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कानपुर-लखनऊ हाईवे पर अब एक और जगह देना होगा टोल

एनएचएआई ने लखनऊ हाईवे से आने-जाने वाले वाहनों पर बड़ा बोझ डालने की तैयारी शुरू कर दी है। रामादेवी से जाजमऊ गंगा पुल उस पार तक हाईवे का मेन्टीनेंस नहीं हो पा रहा है। 5 किलोमीटर एलीवेटेड हाईवे के...

Shivendra Singh प्रमुख संवाददाता , कानपुर।Wed, 13 Nov 2019 07:31 AM
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एनएचएआई ने लखनऊ हाईवे से आने-जाने वाले वाहनों पर बड़ा बोझ डालने की तैयारी शुरू कर दी है। रामादेवी से जाजमऊ गंगा पुल उस पार तक हाईवे का मेन्टीनेंस नहीं हो पा रहा है। 5 किलोमीटर एलीवेटेड हाईवे के मेन्टीनेंस पर एनएचएआई को हर साल करोड़ों रुपए खर्च करने पड़ रहे हैं। इसलिए एनएचएआई ने अब जाजमऊ गंगा पुल उस पार नया टोल बनाकर हर वाहन से टोल लेने का प्रस्ताव कर दिया है। इस टोल पर एनएचएआई ने न्यूनतम टोल का प्रस्ताव किया है ताकि इसी के सहारे मेन्टीनेंस एजेन्सी को नियुक्त किया जा सके और एलीवेटेड का मेन्टीनेंस भी होता रहे।

एनएचएआई ने इंडियन हाईवे मैनेजमेन्ट कम्पनी को प्रस्ताव देकर रिपोर्ट मांगी है। प्रस्ताव में साफ किया गया है कि जाजमऊ में गंगा पर दो पुल अलग-अलग हैं। पुराने पुल पर हर साल मेन्टीनेंस पर औसतन डेढ़ करोड़ की धनराशि खर्च होती है। साथ ही एनएच-2 तक लखनऊ एलीवेटेड पुल के रखरखाव का हर साल ठेका देना पड़ता है। अभी तक एलीवेटेड पुल के लिए कोई भी मेन्टीनेंस एजेन्सी  नियुक्त नहीं की गई है। एनएचएआई को अपने बजट से ही मेन्टीनेंस कराना पड़ता है। सफीपुर में दोनों तरफ रैम्प भी बने हैं। उनका भी एनएचएआई अपने बजट से ही मेन्टीनेंस करता है। 

लखनऊ रीजन और पीएनसी को आपत्ति
रामादेवी से लेकर गंगा उस पार तक करीब 7 किलोमीटर के मेंटीनेंस की जिम्मेदारी एनएचएआई की है। बाकी हाईवे का मेंटीनेंस पीएनसी कर रही है। मेन्टीनेंस बोझ कम करने के लिए एनएचएआई कानपुर रीजन ने प्रस्ताव दिया था कि पीएनसी नवाबगंज में टोल बढ़ा दें और वाहनों से वसूली गई अतिरिक्त धनराशि एनएचएआई को भुगतान कर दें। इस प्रस्ताव पर एनएचएआई लखनऊ रीजन और मेन्टीनेंस एजेन्सी पीएनसी इंफ्राटेक ने अव्यवहारिक बताकर खारिज कर दिया है। पीएनसी इंफ्राटेक ने वसूली पर सख्त आपत्ति जताई। उसकी दलील है कि अपने प्लाजा से वह अपने हिस्से का टोल वसूलती है।

एनएचएआई को यदि मेंटीनेंस चार्ज चाहिए तो अपना टोल बनाए। इसके बाद एनएचएआई ने जाजमऊ से गंगा पार करते ही वाहनों से टोल लेने का प्रस्ताव किया है। एनएचएआई ने तर्क दिया है कि एलीवेटेड पुल और गंगा पुलों का मेन्टीनेंस करने के लिए एनएचएआई को हर साल तीन से पांच करोड़ तक की धनराशि खर्च करनी पड़ती है। एनएचएआई ने इंडियन हाईवे मैनेजमेन्ट कम्पनी से सर्वे कर रिपोर्ट बनाने मांगी है। रिपोर्ट में यह तथ्य भी मांगा गया है कि वाहनों से कितना टोल लिया जाए जिससे एलीवेटेड पुल का मेन्टीनेंस होता रहे।

न्यूनतम टोल का प्रस्ताव किया 
वाहनों पर न्यूनतम टोल का प्रस्ताव किया गया है। इसमें 25-30 रुपए या उससे कम भी टोल रेट हो सकता है। एनएचएआई ने इंडियन हाईवे मैनेजमेन्ट कम्पनी को प्रस्ताव तो किया है लेकिन इस पर फैसला कम्पनी की सर्वे रिपोर्ट के बाद ही लिया जाएगा। साथ ही नया टोल लेने को मुख्यालय से मंजूरी जरूरी होगी। 

गंगा उस पार टोल लेने के लिए इंडियन हाईवे मैनेजमेन्ट कम्पनी को प्रस्ताव किया गया है। कम्पनी जो भी रिपोर्ट देगी, उसी के हिसाब से फैसला लिया जाएगा। एलीवेटेड पुल का मेन्टीनेंस इसी तरह किया जा सकता है जिसमें मेन्टीनेंस एजेन्सी भी नियुक्त हो जाएगी। -पुरुषोत्तम लाल चौधरी, प्रोजेक्ट डायरेक्टर एनएचएआई

टोल देकर भी टूटे हाईवे से गुजर रहे वाहन
एनएचएआई लखनऊ हाईवे से सफर करने पर टोल वसूल रही है पर सुविधाओं के नाम पर वाहन स्वामियों के साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। रामादेवी से लखनऊ तक सड़क गड्ढों वाली मिल रही है। हाईवे के किनारों पर सिल्ट से धूल उड़ रही है। गंगापुल पर भी हिचकोले खाने पड़ रहे हैं। ऐसे में अब एक और टोल लगाने की तैयारी की जा रही है। वाहन स्वामी इसका खुला विरोध कर रहे हैं। 

एलीवेटेड पुल पर अंधेरा मिलता
दिल्ली से आने वाले वाहनों को एलीवेटेड पुल पर अंधेरा मिलता है। दोनों किनारों पर इतनी सिल्ट जमा है कि वाहन धीमा ही चलाना पड़ता है। गंगा पुल पर वाहनों को गड्ढों के कारण रेंगकर चलना पड़ता है। लखनऊ जाने में तो गड्ढों वाली सड़क से ही वाहन स्वामियों को दो-चार होना पड़ता है। एनएचएआई लखनऊ रीजन ने सड़क मरम्मत का काम शुरू किया है लेकिन उन्नाव से कानपुर के बीच अभी भी पैचवर्क नहीं किया गया है। वाहन स्वामी अजय शुक्ल, विधायक सुहैल अंसारी का कहना है कि टोल लेकर अर्से से हाईवे की खराब सड़क ही मिल रही है। 

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