स्वास्थ्य सेवाओं में लंबी छलांग के लिए AIIMS और महायोगी गोरखनाथ विवि ने मिलाया हाथ, संसाधनों की साझेदारी का MOU साइन
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में लंबी छलांग के लिए शनिवार को एम्स गोरखपुर और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के बीच संसाधनों की साझेदारी का एमओयू...
चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में लंबी छलांग के लिए शनिवार को एम्स गोरखपुर और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के बीच संसाधनों की साझेदारी का एमओयू (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) साइन हो गया। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) की कार्यकारी निदेशक डा. सुरेखा किशोर और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय आरोग्यधाम के कुलपति मेजर जनरल डॉ अतुल वाजपेयी ने इस एमओयू के दस्तावेजों पर दस्तखत किए। इस मौके पर महायोगी गोरखपुर विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार प्रदीप राव और एम्स के प्रशासनिक अधिकारी भूपेश चंद्रा की भी मौजूदगी रही।
एमओयू पर खुशी जाहिर करते हुए एम्स गोरखपुर की डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर ने कहा कि हम गोरखपुर में बेहतरीन स्वास्थ्य सुविधा का संसार रचने की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। एम्स और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के चिकित्सकों, वैज्ञानिकों, शोधार्थियों का आपसी तालमेल, ज्ञान और तकनीक के आदान-प्रदान से हम गोरखपुर के नागरिकों को बेहतर से बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान कर सकेंगे।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति मेजर जनरल डॉ. अतुल वाजपेयी ने इस क्षण को पूर्वांचल में स्वास्थ्य सुविधाओं और चिकित्सा शिक्षा के लिहाज से ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि यह सर्वश्रेष्ठ शिक्षा और चिकित्सा सुविधाओं की उपलब्धता के बड़े लक्ष्य की ओर बढ़ा महत्वपूर्ण कदम है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश की दो बड़ी संस्थाओं के बीच करार के साथ-साथ आने वाले दिनों में कई अन्य संस्थाओं के बीच एक पूल बनाने की कोशिश भी है।
महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार डॉ.प्रदीप राव ने बताया कि जल्द ही बाबा राघव दास मेडिकल कालेज गोरखपुर, गोरखपुर जिला चिकित्सालय और आयुष विश्वविद्यालय के साथ भी ऐसे ही करार किए जाएंगे। कोशिश, गोरखपुर की स्वास्थ्य सम्बन्धी सभी संस्थाओं को एक कड़ी से जोड़ने की है। ताकि गोरखपुर में एक नए स्वास्थ्य संसार का सृजन हो।
इस कड़ी में शामिल सभी संस्थाएं स्वास्थ्य सेवा, शोध और हर तरह की चिकित्सा चुनौती से निपटने के लिए साथ मिलकर काम करेंगी। फेकेल्टी, अकादमिक एक्सचेंज से लेकर सभी उपलब्ध संसाधनों की साझेदारी के जरिए यह सुनिश्चित किया जाएगा कि चिकित्सा के क्षेत्र में कोई प्रश्न रहस्य न रह जाए और किसी मरीज का इलाज सुविधाओं के अभाव में बाधित न हो। इससे चिकित्सा के छात्रों, शिक्षकों, शोधकर्ताओं और मरीजों को बड़ा फायदा होगा। इसे ऐसे समझना चाहिए कि ये पूल बनने के बाद यदि किसी एक संस्था में कोई मरीज जाता है और वहां बेड उपलब्ध नहीं है तो जिस दूसरी संस्था में बेड उपलब्ध है वहां उसे भर्ती करा दिया जाएगा। इसी तरह यदि एलोपैथी की चिकित्सा ले रहे किसी मरीज को आयुर्वेद की भी सहायता की आवश्यकता है तो जहां ये सुविधा उपलब्ध है वहां से उसे मिल जाएगी।
ऐसे ही किसी रोग विशेष में इन संस्थाओं में से जहां विशेषज्ञ उपलब्ध होंगे उनकी सेवा ली जा सकेगी। वास्तव में इससे होगा ये कि मरीज एक बार किसी भी संस्था में पहुंच गया तो फिर उसकी चिकित्सा के किसी बिंदु पर विशेषज्ञता, जांच सुविधा या संसाधनों की उपलब्धता की बाधा नहीं आएगी। उसे मजबूरन किसी दूसरे बड़े शहर रेफर करने की नौबत नहीं आएगी। पूल में शामिल सभी संस्थाएं उसकी चिंता करेंगी। इसी तरह चिकित्सा के क्षेत्र में नित्य सामने आ रही चुनौतियों से निपटने के लिए सभी संस्थाएं मिलकर शोध की दिशा में आगे बढ़ेंगी। एक-दूसरे से ज्ञान का आदान-प्रदान करेंगी और प्रयास करेंगी कि कुछ भी रहस्य न रह जाए। डॉ.प्रदीप राव ने कहा कि वास्तव में यह एमओयू पूर्वांचल की दो नवीन और विशाल संस्थाओं की ओर से इस क्षेत्र को आरोग्य और ज्ञान के शिखर पर ले जाने की बड़ी पहल है।
हाल में ही हुआ है दोनों संस्थाओं का लोकार्पण
एम्स गोरखपुर और महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण हाल ही में हुआ है। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण 28 अगस्त 2021 को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने किया था। उसी दिन उन्होंने आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास भी किया था। जबकि एम्स का लोकार्पण सात दिसम्बर 2021 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया। महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय का लोकार्पण करने आए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा था कि गोरखपुर के 'सिटी ऑफ नॉलेज' बनने का सपना साकार हो रहा है। शनिवार को दोनों संस्थाओं के बीच एमओयू साइन होने के बाद डॉ.प्रदीप राव ने कहा कि 'ज्ञान का शहर' बनने की दिशा में हम निरंतर बढ़ते जा रहे हैं।