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यूपी के मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से पढ़ाएंगे मेरठ के डॉक्टर, तैयार किया जा रहा है पाठ्यक्रम

यूपी के मेडिकल कॉलेजों में मेरठ के डॉक्टर हिंदी में छात्रों को पढ़ाएंगे। इसके लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज ने तैयारी भी कर ली है। डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि इसके लिए राज्य सरकार से अनुमति मांगी गई है।

Pawan Kumar Sharma हिन्दुस्तान, मेरठMon, 21 Nov 2022 09:33 AM
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उत्तर प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों में मेरठ के डॉक्टर हिंदी में छात्रों को पढ़ाएंगे। इसके लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज ने तैयारी भी कर ली है। कॉलेज प्राचार्य डॉ. आरसी गुप्ता ने बताया कि अस्पताल प्रशासन ने राज्य सरकार से इसके लिए प्रपोजल भेजकर अनुमति मांगी है। शासन की मौखिक स्वीकृति तो मिल गई है अब बस लिखित परमिशन का इंतजार है।  

प्राचार्य के मुताबिक मेरठ मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अन्य सभी मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कराने की योजना है। मेडिकल साइंस की हिन्दी माध्यम से पढ़ाई कराने का सबसे पहला प्रयोग मेरठ मेडिकल कॉलेज में किया गया था। इस प्रयोग को पूरे प्रदेश में लागू किया जा सके। इसी उद्देश्य से योजना तैयार की जा रही है।

पहले बैच की प्राथमिकता को रखा जाएगा ध्यान

मेरठ मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस करने आए प्रथम बैच के छात्रों के लिए प्राथमिकता से हिंदी माध्यम पूर्ण रूप से लागू करने की योजना कॉलेज में तैयार की जा चुकी है। इसे लेकर बुधवार को अस्पताल प्रशासन और सभी विभागाध्यक्षों की बैठक प्रस्तावित है। 

सभी विषयों का पाठ्यक्रम हो रहा तैयार 

मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों द्वारा मेडिकल साइंस का हिंदी माध्यम का पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है।राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में इसे लागू करने की योजना प्रस्तावित है। प्राचार्य ने बताया सभी विभागों को निर्देश जारी किए जा चुके हैं। नेत्र संबंधी पाठ्यक्रम में उनके द्वारा तैयार हिंदी माध्यम की किताब जल्द छात्रों के लिए उपलब्ध होगी। 

यूपरोलॉजी डिपार्टमेंट के एचओडी डॉ. सुधीर राठी ने बताया कि छात्रों के हित और रुचि को देखते हुए मेडिकल साइंस में हिंदी माध्यम क्रांतिकारी पहल है। राज्य के छात्रों को भी ये सुविधा मिल सके। इसके लिए मेरठ मेडिकल कॉलेज लगातार प्रयासरत है। वहीं एनॉटॉमी विभाग के प्रोफेसर डॉ. वीडी पांडेय के मुताबिक हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए मेडिकल टर्मिनोलॉजी के साथ पढ़ाई करना आसान साबित हो रहा है। हिंदी भाषा शामिल होने से छात्रों का आत्मविश्वास पहले के मुकाबले काफी बढ़ा है।

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