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कभी 74 निर्दलीय पहुंचे थे विधानसभा, इस बार खाता तक नहीं खुला

एक वक्त था जब यूपी में निर्दलीय विधायक सरकार बनाने बिगाड़ने की हैसियत रखते थे और अब इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों का खाता तक नहीं खुला। इस बार कोई भी निर्दलीय जीतने में सफल नहीं हो पाया है। वर्ष...

Dinesh Rathour प्रमुख संवाददाता, लखनऊSat, 12 March 2022 08:45 PM
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एक वक्त था जब यूपी में निर्दलीय विधायक सरकार बनाने बिगाड़ने की हैसियत रखते थे और अब इस बार निर्दलीय प्रत्याशियों का खाता तक नहीं खुला। इस बार कोई भी निर्दलीय जीतने में सफल नहीं हो पाया है। वर्ष 2017 के चुनाव में तीन निर्दलीय चुनाव जीतने में सफल हुए थे, जिसमें से दो इस बार अपनी खुद की पार्टी से विधायक चुने गए हैं और तीसरे दल के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर भी हार गए।

एक समय था प्रदेश की विधानसभा में 74 सीट निर्दलीयों के खाते में आ गई थी। इस बार जनसत्ता दल (लोकतांत्रिक) के प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैय्या तथा विनोद सरोज वर्ष 2017 तक निर्दलीय जीतते आ रहे थे। पिछली बार निर्दलीय विधायक चुने गए अमन मणि त्रिपाठी इस बार बसपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव मैदान में आने के बाद भी चुनाव हार गए।  वैसे पिछले चार चुनावों से निर्दलीय विधायकों की संख्या लगातार घट रही है। बीस साल पहले 2002 के चुनाव में निर्दलीय विधायकों की संख्या 16 थी, जो लगातार कम होते होते-होते शून्य तक पहुंच गई। 

जब निर्दलीयों के हाथ में आ गई सरकार की चाबी

1952 के बाद से यूपी में लगातार बहुमत पा रही  कांग्रेस को 1967 के चुनाव में झटका लगा और 425 सीटों में केवल 199 ही पा सकी और जनसंघ (यानी आज की भाजपा) को 98  सीट मिलीं थीं। और बड़ी संख्या में 37 निर्दलीय विधायक जीते। उस वक्त सरकार बनाने के लिए कांग्रेस के मुकाबले जनसंघ समेत सभी विपक्षी दलों ने संयुक्त विधायक  दल (संविद) बनाया। निर्दलीय विधायक राम चंद्र विकल को संविद ने अपना नेता चुना। तत्कालीन राज्यपाल विश्वनाथ दास के सामने रामचंद्र विकल ने व कांग्रेस के चंद्रभानु गुप्ता के क्रमश: 215 व  223 विधायकों की सूची रखी।  

निर्दलीय विधायकों ने शक्ति संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । सरकार गठन के दावेदार दोनों ही दल निर्दलीय विधायकों को अपने-अपने पक्ष में करने में प्रयासरत थे। राज्यपाल ने चंद्रभानु गुप्त को बड़े दल के नाते सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया। पर 18 दिन में  ही दिन कांग्रेस के सदस्यों के टूटने व निर्दलीयो के विपक्ष में आने से चंद्रभानु  गुप्त सरकार राज्यपाल के अभिभाषण पर गिर गई। यूपी के इतिहास में बीच में सरकार गिरने यह पहला मौका था। 

निर्दलीय प्रत्याशियों का प्रदर्शन

वर्ष              प्रत्याशियों की संख्या         विधायकों की संख्या
1952           1006                                   15
1957           660                                     74
1962           702                                     31
1967           1239                                   37
1969           659                                     18
1974           1516                                   05
1977           1995                                   16
1980            2267                                  17
1985            3768                                  23
1989            3710                                  40
1991            5007                                  07
1993            6557                                  08
1996            2031                                   13
2002            2353                                   16
2007            2581                                   09
2012            1691                                   06
2017            1462                                   03
2022            1019                                   00


 

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