अयोध्या में जमकर जमीन खरीद रहा नेता-अफसर का परिवार, सात साल से नहीं बढ़ा है सर्किल रेट
राम जन्मभूमि पर सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद अयोध्या में जमीन खरीदने की होड़ लगी है। खरीदारों में नेता से अफसर तक का परिवार शामिल है जिन लोगों ने मंदिर के आस-पास के कई गावों में जमीन ली है।
राम जन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का रास्ता खोलने वाले सुप्रीम कोर्ट के 2019 के फैसले के बाद अयोध्या में नेता से लेकर अफसर तक के परिवार में जमीन खरीदने की होड़ लगी है। लेकिन सात साल से यहां सर्किल रेट नहीं बढ़ा है। खरीदारों में अरुणाचल प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री चौना में, भाजपा नेता और कैसरगंज के पूर्व सांसद बृज भूषण शरण सिंह, उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) के मुखिया अमिताभ यश जैसे वीआईपी का परिवार शामिल है। अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से मार्च 2024 तक राम मंदिर के आस-पास के 25 गांवों में जमीन खरीद-बिक्री की 2500 रजिस्ट्री की पड़ताल के बाद दावा किया है कि इन इलाकों में जमीन की डील 30 प्रतिशत बढ़ गई है।
अखबार ने 18 वीआईपी फैमिली की जमीन खरीद का जिक्र किया है। इनमें चौना में, बृज भूषण शरण सिंह और अमिताभ यश के अलावा उत्तर प्रदेश के गृह सचिव व आईपीएस संजीव गुप्ता, यूपी के शिक्षा विभाग के संयुक्त निदेशक अरविंद पांडेय, रेलवे के डिप्टी चीफ इंजीनियर महाबल प्रसाद, आईपीएस अफसर पलाश बंसल, आईपीएस अफसर अनूप सिंह, रिटायर्ड डीजीपी यशपाल सिंह, सीबीएसई के पूर्व सचिव अनुराग त्रिपाठी, हरियाणा योग आयोग अध्यक्ष जयदीप आर्या, यूपी के भाजपा नेता व विधायक अजय सिंह, भाजपा नेता व गोसाईगंज नगर पंचायत अध्यक्ष विजय लक्ष्मी जायसवाल, भाजपा नेता व अमेठी जिला पंचायत अध्यक्ष राजेश अग्रहरि, बसपा नेता व पूर्व विधायक जितेंद्र कुमार उर्फ बबलू भैया, भाजपा नेता व पूर्व विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ला, सपा नेता व पूर्व एमएलसी राकेश राणा और बसपा से भाजपा में शामिल पूर्व एमएलसी श्याम नारायण सिंह उर्फ विनीत सिंह का परिवार शामिल है।
इनमें से किसी भी जमीन की खरीद में कोई गड़बड़ी रिपोर्ट नहीं की गई। कुछ खरीदारों ने तो जमीन बेच भी दी है। लेकिन अखबार ने इस बात को प्रमुखता से उठाया है कि अयोध्या में जमीन का सर्किल रेट 7 साल से नहीं बढ़ाया गया है जिसके आधार पर स्टांप ड्यूटी तय होती है। वैसे अयोध्या ही नहीं यूपी के 75 में 54 जिलों में 2017 के बाद सर्किल रेट नहीं बदला है। जिलाधिकारी (डीएम) सर्किल रेट की हर साल समीक्षा करते हैं। सर्किल रेट के आधार पर ही अधिग्रहण की स्थिति में सरकार मुआवजा देती है। यूपी सरकार ग्रामीण इलाकों में भूमि अधिग्रहण पर सर्किल रेट का चार गुना और शहरी क्षेत्रों में दोगुना मुआवजा देती है।
अयोध्या के एक किसान दुर्गा प्रसाद यादव ने सर्किल रेट बढ़वाने के लिए 2021 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में एक याचिका लगाई। राज्य सरकार ने 2022 में हाईकोर्ट को जवाब दिया कि 2018, 2019, 2020 और 2021 में सर्किल रेट की समीक्षा की गई थी लेकिन बाजार भाव 2017 जैसा ही था इसलिए कोई बदलाव नहीं हुआ। यूपी के स्टांप और रजिस्ट्रेशन के आईजी रूपेश कुमार ने अखबार को बताया कि 2022 और 2023 में अयोध्या में सर्किल रेट बढ़ाने का प्रस्ताव था लेकिन सरकार ने मंजूरी नहीं दी। उन्होंने कहा कि 2023 में 21 जिलों में सर्किल रेट बदला जिसमें अयोध्या के पड़ोसी जिले बस्ती और गोंडा शामिल हैं।
सरकार के सूत्रों के हवाले से इंडियन एक्सप्रेस ने दावा किया है कि आम तौर पर उन इलाकों में सर्किल रेट यथावत रखने की कोशिश होती है जहां सरकार को किसी परियोजना के लिए जमीन खरीदने की जरूरत हो ताकि मुआवजा में कम खर्च आए। अयोध्या में यूपी आवास विकास परिषद 1800 एकड़ का एक टाउनशिप बनाने जा रही है। इसके लिए जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया चल रही है। मार्च तक 600 एकड़ की खरीद हो चुकी है और बाकी के अधिग्रहण का काम चल रहा है।