Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़raja bhaiya dhananjay singh brij Bhushan even without fighting all eyes are on these 3 faces up lok sabha election

राजा भैया, धनंजय सिंह और बृजभूषण....बिना लड़े भी यूपी के इन तीन चेहरों पर सबकी निगाहें 

यूपी के चुनावी रण में 3 चेहरे ऐसे हैं, जो मैदान में खुद तो नहीं उतरे लेकिन उन पर सभी की नजरें हैं। इनमें पूर्व मंत्री राजा भैया, पूर्व सांसद बृजभूषण सिंह और बाहुबली धनंजय सिंह शामिल हैं।

Ajay Singh राजकुमार शर्मा, लखनऊSun, 19 May 2024 06:20 AM
share Share

Lok Sabha Election 2024: यूपी के चुनावी रण में तीन चेहरे ऐसे भी हैं, जो सीधे तौर पर मैदान के महारथी तो नहीं हैं लेकिन उन पर सभी की नजरें हैं। ऐसे चेहरों में पूर्व मंत्री रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह और बाहुबली धनंजय सिंह शामिल हैं। राजा भैया की चर्चा केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद भी कौशांबी और प्रतापगढ़ सीटों पर भाजपा को समर्थन का ऐलान न करने को लेकर है। वहीं बृजभूषण पर निगाह है कि वो कैसरगंज में बेटे और करीबी सीटों पर भाजपा के लिए कितने मुफीद साबित होते हैं। बिना लड़े भी जौनपुर में धनंजय के बाहुबल का इम्तिहान है।

प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से राजा भैया 1993 से लगातार विधायक हैं। उनके प्रभाव और सियासी रणकौशल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस इलाके में निर्दल होते हुए भी वो सभी दलों की जरूरत बने हुए हैं। पूर्वांचल के प्रमुख ठाकुर नेताओं में शुमार राजा भैया इन दिनों बेहद चर्चा में हैं।  चंद दिनों पहले राज्यसभा चुनाव में भाजपा की जीत के खेवनहार बनने वाले राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में भाजपा को प्रतापगढ़ और कौशांबी सीटों पर समर्थन क्यों नहीं दिया।

राज्यसभा में साथ तो लोकसभा में दूर क्यों राजा भैया
आखिर वो किस बात पर इतने नाराज हैं। इसे लेकर तरह-तरह की चर्चाएं हैं। पहली यह कि राज्यसभा में भाजपा का साथ देने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि कौशांबी और प्रतापगढ़ सीटों पर भाजपा टिकट देने से पहले उनसे चर्चा जरूर करेगी। मगर ऐसा नहीं हुआ। कौशांबी के भाजपा प्रत्याशी विनोद सोनकर से उनकी नाराजगी की खासी चर्चा भी रही है। हाल ही में बैंगलौर में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद माना जा रहा था कि शायद बर्फ कुछ पिघल गई है। मगर राजा भैया न कुंडा की रैली में शाह के मंच पर नजर आए और न ही उन्होंने भाजपा को समर्थन का ऐलान ही किया। बता दें कि कौशांबी लोकसभा में प्रतापगढ़ जिले की दो विधानसभा कुंडा और बाबागंज शामिल हैं। दोनों ही सीटों पर राजा भैया के जनसत्ता दल लोकतांत्रिक का कब्जा है। अब देखना यह होगा कि भाजपा को समर्थन न देने के ऐलान का फायदा क्या सपा-कांग्रेस गठबंधन प्रत्याशी को हो पाएगा।

मैदान से बाहर कितने कारगर होंगे बृजभूषण के दांव
इस फेहरिस्त में दूसरा नाम हैवीवेट सांसद बृजभूषण शरण सिंह का है। महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में फंसे बृजभूषण को भाजपा ने टिकट नहीं दिया। मगर इस बाहुबली सांसद को नाराज करने का जोखिम भी पार्टी ने नहीं उठाया। इसलिए उनके बेटे करण भूषण सिंह को मैदान में उतारा। 20 मई को इस सीट पर चुनाव होना है। बृजभूषण भी पूरब के प्रमुख ठाकुर नेताओं में शुमार हैं। उनका प्रभाव कैसरगंज, गोंडा से लेकर बहराइच सहित कई सीटों पर माना जाता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि मैदान से बाहर रहकर इस सियासी पहलवान के दांव-पेंच भाजपा के लिए कितने मुफीद साबित होते हैं।

भाजपा को कितनी राहत देंगे धनंजय
तीसरा नाम जौनपुर के पूर्व सांसद और बाहुबली धनंजय सिंह का है। लोकसभा चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच धनंजय को एक पुराने मामले में जेल जाना पड़ा। मगर उन्होंने अपनी पत्नी श्रीकला को बसपा से मैदान में उतार दिया था। श्रीकला के आने से जहां जौनपुर सीट पर रोमांचक त्रिकोणीय मुकाबले के हालात बने। वहीं ठाकुर वोटों में बिखराव भाजपा की चिंता का कारण बन गया। अप्रत्याशित रूप से पहले धनंजय सिंह जमानत पर बाहर आए और उसके बाद श्रीकला चुनावी मैदान से ही बाहर हो गईं। अब नतीजे बताएंगे कि धनंजय मैदान से बाहर रहकर भाजपा के लिए कितने कारगर रहे।
 

अगला लेखऐप पर पढ़ें