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मां की हत्‍या के बाद छोटी बहन को धमकाया, भूख लगने पर रोने लगी तो खाना बनाकर खिलाया

लखनऊ में पबजी के लिए मां की गोली मारकर हत्‍या करने वाले नाबालिग ने छोटी बहन को धमका कर चुप करा दिया। कुछ समय बाद भूख लगने पर रोने लगी तो उसने खाना बनाकर खिलाया। बहन डर के मारे दुबक कर घर में बैठी रही।

Ajay Singh मुख्‍य संवाददाता, लखनऊThu, 9 June 2022 07:41 AM
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लखनऊ में पबजी खेलने से रोकने पर मां की हत्‍या की वारदात ने लोगों को सन्‍न कर दिया है। गोली चलने पर मां के बगल में लेटी बच्ची की नींद खुली तो भाई हाथ में रिवाल्वर लिये दिखा। फिर भाई ने उसे दूसरे कमरे में ले जाकर धमकाया कि किसी को न बताना वरना ठीक नहीं होगा। इसके बाद 10 साल की यह मासूम दहशत में आ गई। वह इतना डर गई थी कि दूसरे दिन जब भाई ने अपने दोस्तों को पार्टी में बुलाया तो वह कुछ नहीं बोली। भाई बाहर गया तो भी कमरे में दुबकी रही।

बहन भूख से रोयी तो भाई ने खाना बनाया
एसीपी अर्चना सिंह ने जब इस बच्ची से पूछा कि तीन दिन बाहर नहीं निकली तो भूख नहीं लगी। इस पर वह सिसकते हुये बोली कि भूख लगने पर वह रोने लगी थी तो भाई ने खाना बनाकर खिलाया था। दिन में मैगी बनायी गई थी। इसके अलावा भाई ने उसे ब्रेड-मक्खन खिलाया। रात में भी भाई ने ही खाना बनाया। रात में भाई उसे अपने पास ही लेटा कर सोता था। बदबू आने पर उसे उल्टी भी लगी थी। पर, वह डर की वजह से कुछ नहीं बोली।

नाना भी रो पड़े
पीजीआई कोतवाली में बच्ची के नाना भी औरैया से यहां पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि उनके एक ही बेटी थी, वह भी अब दुनिया में नहीं रही। उनका सब कुछ उजड़ गया। इंस्पेक्टर ने उन्हें ढांढस बंधाया। नाना भी अपनी नातिन से मिलने पहुंचे थे।

दादी अपने साथ ले गई
बच्ची को उसकी दादी अपने साथ दूसरे बेटे नीतेश के घर लेकर चली गई। नीतेश भी सेना से रिटायर हुये हैं और इस समय बैंक में कार्यरत है। पुलिस ने बताया कि पिता एनके सिंह जब घर पहुंचे तो बहुत देर तक बेटी से लिपट कर बिलखते रहे।

आसपास घरों पर ताला, किसी ने नहीं सुनी गोली की आवाज
रायबरेली रोड से करीब 400 मीटर अंदर नई विकसित हो रही कालोनी यमुनापुरम में एनके सिंह ने बच्चों की पढ़ाई के लिये ही तीन मंजिला मकान बनवाया था। उनका मकान सूनसान स्थान पर है। मकान के सामने खाली प्लाट हैं। सामने की ओर बमुश्किल 50 मीटर की दूरी पर मवैया झील है। अगल-बगल के दो मकानों में ताला पड़ा है। यही वजह है कि बेटे ने जब गोली चलायी तो उसकी आवाज किसी को सुनाई नहीं पड़ी।

इसी कालोनी में रहने वाले अशोक तिवारी का कहना है कि साधना अक्सर कालोनी में लोगों के घर आया जाया करती थीं। दो दिन तक वह नहीं निकलीं तो कुछ लोगों ने बेटे से पूछा भी था तो उसने जवाब दिया था कि मां चाचा के यहां गई है। चाची की तबियत खराब है। इसलिये लोगों ने इस सच मानकर ज्यादा पड़ताल नहीं की। वहीं राधिका कहती हैं कि पता नहीं कैसे बेटे के हाथ नहीं कांपे। इतनी नफरत किसी बेटे को अपनी मां से कैसे हो सकती है।

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