गोरखपुर में बंदी की मौत, शव छोड़कर भागा भाई; जेल अफसरों ने कराई अंत्येष्टि
गोरखपुर जेल के एक बंदी की बीआरडी मेडिकल कालेज में मौत हो गई। बंदी के भाई उसका शव छोड़कर भाग गए। देर रात डीएम से इजाजत लेकर एक संस्था की मदद से जेल अफसरों ने खुद ही बंदी का अंतिम संस्कार करा दिया।
गोरखपुर मंडलीय कारागार में विचाराधीन बंदी की मौत और उसके बाद उपजे हालात से कुछ देर के लिए जेल अधिकारी और बंदी रक्षक सन्न रह गए। वे यह सोचने के लिए मजबूर हो गए कि क्या कोई परिवार अपने परिजन की भी मौत के बाद इस तरह निष्ठुर हो जाएगा। उसका शव छोड़कर भाग जाएगा। पर ऐसा हुआ है।
जेल अधिकारियों का कहना है कि ऐसी स्थिति पैदा हुई इसकी जड़ में शराब है। शराब की लत ने ही बंदी की जान ले ली और इसी लत वजह से रिश्ते तार-तार हो गए। बंदी के भाई के भाग जाने के बाद जेल अफसरों ने एक संस्था के साथ मिलकर विचाराधीन बंदी के शव का अंतिम संस्कार करा दिया। गोरखपुर जेलर प्रेम सागर शुक्ला ने बताया कि बिहार के मोतिहारी जिले के हरीसिद्ध थाना क्षेत्र स्थित चैनपुर गांव निवासी 35 वर्षीय रमेश पांडेय को कच्ची शराब की लत लग गई थी। वह कच्ची शराब बनाता और बेचता था। इसी मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। वर्तमान में वह विचाराधीन बंदी के रूप में गोरखपुर जेल में बंद था। उसकी हालत बिगड़ गई जिसकी वजह से जेल से बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में भर्ती करा दिया गया था। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान सोमवार रात उसकी मौत हो गई।
जेलर ने बताया कि जेल प्रशासन ने रमेश पांडेय की मौत की सूचना उसके परिवारीजनों तक भिजवाई गई। रमेश के परिवारीजन सोमवार की रात में ही जेल पर आ गए। उसके भाई जगी पांडेय और छोटू पांडेय से जेल के अधिकारियों ने बातचीत की। उन्हें ढांढस बंधाया। रात में उन्हें भोजन कराया गया और उनके सोने की व्यवस्था कराई गई। रमेश के परिवारीजनों को सुबह नाश्ता भी करा दिया गया। उन्होंने बताया कि जेल प्रशासन ने विधिक कार्रवाई पूरी कराकर रमेश के शव का पोस्टमार्टम कराया। उधर, जेल प्रशासन रमेश के शव का पोस्टमार्टम कराने में व्यस्त था और इधर उसके परिवारीजन चुपके से चले गए।
बंदी रक्षकों ने काफी देर तक की तलाश
रमेश के शव का पोस्टमार्टम हो जाने के बाद जेल अफसरों ने उसके भाइयों को ढूंढना शुरू किया लेकिन वे मौके से गायब थे। अफसरों के कहने पर 4 सिपाहियों और दो दरोगाओं ने काफी देर तक उनकी तलाश की लेकिन उनका कहीं पता नहीं चला। जेल प्रशासन ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर घटना की जानकारी दी और रमेश के शव का अंतिम संस्कार कराने की इजाजत मांगने के बाद जेल अफसरों ने बंदी का अंतिम संस्कार करा दिया।
जेल प्रशासन ने पत्र लिख मांगी अनुमति
जिलाधिकारी से अनुमति मिलने के बाद जेल प्रशासन ने रमेश के शव का खुद अंतिम संस्कार कराने का निर्णय लिया है। हालांकि जेल प्रशासन की मदद में इस्माइल रोटी बैंक संस्था आगे आ गई है। उसने हर सम्भव मदद का भरोसा दिया है। संस्था के पदाधिकारी इस काम में जुट गए हैं।