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डायबिटीज-कैंसर जैसे रोगों को मिटा देगी ‘प्रिसीजन’, क्या है यह मेडिसिन, कैसे करती है काम

बीएचयू आए हैदराबाद के प्रोफेसर वीएस राव ने ‘मॉल-डी-मेलेडा’ नामक जेनेटिक रोग का उदाहरण दिया। इसमें हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं। असाध्य माने जाने वाले इस रोग का उपचार प्रिसीजन मेडिसिन से संभव है।

Yogesh Yadav अभिषेक त्रिपाठी, वाराणसीSun, 30 July 2023 09:42 AM
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जैव विविधता के मामले में भारत अफ्रीका के बाद दूसरे नंबर पर है। साथ ही यहां इंडोगेमी (एक ही जाति में विवाह) प्रचलन में है। यह किसी भी जाति या जनजाति में किसी विशेष रोग को काफी बढ़ा देती है। देश में अब तक 72 हजार अलग-अलग प्रकार के जेनेटिक सिस्टम का अध्ययन किया जा चुका है। अनुवांशिकीय आधार पर शरीर के प्रकार को देखते हुए दवाएं देना ज्यादा कारगर होगा और बीमारियों का यह जड़ से खात्मा करने में मददगार भी होगा। यह कहना है कि बीएचयू आए हैदराबाद स्थित जीनोम फाउंडेशन के डीन और उस्मानिया विश्वविद्यालय के एमिरिटस प्रोफेसर वीआर राव का।

‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत में प्रिसीजन मेडिसिन के बारे में जानकारी देते हुए प्रोफेसर राव ने ‘मॉल-डी-मेलेडा’ नामक जेनेटिक रोग का उदाहरण दिया। इसमें हड्डियां टेढ़ी हो जाती हैं। असाध्य माने जाने वाले इस रोग का उपचार प्रिसीजन मेडिसिन से संभव है।

जेनेटिक्स आधारित दवाएं बीमारियों की रोकथाम के साथ ही इन्हें अगली पीढ़ी तक पहुंचने से भी रोकेंगी। ऐसे में कैंसर, डायबिटीज, रक्तचाप, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, एसएलई सहित दर्जनों असाध्य रोगों के उपचार के साथ ही उनका जड़ से खात्मा कर पाना भी संभव हो सकेगा।

क्या है प्रिसीजन मेडिसिन

शरीर के प्रकार, जरूरतों और अनुवांशिक संरचना के आधार पर की जाने वाली चिकित्सा को ‘प्रिसीजन’ मेडिसिन का नाम दिया गया है। इसके अंतर्गत रोग के लक्षण नहीं बल्कि इसके कारकों का पता लगाकर उपचार होता है। प्रो. राव ने बताया कि शरीर में सामान्य सिर या पेट दर्द में एक ही दवा दी जाती है, जबकि कारण अलग-अलग हो सकते हैं। प्रिसीजन मेडिसिन इन्हीं कारणों की पड़ताल कर उपचार की विधा है।

अब जैविक दवाओं का दौर

प्रो. वीआर राव ने कहा कि अब तक दुनियाभर में केमिकल बेस दवाओं का इस्तेमाल होता रहा है। इनके असर के साथ साइड इफेक्ट्स भी काफी होते हैं। ऐसे में अब जैविक दवाओं का चलन बढ़ रहा है। यह दवाएं ‘प्रिसीजन मेडिसिन’ का ही हिस्सा हैं जो शरीर में पैदा हुई खामी के आधार पर ही उपचार करती हैं। उन्होंने बताया कि 2020 में भारत में बनी कोविड वैक्सीन जैविक दवाओं का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण हैं।

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