बीएचयू में बी-वोक कोर्स के लिए प्रदर्शन पड़ा भारी, छात्रों को नोटिस के बाद एफआईआर भी दर्ज
बीएचयू में इस सत्र में बी-वोक की कक्षाएं निरस्त न करने की मांग को लेकर पांच दिनों से धरने पर बैठे छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। 29 जुलाई को सिंहद्वार पर छात्रों ने प्रदर्शन किया था।
बीएचयू में इस सत्र में बी-वोक की कक्षाएं निरस्त न करने की मांग को लेकर पांच दिनों से धरने पर बैठे छात्रों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया गया है। 29 जुलाई को चार घंटे के लिए सिंहद्वार पर छात्रों ने प्रदर्शन किया था। रास्ता रोकने के आरोप में 13 छात्रों के खिलाफ लंका पुलिस ने मुकदमा किया है। बुधवार को चीफ प्रॉक्टर ने नोटिस जारी कर छात्रों को शाम तक कुलपति आवास से धरना खत्म करने की चेतावनी दी। इसके बाद देरशाम छात्र सिंहद्वार पर विरोध-प्रदर्शन करते रहे।
बीएचयू प्रशासन ने पिछले दिनों अपरिहार्य कारणों से सत्र 2023-24 में बी-वोक पाठ्यक्रम स्थगित करने की सूचना जारी की थी। इसे लेकर बी-वोक के विभिन्न पाठ्यक्रमों के छात्र विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। 29 जुलाई को कुलपति आवास के बाहर विरोध कर रहे छात्रों ने लगभग चार घंटे तक सिंहद्वार बंद कर दिया, जिससे आवागमन बाधित हुआ।
इस मामले में सहायक कुलानुशासक की तहरीर पर 13 छात्रों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 342 और 353 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। दूसरी तरफ, चीफ प्रॉक्टर प्रो. अभिमन्यु सिंह की तरफ से बुधवार को छात्रों को नोटिस जारी की गई और शाम तक धरना खत्म न करने पर विधिक कार्रवाई की चेतावनी दी गई।
मुकदमे और नोटिस से क्षुब्ध छात्रों ने बुधवार की शाम दोबारा सिंहद्वार पर प्रदर्शन किया। छात्रों का कहना है कि उन्होंने बार-बार विश्वविद्यालय प्रशासन से अपने निर्णय पर पुनर्विचार की मांग की। धरना भी इसी मांग के लिए दिया जा रहा था। प्रशासन ने उनकी बात सुनने की बजाए मुकदमा दर्ज कराकर छात्रों की आवाज दबाने की कोशिश की।
एबीवीपी ने किया बीएचयू के फैसले का विरोध
वाराणसी। बी-वोक छात्रों पर मुकदमे के खिलाफ अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने बयान जारी कर विरोध दर्ज कराया है। एबीवीपी ने छात्रों की तकलीफ सुनने की बजाय उनपर मुकदमा दर्ज कराने को बीएचयू प्रशासन का भ्रष्ट और तानाशाही रवैया करार दिया है। एबीवीपी के बीएचयू इकाई अध्यक्ष अभय प्रताप सिंह और इकाई मंत्री पुनीत मिश्रा ने इस कार्रवाई को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए बीएचयू प्रशासन से मांग की कि छात्रों के खिलाफ मुकदमा तत्काल वापस लेने के साथ ही उनकी मांगें मानी जाए।