Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Medical college will study mentality of Vimleshs family who were waiting for dead to rise back again

लाश में आस लिए विमलेश के परिजनों की निगरानी कर मनोदशा का अध्ययन करेगा मेडिकल कॉलेज

मनोचिकित्सकों ने विमलेश के परिजनों की निगरानी के साथ उनकी मनोदशा का परीक्षण लगातार करने की सलाह दी है। साथ ही परिजनों ने अनुमति दी तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का मनोचिकित्सा विभाग इस केस पर अध्ययन करेगा।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, कानपुरSun, 25 Sep 2022 06:00 AM
share Share

मनोचिकित्सकों ने विमलेश के परिजनों की निगरानी के साथ उनकी मनोदशा का परीक्षण लगातार करने की सलाह दी है। साथ ही परिजनों ने अनुमति दी तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का मनोचिकित्सा विभाग इस केस पर अध्ययन करेगा। इसके लिए प्रारूप बनाने पर मंत्रणा शुरू हो गई है। जल्द ही मेडिकल कॉलेज की एथिक्स कमेटी के सामने प्रस्ताव रखा जाएगा। मनोचिकित्सकों ने पूरे केस को शेयर्ड साइकोटिक डिस्आर्डर के साथ विस्तारित सहजीवी मनोविकृति का रूप दिया है। इस स्थिति में बेल की तरह सभी परिजन एक ही सोच में डूब जाते हैं। 

इस केस पर जानकारी देते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, मनोचिकित्सा विभाग के सहायक प्रोफेसर, डॉ. गणेश शंकर ने कहा कि विमलेश का चैप्टर भले ही दाह संस्कार के साथ खत्म माना जा रहा हो पर खतरा अभी टला नहीं है। अब परिवार को बचाने की जरूरत है। विमलेश की पत्नी के साथ परिजनों की काउंसिलिंग की जरूरत है। उसकी पत्नी को भी मानसिक रूप से मजबूत करना जरूरी है। स्टडी का प्रारूप तैयार हो रहा है।

वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ. रवि कुमार ने इस बारे में बताया कि यह पूरा केस विस्तारित सहजीवी मनोविकृति का है। परिजनों की सोच बदल न जाए, इसलिए अब पूरे परिवार पर फोकस करते हुए निगरानी का प्लान बनाया जाना चाहिए। परिजन जिसे चाह रहे थे, उसके नहीं होने पर निगेटिव विचार और पनप सकते हैं। 

वरिष्ठ मनोचिकित्सक, डॉ. कलीम अहमद खान के अनुसार 17 महीने डेड बॉडी के साथ परिजनों के रहने का केस अलग तरह का है। इसमें परिजन मानसिक और सामाजिक तौर पर अपने को विरत रख रहे थे। इसलिए पूरे परिवार की मनोदशा के चेकअप और काउंसिलिंग की जरूरत है। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें