यहां कोरोना से उबरे 3000 मरीजों में से 96 की मौत, वजह तलाशेगा एम्स
कोरोना के बाद से अस्वाभाविक मौतों की संख्या बढ़ गई है। एम्स अब ऐसी मौतों की वजह तलाशेगा। वर्बल ऑटोप्सी की जाएगी। यह वर्बल आटोप्सी एम्स द्वारा पहली लहर के दौरान चिन्हित 3000 मरीजों पर होगी।
Deaths after Corona: कोरोना के बाद से अस्वाभाविक मौतों की संख्या बढ़ गई है। एम्स अब ऐसी मौतों की वजह तलाशेगा। इसके लिए एम्स वर्बल ऑटोप्सी करने जा रहा है। यह वर्बल आटोप्सी एम्स द्वारा पहली लहर के दौरान चिन्हित 3000 मरीजों पर होगी। इनमें से 96 की मौत पिछले ढाई साल में हुई है।
देश में कोरोना की पहली लहर वर्ष 2020 में आई। उसके बाद रोग प्रतिरोधक क्षमता की जांच के लिए देश के 20 संस्थानों ने मरीजों की निगरानी शुरू की। गोरखपुर एम्स ने भी 3000 लोग चिन्हित किए। इसमें 1500 शहरी क्षेत्र से और उतने ही ग्रामीण क्षेत्र के हैं। इनकी उम्र 18 से 70 वर्ष के बीच में है। सबसे पहले 2020 में इनके खून का नमूना लिया गया। जिससे कोविड एंटीबॉडी टाइटर की पहचान की गई।
इसके बाद हर 6 महीने पर इनके खून का नमूना लेकर जांच होने लगी। खून के नमूने जांच के बाद एम्स दिल्ली भेज दिए जाते हैं। एम्स दिल्ली ही रिसर्च का नोडल है। कोरोना से संक्रमित हुए हैं लोग इन 3000 लोगों में से कुछ तो कोरोना के चलते गंभीर रूप से बीमार पड़े। कुछ पहले से बीपी, शुगर के मरीज रहे। समय-समय पर हुई जांच में इनमें कोविड एंटीबॉडी मिली है।
96 की हो चुकी है मौत
पिछले ढाई साल के दौरान इन 3000 लोगों में से 96 की मौत हो चुकी है। अब इन मौतों की वजह की पहचान एम्स करेगा।। इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देश पर वर्बल ऑटोप्सी हो रहा है। सभी संस्थान वर्बल आटोप्सी की रिपोर्ट जनवरी के पहले हफ्ते तक सबमिट करेंगे।
ऐसी होगी वर्बल ऑटोप्सी
एम्स की कार्यकारी निदेशक डॉ. सुरेखा किशोर ने बताया कि वर्बल ऑटोप्सी के लिए प्रश्नोत्तरों की एक श्रृंखला डब्ल्यूएचओ ने तैयार की है। एम्स की टीम मरने वाले व्यक्ति के घर जाएगी। वह मौत की वजह के लिए परिजनों की बीमारी का इतिहास लेगी। मरने वाले व्यक्ति को पहले से कोई बीमारी थी या नहीं थी, इसका पता लगाएगी। जरूरत पर परिजनों का रक्त संग्रह भी किया जाएगा। जिससे बीमारियों की जानकारी हो सके।
इस दौरान जिन मरीजों में पहले से ब्लड प्रेशर, शुगर, कैंसर या अन्य कोई बीमारी थी और उनकी मौत हुई, उन्हें छांट कर अलग कर लिया जाएगा। इसके बाद बगैर बीमारी वाले लोगों की मौत पर ही विश्लेषण होगा। उनकी मौत के कारण को जानने की कोशिश की जाएगी।
हार्ट अटैक के मरीजों पर भी रिसर्च
बिना मेडिकल हिस्ट्री के हार्ट अटैक से जान गंवाने वाले युवाओं पर भी एम्स रिसर्च करने जा रहा है। हाल में इसके संख्या तेजी से बढ़ी है। सोमवार को एम्स के छात्र को भी दिल का दौरा पड़ गया। बीआरडी मेडिकल कॉलेज में एक चिकित्सक की इससे मौत हुई। महानगर के डिग्री कॉलेज में 19 वर्षीय छात्र की मौत भी दिल का दौरा पड़ने से हुई।
ऐसी घटनाओं में तेजी से इजाफा देखने को मिल रहा है। एम्स प्रशासन इसको लेकर रिसर्च करने जा रहा है। एम्स गवर्निंग बॉडी के प्रेसिडेंट देश दीपक वर्मा ने कहा कि यह बेहद गंभीर विषय है। इसको हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए। एम्स एक प्रीमियर रिसर्च इंस्टीट्यूट है। वह इसकी वजहों की तलाश करेगा।