पीला गमछा बन गया ओपी राजभर के गले की फांस? पहचानने से इनकार पर जिलाध्यक्ष ने भेजा इस्तीफा
सुभासपा के जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप ने इस्तीफा दे दिया है। लिखा है कि ओमप्रकाश राजभर को वह चार वर्ष से पूरी निष्ठा के साथ पार्टी की सेवा कर रहे थे। अब उन्होंने पहचानने से ही इनकार कर दिया है।
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री बनते ही पीला गमछा डालकर थाने में जाने की हुंकार भरने वाले सुभासपा प्रमुख ओपी राजभर का यह दांव उलटा पड़ता दिख रहा है। ऐसा लग रहा है कि यह बयान उनके ही गले की फांस बन गया है। राजभर के बयान के बाद फर्रुखाबाद में सुभासपा का नेता पीला गमछा डालकर थाने पहुंचा तो दांव उल्टा पड़ गया। थानेदार ने हेकड़ी निकाल दी। गमछा उतरवा दिया और अपने पास रखवा लिया। अपने नेता के साथ थाने में हुए दुर्व्यवहार की चर्चा फर्रुखाबाद के जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप ने मीडिया के सामने आकर कर दी तो राजभर ने झेपते हुए उन्हें ही पहचानने से इनकार कर दिया। इससे आहत जिलाध्यक्ष ने अब सुभासपा से इस्तीफा दे दिया है।
जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप ने अपने इस्तीफे में लिखा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को वह चार वर्ष से पूरी निष्ठा के साथ पार्टी की सेवा कर रहे थे। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अब पहचानने से ही इनकार कर दिया है। सभी के सामने कह दिया कि जिलाध्यक्ष को नही जानते हैं। संजेश ने कहा कि इससे आहत होकर अपनी पूरी टीम के साथ पार्टी से इस्तीफा दे रहे हूं। संजेश के इस्तीफे के बाद अब लोग चटकारे लेकर इस मामले की चर्चा कर रहे हैं।
क्या है पूरा मामला
कैबिनेट मंत्री बनने के बाद ओमप्रकाश राजभर ने कार्यकर्ताओं से कहा था कि एक पीला गमछा गले में डालकर थाने जाओ। दरोगा से कहो मंत्री ने भेजा है। उनकी पूरी बात सुनी जाएगी। कोई दारोगा मुझे फोन नहीं करेगा। दारोगा क्या डीजीपी भी नहीं करेगा। अपने कार्यकर्ताओं को दी गई सलाह के बाद फर्रुखाबाद में एक नेता संतराम पीला गमछा डालकर थाने पहुंच गए।
पार्टी के विधानसभा क्षेत्र अध्यक्ष संतराम का रुपयों के लेन देन को लेकर एक व्यक्ति से विवाद चल रहा है। रविवार को मामले की शिकायत पर थानाध्यक्ष ने संतराम को थाने में बुला लिया था। इस दौरात थानाध्यक्ष ने संतराम को दफ्तर में बैठा लिया। उनका पीला गमछा और मोबाइल फोन रखवा लिया। इस बीच जिलाध्यक्ष संजेश कश्यप से संतराम ने शिकायत की।
जिलाध्यक्ष भी पीला गमछा डाले कई कार्यकर्ताओं के साथ थाने पहुंच गये। थाने पर इसको लेकर हंगामा खड़ा हो गया। थानाध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं को समझाने की कोशिश की। काफी देर तक हंगामा चला। बाद में पदाधिकारी पुलिस अधीक्षक से शिकायत करने की बात कर वहां से निकल आये।
जिलाध्यक्ष ने पीला गमछा उतरवा लेने की बात मीडिया में कही तो वीडियो वायरल हो गया। जिलाध्यक्ष की जगह ओपी राजभर की सलाह को लेकर चर्चा होने लगी। ओपी राजभर से भी मीडिया ने उनका पक्ष जानने की कोशिश की गई तो कह दिया कि जिलाध्यक्ष को पहचानते ही नहीं हैं। कह दिया कि वहां कौन जिलाध्यक्ष है नहीं जानता। इसी से नाराज होकर अब जिलाध्यक्ष ने इस्तीफा दे दिया है।