ओडिशा से दिल्ली जा रहे किसानों को नहीं रोक सकी पुलिस, नोकझोंक के बाद जाने की इजाजत
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने ओडिशा से दिल्ली जा रहे किसानों को यूपी में घुसने से पुलिस नहीं रोक सकी। सुबह से ही चंदौली के नौबतपुर सीमा पर मौजूद पुलिस बल के साथ कुछ देर...
कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों को समर्थन देने ओडिशा से दिल्ली जा रहे किसानों को यूपी में घुसने से पुलिस नहीं रोक सकी। सुबह से ही चंदौली के नौबतपुर सीमा पर मौजूद पुलिस बल के साथ कुछ देर तक किसानों की नोकझोंक हुई। बिहार से राष्ट्रीय जनता दल के विधायकों और कार्यकर्ताओं के किसानों के समर्थन में पहुंचने से मामला बिगड़ते देख पुलिस ने किसानों को जाने की इजाजत दे दी।
कृषि कानूनों के विरोध में नई दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकालने का ऐलान किया है। इसमें शामिल होने के लिए ओडिशा से भी पांच सौ से ज्यादा किसानों का जत्था पांच बसों और कई छोटे वाहनों से सड़क मार्ग से दिल्ली रवाना हुआ है। बिहार से मंगलवार की सुबह किसानों के चंदौली के रास्ते यूपी में प्रवेश करने की सूचना के बाद नौबतपुर में बार्डर पर भारी पुलिस फोर्स तैनात कर दी गई। एसपी अमित कुमार ने कहा कि किसानों को बार्डर पर ही रोका जाएगा। एसडीएम सदर विजय नरायण सिंह, सीओ सदर कुंवर प्रताप सिंह, सीओ चकिया प्रीति त्रिपाठी को कमान संभालने की जिम्मेदारी दे दी गई।
दोपहर करीब दो बजे किसानों का जत्था बिहार से यूपी की सीमा में पहुंचा तो पुलिस ने उन्हें रोका और वापस जाने को कहा। एएसपी प्रेमचंद के नेतृत्व में फोर्स ने किसानों को समझाने की कोशिश की। इसे लेकर किसानों के साथ नोकझोंक शुरू हो गई। किसानों का समर्थन करने बिहार से रामगढ़ के विधायक सुधाकर सिंह व भभुआ विधायक भरत बिंद भी काफी कार्यकर्ताओं के साथ पहुंच गए। बड़ी संख्या में राष्ट्रीय जनता दल के कार्यकर्ताओं के पहुंचने से मामला बिगड़ता देख पुलिस ने विधायकों को कार्यकर्ताओं के साथ लौटने और किसानों को दिल्ली के लिए जाने देने की इजाजत दे दी।
अस्थायी जेल बनाने की तैयारी थी
इससे पहले जिला प्रशासन की ओर से ओडिशा से दिल्ली जाने वाले किसानों को रोकने और उन्हें रखने की तैयारी भी शुरू कर दी थी। नौबतपुर बार्डर पर अस्थायी जेल के लिए जगह की तलाश की जा रही थी। बार्डर पर निजी स्कूल के संचालक से भी भवन को 26 जनवरी तक देने के लिए बात की गई है।
जिले के किसानों पर भी नजर
जिला प्रशासन की ओर से गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली में शामिल होने वाले संभावित किसान संगठनों ने नेता और किसानों को भी गोपनीय ढंग से चिह्नित करना शुरू कर दिया है। इससे विभागीय कर्मचारियों के अलावा एलआईयू की भी मदद ली जा रही है।
बनारस के होटल में थी भोजन की तैयारी, प्रशासन ने रोका
किसानों के जत्थे को पहले सोमवार की रात ही बिहार से यूपी सीमा में प्रवेश कर बनारस में रात्रि विश्राम करना था। इसी बीच बिहार के भभुआ पहुंचने पर किसानों को पता चला कि बनारस में जहां उनके रुकने और भोजन की तैयारी थी, उसे प्रशासन ने सील कर दिया है। इसे देखते हुए किसानों का जत्था मोहनिया के एक स्कूल में ही रुक गया और रात्रि विश्राम वहीं पर करने के बाद सुबह रवाना होने की तैयारी की गई। किसानों का कहना है कि पुलिस जहां भी हमें रोकेगी वहीं पर धरना शुरू कर दिया जाएगा। किसान वापस नहीं जाने वाले हैं।