SC ST Reservation Sub Quota :ओपी राजभर की पार्टी ने किया एससी-एसटी के आरक्षण में बंटवारे का समर्थन, रखी यह भी मांग
ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने एससी-एसटी के आरक्षण में बंटवारे का समर्थन किया है। इसके साथ ही ओबीसी के आरक्षण में भी कोटे के अंदर कोटे की मांग कर दी है।
ओपी राजभर की पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) ने एससी-एसटी के आरक्षण में बंटवारे का समर्थन किया है। इसके साथ ही ओबीसी के आरक्षण में भी कोटे के अंदर कोटा लागू करने की मांग कर दी है। सुभासपा के राष्ट्रीय महासचिव और ओपी राजभर के बेटे अरूण राजभर ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा एससी-एसटी आरक्षण में अधिक पिछड़ी जातियों को अलग कोटा देने के फैसले का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि एससी-एसटी की तरह ओबीसी आरक्षण में भी सर्वाधिक पिछड़ी जातियों को अलग कोटा देने पर भी विचार किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के अनुसार एससी-एसटी में ऐसी जातियां हैं जो सदियों से उत्पीड़न का सामना कर रही हैं। बाबा साहेब अंबेडकर के भाषण का हवाला देते हुए कहा कि पिछड़े समुदायों को प्राथमिकता देना राज्यों का कर्तव्य है। एससी-एसटी के अंतर्गत ऐसी श्रेणियां हैं जिन्हें सदियों से उत्पीड़न का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में उन्हें कैटिगरी में बांटा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन नहीं करता है। यह एससी-एसटी को उप वर्गीकरण की अनुमति देता है।
अरुण राजभर ने कहा कि पिछड़ी जातियों में अत्यधिक पिछड़ी व सर्वाधिक पिछड़ी जातियों का कोटा भी अलग करने का समय आ गया है। सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी इसके लिए अपनी स्थापना के समय से लड़ाई लड़ रही है। पार्टी की मांग पर 2018 में जस्टिस राघवेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाली सामाजिक न्याय समिति ने अपनी रिपोर्ट भी सौंप दी थी। प्रदेश की सरकार को रिपोर्ट को तत्काल लागू करने की पहल करनी चाहिए। ताकि अतिपिछड़ों और अतिदलितों को न्याय मिल सके और इनकी भी सभी क्षेत्रों में भागीदारी सुनिश्चित हो सके।
कहा कि 27% आरक्षण में ओबीसी वर्ग में कुछ विशेष जातियां आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह काबिज हो गए। वही 22.5% दलित आरक्षण में दलित वर्ग में कुछ विशेष जातिया आरक्षण की सुविधा पर पूरी तरह काबिज हो गई हैं। इसकी वजह से इसका लाभ समान रूप से सभी जातियों को नहीं पहुंच रहा है। आरक्षण की सुविधा लेकर एक ऐसा संपन्न वर्ग विकसित हो गया, जिसने आरक्षण की सभी सुविधाएं अपने तक केन्द्रित कर ली हैं। जो रोटी मिल बांट कर खानी थी, उसको उसी वर्ग के कुछ विशेष जातियों ने अकेले खा ली और अन्य समुदाय सामाजिक न्याय से वंचित रह गए।