Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Police does not have right investigate cases disobeying orders public servants important decision Lucknow Bench High Court regarding IPC Section 188

लोकसेवक के आदेश की अवहेलना मामलों में विवेचना का अधिकार पुलिस को नहीं, धारा 188 को लेकर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि लोकसेवक द्वारा पारित आदेश की अवहेलना के अपराध से सम्बंधित आईपीसी की धारा 188 में विवेचना का अधिकार पुलिस को नहीं है।

विधि संवाददाता लखनऊSat, 16 March 2024 07:20 PM
share Share

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने एक महत्वपूर्ण निर्णय पारित करते हुए कहा है कि लोकसेवक द्वारा पारित आदेश की अवहेलना के अपराध से सम्बंधित आईपीसी की धारा 188 में विवेचना का अधिकार पुलिस को नहीं है। न्यायालय ने प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए कहा है कि उक्त धारा के तहत सम्बंधित अधिकारी मजिस्ट्रेट के समक्ष परिवाद दाखिल कर सकता है। न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि चुनाव के सम्बंध में अवैध भुगतान की आईपीसी की धारा 171 एच में प्रत्याशी के खिलाफ मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उक्त धारा प्रत्याशी से भिन्न व्यक्ति पर ही लगाई जा सकती है।

यह निर्णय न्यायमूर्ति शमीम अहमद की एकल पीठ ने अयोध्या निवासी मो. राशिद खान की याचिका पर पारित किया है। याची की ओर से अधिवक्ता चंदन श्रीवास्तव ने दलील दी कि स्थानीय निकाय चुनाव, 2017 में याची अयोध्या के सरदार भगत सिंह वार्ड से प्रत्याशी था। चुनाव के दौरान बिजली के एक पोल पर उसका पोस्टर लगा होने के आरोप में स्थानीय चौकी इंचार्ज द्वारा एफआईआर दर्ज कराई गई तथा विवेचना के उपरांत याची के विरुद्ध आईपीसी की धारा 171 एच और 188 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया। तत्पश्चात आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए, निचली अदालत ने याची को तलब कर लिया।

दलील दी गई कि सीआरपीसी की धारा 195(1) प्रावधान करती है कि 188 के तहत परिवाद पर ही संज्ञान लिया जा सकता है जबकि धारा 171 एच असंज्ञेय प्रकृति की है जिसे किसी चुनाव के प्रत्याशी पर नहीं लगाया जा सकता। न्यायालय ने याची के विरुद्ध दाखिल आरोप पत्र व निचली अदालत के तलबी आदेश को निरस्त करते हुए, अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि प्रावधानों के तहत उक्त धारा 188 के तहत अपराध के मामले में कोर्ट आरोप पत्र पर संज्ञान नहीं ले सकती जबकि धारा 171 एच प्रत्याशी से भिन्न व्यक्ति पर ही लगाई जा सकती है।

अगला लेखऐप पर पढ़ें