बाहुबली राजन तिवारी 24 घंटे के भीतर गोरखपुर से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल शिफ्ट, 20 साल NBW लेकर खोज रही थी पुलिस
बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को 24 घंटे के अंदर गोरखपुर से फतेहगढ़ सेंट्रल जेल शिफ्ट कर दिया है। 20 साल से NBW लेकर पुलिस उसे तलाश रही थी। पुलिस ने राजन के सभी केसों में पैरवी शुरू कर दी है।
'ऑपरेशन शिकंजा' के तहत गैर जमानती वारंट में गिरफ्तारी के बाद बाहुबली पूर्व विधायक राजन तिवारी को 24 घंटे के अंदर गोरखपुर से फतेहगढ़ जेल शिफ्ट कर दिया गया है। राजन तिवारी को 20 साल से गैर जमानती वारंट (NBW) लेकर पुलिस खोज रही थी। अब उसकी गिरफ्तारी के बाद पुलिस ने राजन तिवारी के उन सभी केसों की पैरवी शुरू कर दी है जिनमें ट्रायल चल रहा है। वहीं उन मामलों की भी पड़ताल चल रही है जिसमें दबाव या डर से बरी होने की गुंजाइश दिख रही है।
दरअसल, राजन तिवारी को सलाखों के पीछे पहुंचाने का श्रेय एडीजी अखिल कुमार द्वारा चलाए जा रहे ‘ऑपरेशन शिंकजा’ को ही जाता है। इसी मामले में एडीजी ने पहले राजन तिवारी का नाम को यूपी की माफिया सूची में शामिल कराया और मुकदमों की पड़ताल शुरू कराई। पड़ताल में राजन पर कई केस मिले लेकिन ज्यादातर में कोर्ट से बरी होने की भी जानकारी सामने आई। इसी पड़ताल के क्रम में गैंगस्टर का मुकदमा और उसमें कोर्ट से जारी गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) हाथ लगा। यहीं से राजन तिवारी के खिलाफ शिंकजा कसना शुरू हुआ।
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एडीजी के निर्देश पर एसएसपी डॉ. गौरवर ग्रोवर ने एसपी सिटी कृष्ण कुमार विश्नोई की निगरानी में एक टीम बनाई जिसका नेतृत्व सीओ कैंट श्याम विंद को सौंपा गया था। यह टीम एक महीने से राजन तिवारी की तलाश में लगी थी। टीम ने कई बार बिहार में दबिश दी थी पर कामयाबी गुरुवार को रक्सौल में हाथ लगी और काठमांडू भागने की कोशिश के दौरान राजन तिवारी को गिरफ्तार कर लिया गया।
तीन केस पर फैसले को लेकर पुलिस की खास नजर: राजन तिवारी के खिलाफ ‘आपरेशन शिंकजा’ के तहत फिलहाल पुलिस ने तीन मामलों का चयन किया है। हालांकि इसमें दो मामले गोरखपुर कोर्ट से जुड़े हैं जबकि एक लखनऊ से। गोरखपुर में जिन दो केस का ट्रायल चल रहा है। इनमें एक गैंगस्टर का वही केस है जिसमें राजन तिवारी के खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी था जबकि दूसरा केस ठेकेदार विवेक सिंह हत्याकांड का है।
दरअसल, गोरखपुर में 1996 में दो लोगों की ताबड़तोड़ हत्या हुई थी। शास्त्री चौक पर चंद्रलोक लॉज के सामने वीरेन्द्र प्रताप शाही पर हमला हुआ था जिसमें उनका गनर मारा गया था। उसके कुछ दिन बाद ही रेलवे के ठेके को लेकर पार्क रोड पर ठेकेदार विवेक सिंह की हत्या हुई थी। इन दोनों हत्या में श्रीप्रकाश गैंग का नाम सामने आया था जिसमें राजन तिवारी को भी अभियुक्त बनाया गया था।
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वीरेन्द्र प्रताप शाही के गनर की हत्या में राजन तिवारी को कोर्ट ने बरी कर दिया है जबकि विवेक सिंह हत्याकांड में मुकदमा ट्रायल पर चल रहा है। इसमें आधे लोगों की गवाही हो चुकी है। पुलिस की कोशिश है कि गैंगेस्टर के मामले के अलावा विवेक सिंह हत्याकांड में समय से गवाही कराकर राजन तिवारी को सजा दिलाई जाए। इसके अलावा हत्या का एक केस कैसरबाग लखनऊ में दर्ज है। वहां की पुलिस को भी इसकी जानकारी दे दी गई है।