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यूपी में आउट सोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण की तैयारी, ऐक्टिव हुई सरकार; विभागों से मांगी ये जानकारी 

जानकारी मांगी गई है कि शासनादेश का अनुपालन करते हुए आउटसोर्सिंग की नौकरियों में अब तक अनुसूचित जाति, जनजाति व अन्य पिछड़ा वर्ग के आरक्षित वर्ग के लोगों को किस पद पर कितनी नौकरियां दी गईं।

Ajay Singh संतोष वाल्मीकि, लखनऊ,Wed, 10 July 2024 05:36 AM
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Reservation in outsourcing jobs: उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण लागू करवाने के लिए सक्रिय हुई है। उत्तर प्रदेश विधान मण्डल अनुसूचित जाति-जनजाति तथा विमुक्त जाति की संयुक्त समिति ने राज्य के कार्मिक विभाग से आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए 23 जनवरी 2008 को जारी शासनादेश के अनुपालन के बारे में सभी विभागों से ब्यौरा मांगा है। समिति ने निर्धारित प्रारूप पर यह जानकारी मांगी है। 

विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों की इस समिति के अध्यक्ष एमएलए श्रीराम चौहान हैं।  समिति के सदस्यों में विधान परिषद सदस्य डा. लालजी प्रसाद निर्मल, विधानसभा सदस्य त्रिभुवन राम, जयदेवी, पलटूराम, मनोज पारस आदि शामिल हैं। सोमवार को इस समिति की बैठक हुई। बैठक में कार्मिक विभाग के अधिकारी भी शामिल हुए। समिति ने कार्मिक विभाग से यह भी अपेक्षा की है कि जेम पोर्टल पर पंजीकृत आउटसोर्स की सर्विस प्रोवाइडर एजेंसियों को भी आरक्षण के दायरे में लाया जाए।

समिति के सदस्य त्रिभुवन राम ने बताया कि आउटसोर्स की नौकरियों के लिए मैनपावर उपलब्ध करवाने वाली एजेंसियों पर आरक्षण इसलिए लागू किया जाना चाहिए क्योंकि इससे आरक्षित वर्ग के लोगों को भी ऐसी एजेंसियां संचालित करने का अवसर मिलेगा। साथ ही वह आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था का पूरी निष्ठा से अनुपालन भी करेंगी।

23 जनवरी 2008 को तत्कालीन प्रमुख सचिव जेएस दीपक ने सभी प्रमुख सचिवों, सचिवों को एक शासनादेश जारी किया था। इसमें कहा गया था कि सरकारी विभागों, निगमों, परिषदों आदि द्वारा ऐसी सेवाएं जो पूर्व में उनके द्वारा स्वयं प्रदान की जा रही थीं। शासनादेश के अनुसार राज्य सरकार के विभागों, निगमों व परिषदों द्वारा अपने कार्यालयों में रख-रखाव का कार्य स्वयं किया जा रहा था यदि अनुबंध के आधार पर सम्पन्न करवाए जाते हैं तो ऐसे कार्यों के लिए होने वाले करार में यह भी सन्निहित होगा कि इस तरह उत्पन्न कुल रोजगार का 21 प्रतिशत अनुसूचित जाति, दो प्रतिशत अनुसूचित जनजातियों और 27 प्रतिशत अन्य पिछड़े वर्ग के व्यक्तियों को प्रदान किया जाए। मगर यह व्यवस्था लोक निर्माण, सिंचाई, ग्राम्य विकास विभागों के ऐसे कार्यों में लागू नहीं होगी जो परम्परागत रूप से ठेके के आधार पर सम्पन्न करवाए जाते हैं।

मगर विधान मण्डल की संयुक्त समिति के अनुसार, विभागों ने इस शासनादेश का सही ढंग से अनुपालन नहीं किया। समिति की सोमवार को हुई यह बैठक भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्री संगठन बीएल. संतोष की मौजूदगी में प्रदेश भाजपा के पदाधिकारियों, अनुसूचित मोर्चे की बैठकों में भी जोरशोर से उठने के बाद बुलाई गई थी।

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