Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Nishad Party s state executive committees of four states including UP and Maharashtra have been dissolved Sanjay Nishad s son had also lost in the Lok Sabha elections

निषाद पार्टी की यूपी, महाराष्ट्र समेत चार राज्यों की प्रदेश कार्यकारिणी भंग, संजय निषाद के बेटे को भी लोस चुनाव में मिली थी हार

संजय निषाद ने सोमवार को निषाद पार्टी की चार राज्यों की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के मोर्चा व प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया।

Yogesh Yadav हिन्दुस्तान, गोरखपुरMon, 1 July 2024 09:42 PM
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लोकसभा चुनाव के बाद राजनीतिक दलों में आत्ममंथन का दौर शुरू हो गया है। निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल (निषाद पार्टी) भी आत्ममंथन की प्रक्रिया से गुजर रही है। लोकसभा चुनाव में पार्टी व संगठन के लचर प्रदर्शन को देखते हुए हाई कमान ने सोमवार को अहम फैसला किया है। सोमवार को चार राज्यों की प्रदेश कार्यकारिणी को भंग कर दिया गया। इसके अलावा उत्तर प्रदेश में सभी प्रकार के मोर्चा व प्रकोष्ठों को तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया गया। राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के इस फैसले के बाद हड़कंप मच गया है। पार्टी के पदाधिकारी इसको लेकर आपस में चर्चा कर रहे हैं। संजय निषाद का बेटा प्रवीण निषाद भाजपा के साथ लड़ने के बाद भी संतकबीनगर से लोकसभा चुनाव हार गया था।

सोमवार को सबसे पहले गाज उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की प्रदेश कार्यकारिणी पर गिरी। इन चारों प्रदेश की कार्यकारिणी को तत्काल प्रभाव से भंग करने के निर्देश जारी किए गए। पार्टी के राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव अमेरिकन बिंद ने इसको लेकर पत्र जारी किया। इस पत्र को राष्ट्रीय अध्यक्ष के निर्देश पर जारी किया गया।

निषाद पार्टी की शुरुआत उत्तर प्रदेश से ही हुई है। यहां पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष व प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ संजय निषाद के बेटे इंजीनियर प्रवीण निषाद लोकसभा चुनाव हार गए। वह संत कबीर नगर से भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में थे। इस सीट को निषाद पार्टी ने अपनी प्रतिष्ठा बना लिया था। प्रदेश संगठन के सभी पदाधिकारी इस सीट को जीताने के लिए ताकत झोंके हुए थे। इसके बावजूद पराजय मिली। हालांकि पार्टी को भदोही में जरूर राहत मिली। जहां पार्टी के विधायक ही वहां से सांसद चुन लिए गए। वह भी भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे।

निषाद बहल बहुल्य क्षेत्र में फिसला वोट 
बताया जा रहा है कि निषाद ही पार्टी के कोर वोटर हैं। पार्टी को निषादों पर अपनी पकड़ कमजोर होती नजर आ रही है। लोकसभा चुनाव में इसके संकेत भी मिले। कई जिलों में निषाद बाहुल्य बूथों पर विपक्षी पार्टियों के प्रत्याशियों को अच्छी खासी संख्या में वोट मिले हैं। इसने भी संगठन के माथे पर शिकन ला दिया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष खुद निषाद बाहुल्य लोकसभा और विधानसभा में बूथवार समीक्षा कर रहे हैं। इसी के बाद यह फैसला किया गया है।

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