नवजातों की झिल्ली से मिलेगी जली और जख्मी आंखों को रोशनी, कानपुर में नेत्र बैंक प्रोजेक्ट तैयार
गर्भ में बच्चे को समेट कर रखने वाली सुरक्षा झिल्ली (एम्नियोटिक मेंब्रेन) जख्मी आंखों की संजीवनी बन सकती है। मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ जल्द ही गर्भस्थ शिशु की झिल्ली आंख के इलाज में इस्तेमाल होगी।
गर्भ में बच्चे को समेट कर रखने वाली सुरक्षा झिल्ली (एम्नियोटिक मेंब्रेन) जख्मी आंखों की संजीवनी बन सकती है। मेडिकल कॉलेज के विशेषज्ञ जल्द ही गर्भस्थ शिशु की झिल्ली रसायन या आग से जली आंख के उपचार में इसका इस्तेमाल करने लगेंगे। आंखों की सूख चुकी नसों के उपचार में भी यह काम आएगी। इसके लिए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में नेत्रबैंक का प्रोजेक्ट तैयार है। इसमें कार्निया के साथ झिल्ली (एम्नियोटिक मेंब्रेन) भी संरक्षित की जाएगी।
मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग की प्रो. डॉ शालिनी मोहन ने बताया कि आंख में चोट, रसायन, आग या अन्य कारणों से घाव हो जाते हैं। इससे आंख के भीतर स्टेम सेल क्षतिग्रस्त होते हैं। इन्हें बिना किसी अवरोध के बढ़ाने में एम्नियोटिक मेंब्रेन की परत लगाई जाती है। यह झिल्ली आंख की तरह ही नाजुक होती है। इसका उपयोग क्षतिग्रस्त आंख बचाने में किसी भी जा रहा है। इसके प्रयोग से घाव भरता है और आंख इस लायक हो जाती हैं कि उसमें कार्निया प्रत्यारोपण हो सके। उपचार में झिल्ली का प्रयोग करने के लिए आंख में टांके लगाने की जरूरत भी नहीं होती। इसे फाइब्रिन गोंद से चिपका दिया जाता है।। इतने वक्त में यह आंख के साथ समायोजित हो जाती है।
क्या है एम्नियोटिक मेंब्रेन
गर्भ के दौरान जिस झिल्ली में भूण विकसित होता है, उसे एम्नियोटिक मेम्ब्रेन कहा जाता है। प्रसव के बाद मेम्ब्रेन की जांच कर इसे कार्निया की तरह संरक्षित किया जाता है।
आंखों के इलाज का बड़ा प्रोजेक्ट
मेडिकल कालेज से सम्बद्ध हैलट के मेडिसिन विभाग के निकट 1000 वर्गमीटर जगह पर नेत्र बैंक बनेगा। जहां हर तरह की मशीनें और फ्रीजर होंगे। कार्निया और एम्नियोटिक मेंब्रेन के लिए अलग-अलग ब्लाक बनेंगे। क्रायो तकनीक से कार्निया को एक साल तक संरक्षित रखा जा सकेगा। हैलट के जच्चा-बच्चा अस्पताल में प्रसव से निकली एम्नियोटिक मेंब्रेन भी संरक्षित होंगी। इसके लिए 1.20 करोड़ रुपये जारी कर दिए गए हैं।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य, प्रो. संजय काला ने कहा कि नेत्र बैंक का प्रोजेक्ट तैयार है। इसमें एम्नियोटिक मेंब्रेन भी संरक्षित करेंगे। 18 जिलों से आने वाले क्षतिग्रस्त आंखों वाले मरीजों की रोशनी बचाने व कार्निया प्रत्यारोपण की रफ्तार बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा।