रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू ने नवाब वाजिद अली शाह महोत्सव में दिया संग-संग चलने का संदेश
अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के नाम पर होने वाले महोत्सव के मेहमान रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू रहे। उन्होंने लखनऊ में गंगा-जमुनी तहजीब की कथा से शुरुआत करते हुए लोगों को एकता के सूत्र में बंधे रहने...
अवध के आखिरी नवाब वाजिद अली शाह के नाम पर होने वाले महोत्सव के मेहमान रामकथा मर्मज्ञ मोरारी बापू रहे। उन्होंने लखनऊ में गंगा-जमुनी तहजीब की कथा से शुरुआत करते हुए लोगों को एकता के सूत्र में बंधे रहने का संदेश दिया। उनकी कथा में शायरी भी शामिल थी तो कहानियों के पुट भी थे। उन्होंने सूफी-संतों की बातें कीं तो लोगों को साथ मिलकर अपनी गंगा-जमुनी तहजीब को पूरे विश्व में फैलाने का आह्वान भी किया। उन्होंने कहा कि इस विचारधारा की विश्व को नितांत आवश्यकता है। इसको प्रोत्साहित करें और संग-संग चलें।
रूमी फाउंडेशन और यूपी पर्यटन विभाग की ओर से एतिहासिक धरोहर दिलकुशा गार्डेन में नवाब वाजिद अली शाह महोत्सव का आयोजन रविवार को किया गया। जिसमें सुबह के सत्र में मुख्य परिसर के गलियारे में संत मर्मज्ञ मोरारी बापू ने लोगों को मोहब्बत, अच्छी सौबत के साथ मिलकर साथ रहने की अपील की।
उन्होंने कहा कि 'ये तेरा जिक्र है कि इत्र है, होता है तो मैं महक जाता हूं।' उन्होंने कहा कि सूफी की चर्चा अगर कहीं होती है तो उसकी संगत में आने वाले महक जाते हैं। इसके बाद एक शेर पढ़ते हुए मोरारी बापू ने कहा कि 'तेरे दर पर जो न्योछावर हो गया उसको जन्नत की राह नजर नहीं आती।' उन्होंने कहा कि प्रयाग में गंगा-जमुना तो दिखती है सरस्वती नहीं दिखती। फिर भी संगम तीनों नदियों के बिना नहीं होता। वर्तमान समाज के परिपेक्ष्य में उन्होंने कहा कि लेकिन गंगा-जमुनी सभ्यता में सरस्वती अब मुखर हो रही है। 21वीं सदी में युवानी लालायित है सही बात जानने के लिये। उन्होंने कहा कि हम इस सौबत या सतंसंग को एक फ्रेम में क्यों बंद कर देते हैं। अच्छी बात सुनना, शायरी सुनना, संगीत देखना और अच्छी फिल्म देखना भी सत्संग है।
उन्होंने इस आयोजन को एकता के लिये एक बहुत समझदारी पूर्वक उठाया गया कदम बताया। उन्होंने कहा कि चलो हम खुद की खोज करें, खुदा से मोहब्बत करें और सबकी सेवा करें। उन्होंने कहा कि मोहब्बत को केन्द्र में रखकर एकता पैदा करनी है। उन्होंने कहा कि सूफियों ने भी यही काम किया। उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि किसी की शरण में जाओ तो पूरी तरफ से जांच लो। आत्मा ने अगर मान लिया प्रेम स्वरूप है तो फिर आदेश का नुकसान न करो। मेरा शुभ और मेरा मंगल यही हैं यह मान लो।
'फिक्र ये है कि वो मेरे हैं, फिक्र ये है कि कब तक'
एक कहानी का वर्णन करते हुए जिसमें मोरारी बापू ने एक मुसलमान को हज करने भेजा और बाद में मौलाना साहब ने कहा कि आपने मुसलमान को हज करने भेजा कहा तो उन्होंने जवाब दिया कि मैंने कुछ नहीं किया। मेरा हनुमान उसे रहमान के पास भेज रहा है। यह सब केवल प्रवचन से नहीं होगा। ऐसा करने से देश की अखण्डता बरकरार रहेगी। उन्होंने कहा कि तकलीफ क्या है 'फिक्र ये है कि वो मेरे हैं, फिक्र ये है कि कब तक'।
मोहब्बत को पकड़ लेने वाला सत्य को भी पा लेता है
मोहब्बत पर अपनी बात शुरू करते हुए मोरारी बापू ने कहा कि सत्य शायद इधर उधर हो जाए, करुणा डगमगा जाये लेकिन मोहब्बत भूलनीं नहीं चाहिये। मोहब्बत को जिसने पकड़ लिया वो सत्य को भी पा ही लेता है। हम जहां भी जाएं मोहब्बत लेकर जाएं। उन्होंने कहा कि मेरे राम को पूजा, प्रतिष्ठा प्रिय नहीं है। प्रवचन भी प्रिय नहीं है। राम यदि प्रसन्न हैं तो केवल प्रेम से 'राम ही केवल प्रेम प्यार'। वाजिद अली शाह का संगीत, नृत्य के प्रति लगाव यह बताता है कि संगीत और नृत्य का कोई मजहब नहीं होता। अग्नि का कोई मजहब नहीं होता। उन्होंने कहा कि परिणाम के लिये हमें ठोस कदम उठाने होंगे।