यादों में गजोधर: जब संघर्ष के दिनों में ऑटो चलाकर और मंजीरा बजाकर गुजारा करते थे राजू श्रीवास्तव
कॉमेडी के बादशाह राजू श्रीवास्तव का बचपन कानपुर की गलियों में बीता। स्कूली दिनों में वे अमिताभ बच्चन की मिमिक्री कर लोगों को हंसाते थे। संघर्ष के दिनों में राजू ने मंजीरा बजाया इसके अलावा ऑटो चलाया।
राजू श्रीवास्तव का बचपन से लेकर जवानी कानपुर की गलियों में बीता। स्कूली दिनों में वे अभिनेता अमिताभ बच्चन की मिमिक्री किया करते थे जिसे लोगों ने काफी सराहा। कानपुर के बचपन के दोस्त राजू के किस्से सुनाते नहीं थकते। कभी राजू श्रीवास्तव ने मंजीरा बजाया तो कभी ऑटो ड्राइवर का काम किया। 50 रुपये की फीस में राजू अपनी कॉमेडी से करोडों लोगों का दिल जीता।
बीते दिनों को याद करते हुई राजू के कई दोस्तों ने बताया कि वे कानपुर की गलियों में बहुत संघर्ष किया है। साइट नंबर स्थि सामुदायिक केंद्र में राजू का पहला सार्वजनिक कार्यक्रम में भाग लिया। राजू अमिताभ बच्च की मिमिक्री बखूबी निभा लेता था। मिमिक्री कर स्कूल पर छा जाने वाले राजू का उस दिन अंदाज जरा हट के था। अमिताभ की तरह सूट पहन कर जब राजू मंच पर आते थे तो सभी उनके दिवाने हो जाते थे।
मुंबई में राजू ने किया संघर्ष
राजू श्रीवास्तव एक्टर बनने मुंबई निकगल गए। वे जनरल टिकट लेकर मुंबई की गाड़ी में बैठे थे। टीटीई ने टिकट चेक करने आया तो उसने राजू से पूछा कि मुंबई क्यों जा रहे हो। राजू बोले, एक्टर बनने। टीटीई ने सवाल किया एक्टर बनकर क्या करोगे, इस पर उन्होंने अमिताभ की आवाज और अंदाज में एक्टिंग दिखाई।
इस पर टीटीई ने उन्हें बोरीवली मुंबई में रहने वाले कव्वाल शंकर शंभू का पता देकर उनसे मिलने को कहा। टीटीई के नाम पर शंकर शंभू कव्वाल ने राजू को अपने साथ घर में ही रख लिया। राजू कव्वाल की टीम में मंजीरा बजाने लगे। कव्वाल के साथ राजू का पहला कार्यक्रम लखनऊ के दूरदर्शन में प्रसारित हुआ। उस कार्यक्रम में राजू पीछे बैठे मंजीरा बजा रहे थे।
राजू ने बताया था कि जब वह मुंबई पहुंचे, उस वक्त लोग कॉमेडियन को बड़ा कलाकार नहीं समझा जाता था। उस वक्त कॉमेडी जॉनी वॉकर से शुरू होकर जॉनी लीवर पर खत्म हो जाती थी। काम नहीं मिलने पर उन्हें भी पैसों की तंगी रहती थी। खर्च चलाने के लिए राजू ने ऑटो चलाना शुरू कर दिया।
राजू के मुताबिक वह ऑटो में सफर कर रहे लोगों को जोक सुनकर हंसाते थे। बदले उन्हें किराये के साथ उन्हें टिप भी मिल जाती थी। फिर एक दिन ऑटो में बैठी एक सवारी के बताने पर उन्हें स्टैंड अप कॉमेडी के लिए ब्रेक मिला। सात साल संघर्ष के बाद उन्हें शो मिलने शुरू हो गए। उस समय मेहनताने के रूप में 50 रुपये मिलते थे। राजू श्रीवास्तव के मुताबिक स्ट्रगल के दिनों में वह बर्थ डे पार्टी में जाकर 50 रुपये के लिए भी कॉमेडी किया करते थे। अगर लॉफ्टर चैलेंज से उन्हें पहचान न मिलती तो आज कहानी कुछ और ही होती।
मेहनत के दम पर बने करोड़पति
फर्श से अर्श तक का सफर तय करने वाले कामेडियन राजू श्रीवास्तव ने अपनी मेहनत के बूते करोड़ों रुपए कमाए। राजू की गुदगुदी का ही जादू था कि अपने-अपने एक-एक शो के लिए लाखों रुपए फीस लेते थे। उनकी डिमांड केवल भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के 30 से अधिक देशों में थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक राजू श्रीवास्तव अपने एक शो के लिए 5 से 7 लाख रुपए फीस लेते थे।
कारों के शौकिन थे राजू
इसके अलावा विज्ञापन, स्टेज होस्टिंग, फिल्मों और टीवी शो से भी उनकी अच्छी खासी कमाई होती थी। राजू श्रीवास्तव के करीबियों के मुताबित उनकी कुल संपत्ति 25 से 35 करोड़ रुपए है। राजू के पास मुंबई में अपना शानदार घर है। कानपुर में भी घर है। बहुत ही कम लोगों को पता है कि राजू श्रीवास्तव को कारों का भी शौक था। उनके पास कारों का शानदार कलेक्शन है जिसमें बीएमडब्लू, ऑडी, इनोवा क्रिस्टा जैसी महंगी गाड़ियां शामिल हैं।