कभी 74 निर्दलीय पहुंचे थे विधानसभा, इस बार खाता तक नहीं खुला
एक वक्त था जब यूपी में निर्दलीय विधायक सरकार बनाने बिगाड़ने की हैसियत रखते थे और अब इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों का खाता तक नहीं खुला। इस बार कोई भी निर्दलीय जीतने में सफल नहीं हो पाया है। वर्ष...
एक वक्त था जब यूपी में निर्दलीय विधायक सरकार बनाने बिगाड़ने की हैसियत रखते थे और अब इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों का खाता तक नहीं खुला। इस बार कोई भी निर्दलीय जीतने में सफल नहीं हो पाया है। वर्ष 2017 के चुनाव में तीन निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल हुए थे, जिसमें से दो इस बार अपनी खुद की पार्टी से विधायक चुने गए हैं और तीसरे दल के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर भी हार गए।
एक समय था प्रदेश की विधानसभा में 74 सीट निर्दलीयों के खाते में आ गई थी। इस बार जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या तथा विनोद सरोज वर्ष 2017 तक निर्दलीय जीतते आ रहे थे। पिछली बार निर्दलीय विधायक चुने गए अमन मणि त्रिपाठी इस बार बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में आने के बाद भी चुनाव हार गए। वैसे पिछले चार चुनावों से निर्दलीय विधायकों की संख्या लगातार घट रही है। बीस साल पहले 2002 के चुनाव में निर्दलीय विधायकों की संख्या 16 थी, जो लगातार कम होते होते-होते शून्य तक पहुंच गई।
जब निर्दलीयों के हाथ में आ गई सरकार की चाबी
1952 के बाद से यूपी में लगातार बहुमत पा रही कांग्रेस को 1967 के चुनाव में झटका लगा और 425 सीटों में केवल 199 ही पा सकी और जनसंघ (यानी आज की भाजपा) को 98 सीट मिलीं थीं। और बड़ी संख्या में 37 निर्दलीय विधायक जीते। उस वक्त सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के मुकाबले जनसंघ समेत सभी विपक्षी दलों ने संयुक्त विधायक दल (संविद) बनाया। निर्दलीय विधायक राम चंद्र विकल को संविद ने अपना नेता चुना। तत्कालीन राज्यपाल विश्वनाथ दास के सामने रामचंद्र विकल ने व कांग्रेस के चंद्रभानु गुप्ता के क्रमश: 215 व 223 विधायकों की सूची रखी।
निर्दलीय विधायकों ने शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । सरकार गठन के दावेदार दोनों ही दल निर्दलीय विधायकों को अपने-अपने पक्ष में करने में प्रयासरत थे। राज्यपाल ने चंद्रभानु गुप्त को बड़े दल के नाते सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। पर 18 दिन में ही दिन कांग्रेस के सदस्यों के टूटने व निर्दलीयो के विपक्ष में आने से चंद्रभानु गुप्त सरकार राज्यपाल के अभिभाषण पर गिर गई। यूपी के इतिहास में बीच में सरकार गिरने यह पहला मौका था।
निर्दलीय प्रत्याशियों का प्रदर्शन
वर्ष प्रत्याशियों की संख्या विधायकों की संख्या
1952 1006 15
1957 660 74
1962 702 31
1967 1239 37
1969 659 18
1974 1516 05
1977 1995 16
1980 2267 17
1985 3768 23
1989 3710 40
1991 5007 07
1993 6557 08
1996 2031 13
2002 2353 16
2007 2581 09
2012 1691 06
2017 1462 03
2022 1019 00