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अब घर बैठे कोई भी सीख सकता है ज्योतिष और कर्मकांड, बनारस के संस्कृत यूनिवर्सिटी की पहल, ऐसे होगा दाखिला

वाराणसी का 231 वर्ष पुराना संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जल्द ही सूचना क्रांति युग से कदमताल करता दिखेगा। विश्वविद्यालय अब संस्कृत संभाषण, ज्योतिष और कर्मकांड जैसी विधाओं का ऑनलाइन प्रशिक्षण देगा।

Yogesh Yadav अभिषेक त्रिपाठी, वाराणसीWed, 5 July 2023 11:40 PM
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वाराणसी का 231 वर्ष पुराना संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय जल्द ही सूचना क्रांति युग से कदमताल करता दिखेगा। संस्कृत शिक्षण के लिए पूरे देश का एक बड़ा केंद्र माना जाने वाला यह विश्वविद्यालय अब संस्कृत संभाषण, ज्योतिष और कर्मकांड जैसी विधाओं का ऑनलाइन प्रशिक्षण भी देगा। विश्वविद्यालय में यह केंद्र बनकर तैयार है और सात जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों इसके लोकार्पण की उम्मीद जताई जा रही है। खास यह है कि संस्कृत छात्रों के साथ ही आम जनता, नौकरीपेशा और गृहिणियां भी इस केंद्र से जुड़कर ऑनलाइन संस्कृत संभाषण व अन्य विधाएं सीख सकते हैं।

संस्कृत प्रसार के लिए बड़ी पहल

कोविड काल में ऑनलाइन शिक्षण व्यवस्था ने आम जनता के लिए संस्कृत सीखने का रास्ता खोल दिया। विश्वविद्यालय की तरफ से दिए गए प्रस्ताव को प्रदेश सरकार ने स्वीकृति देने के साथ ही 1 करोड़ 16 लाख 50 हजार रुपये भी जारी कर दिए। इसके तहत संस्कृत के तीन और छह महीने के सर्टिफिकेट कोर्स के साथ ही एक साल का डिप्लोमा भी चलाया जाएगा। ऑनलाइन प्रशिक्षण केंद्र की फीस भी बेहद सामान्य रखी जाएगी।

10 पाठ्यक्रमों से होगी शुरुआत

संस्कृत विश्वविद्यालय के श्रमण विद्या संकाय के भवन में स्थापित ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र में 10 पाठ्यक्रमों के साथ शुरुआत की जाएगी। इनमें संस्कृत भाषा शिक्षण, अर्चक, कर्मकाण्ड, ज्योतिष, वास्तु विज्ञान, व्याकरण, दर्शन, वेदान्त, योग और वेद शामिल किए गए हैं। आने वाले समय में संस्कृत व्याकरण, इतिहास, ग्रंथालय विज्ञान जैसे विषयों को भी इसमें शामिल किया जाएगा।

संस्कृत शिक्षकों को भी मिलेगी पहचान

ऑनलाइन प्रशिक्षण केंद्र के चलते संस्कृत के विद्वानों और शिक्षकों को भी पहचान मिलेगी। अमूमन संस्कृत भाषा के यह विद्वान चर्चाओं से दूर रह जाते हैं। योजना के मुताबिक संस्कृत विश्वविद्यालय के नियमित शिक्षकों के साथ अन्य राज्य विश्वविद्यालयों, निजी विश्वविद्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों, अशासकीय अनुदानित महाविद्यालयों और स्ववित्तपोषित महाविद्यालयों के नियमित शिक्षकों को भी शिक्षण में शामिल किया जाएगा। ज्योतिष, योग और वेदांत के बड़े विद्वानों को भी विशेष कक्षाओं के लिए आमंत्रित किया जाएगा।

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