म को भरकर ऑनलाइन जमा किया जाएगा, जिसके बाद क्यूसीआई टीम संस्थानों इसका मूल्यांकन करेगी। इसी आधार पर अंतिम रेटिंग 2023 की पहली तिमाही के अंत में शुरू की जाएगी। रेटिंग से ऐसे संस्थान जहां व्यवस्थाओं का अभाव है वह सुधार करेंगे।
औसत से नीचे प्रदर्शन करने वाले संस्थानों में होगा सुधार
प्रमुख सचिव के मुताबिक के अनुसार, जो संस्थान औसत से नीचे प्रदर्शन करेंगे। उन्हें बेहतर काम करने वाले संस्थान मार्गदर्शन देगें। ताकि पूरे राज्य में संस्थानों की गुणवत्ता में सुधार हो सके। कोई भी संस्थान जो सुधार के बाद पुनर्मूल्यांकन करना चाहता है वो अपनी लागत पर 3 साल की अवधि के भीतर कभी भी ऐसा कर सकता है। विशेष सचिव चिकित्सा शिक्षा विभाग दुर्गा शक्ति नागपाल के मुताबिक यह कदम नर्सिंग व पैरामेडिकल संस्थानों के बीच निरंतर गुणवत्ता सुधार में मददगार साबित होगा।