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कानपुर सेंट्रल पर बंदरों का आतंक, भगाने के लिए रेलवे ने अपनाया ये अनोखा तरीका

कानपुर सेंट्रल पर सक्रिय लाल मुंह वाले बंदरों के आतंक से यात्रियों को निजात दिलाने के लिए रेलवे अफसरों ने अनूठी पहल शुरू की है। प्रयोग के तौर पर सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म पर काले मुंह वाले...

Shivendra Singh प्रमुख संवाददाता, कानपुरTue, 22 March 2022 03:23 PM
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कानपुर सेंट्रल पर सक्रिय लाल मुंह वाले बंदरों के आतंक से यात्रियों को निजात दिलाने के लिए रेलवे अफसरों ने अनूठी पहल शुरू की है। प्रयोग के तौर पर सेंट्रल स्टेशन के प्लेटफार्म पर काले मुंह वाले बंदरों के पोस्टर और कटआउट रविवार को लगवाए हैं। अफसरों का मानना है कि लाल मुंह वाले बंदर लंगूर (काले मुंह वाले बंदर) से डरते हैं। इसके साथ ही  पोस्टरों के पास से ही लंगूर जैसी आवाजें भी निकलेंगे। इससे बंदर डरकर या तो भाग जाएंगे या फिर आएंगे नहीं। यह प्रयोग 30 अप्रैल तक होगा और प्रयोग सफल होने पर इसे अमली जामा पहनाया जाएगा।

रेलवे अफसरों ने बताया कि पोस्टरों के पास ही स्पीकर भी लगेंगे ताकि समय-समय पर इनसे लंगूर की आवाजें भी आती रहे। कई बार तो लाल मुंह वाले बंदरों के हमले से बच्चे या फिर महिलाएं घायल हो जाती हैं। कई बार तो प्लेटफार्म पर बंदरों का इस कदर सुबह-शाम झुंड आ जाता है कि यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने पर डर लगता है। बंदरों का सबसे अधिक आतंक गर्मियों में होता है। गर्मी में ही बंदरों का झुंड सबसे अधिक स्टेशन पर सक्रिय होता है। 

भूख, प्यास की वजह से स्टेशन बना आशियाना
स्टेशन पर बंदरों को खाने का पर्याप्त सामान मिल जाता है। यह दीगर बात है कि बंदर अपने खाने का इंतजाम भले ही छीन-झपट कर करते हो या फिर यात्रियों के फेंकने से मिलता हो। इसके अलावा ट्रेन में पानी भरने की वजह से लाइनों के बीच की नालियों में पानी भरा रहता है। भूख, प्यास का इंतजाम होने से बंदर स्टेशन पर अधिक सक्रिय रहते है।  

बरामदे के प्रयोग के बाद प्लेटफार्म पर ट्रायल
रेलवे कालोनी में बंदर सबसे अधिक सक्रिय है। एक-दो अफसरों ने  अपने घरों के बरामदे में लंगूर के पोस्टर लगाए। देखा गया कि जहां पर लंगूर के पोस्टर लगाए गए वहां पर लाल मुंह वाले बंदर गए ही नहीं, जबकि पोस्टर या कटाउट न लगने के पहले बरामदे में ही सबसे अधिक बंदर चहलकदमी करते थे।

बंदरों से परेशान होने की रोजाना पांच-छह आती हैं शिकायतें
बंदरों के कभी खाना छीन ले जाने या फिर कभी अन्य सामान उठा ले जाने की औसतन-पांच छह शिकायतें आती हैं। इसके अलावा महीने में चार से पांच शिकायतें बच्चों या फिर यात्रियों पर बंदरों के हमला करने की होती हैं। पहले बंदरों को पकड़वाने की नीति बनी पर वन्य जीव-जंतु अधिनियम के तहत यह इरादा अफसरों ने छोड़ दिया। अब नई तरह की पहल शुरू की है। 

प्रयोग सफल तो हर प्लेटफार्म पर लगवाएंगे पोस्टर
कानपुर सेंट्रल के डिप्टी सीटीएम हिमांशु शेखर उपाध्याय ने बताया कि सेंट्रल स्टेशन के साथ ही पनकी स्टेशन पर लाल मुंह वाले बंदरों को आतंक है। बंदरों की चहलकदमी के चलते कई बार यात्रियों का सफर खतरनाक हो जाता है। इसकी वजह से एक अनूठी पहल शुरू की है। स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक औऱ छह पर अभी पोस्टर लगवाए हैं। प्रयोग सफल रहा तो सभी प्लेटफार्मों के अलावा पनकी स्टेशन पर इसे प्रभावी करके यात्रियों को राहत दिलवाएंगे।

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