मनीष गुप्ता हत्याकांड: आरोपी पुलिसवालों को लेकर असमंजस में पड़ा जेल प्रशासन, न पेशी हुई न तारीख का पता
मनीष हत्याकांड के आरोपित छह पुलिसवालों को लेकर गोरखपुर जेल प्रशासन में असमंजस की स्थिति अभी भी बनी हुई है। पिछले 14 दिनों से इन पुलिसवालों की न तो पेशी हो रही है और न ही जेल प्रशासन को उनकी पेशी की...
मनीष हत्याकांड के आरोपित छह पुलिसवालों को लेकर गोरखपुर जेल प्रशासन में असमंजस की स्थिति अभी भी बनी हुई है। पिछले 14 दिनों से इन पुलिसवालों की न तो पेशी हो रही है और न ही जेल प्रशासन को उनकी पेशी की तारीख ही पता है। बिना किसी रिमांड ये पुलिसवाले जेल में पड़े हुए हैं। जेल प्रशासन को अभी भी सीबीआई कोर्ट लखनऊ के गाइड लाइन का इंतजार है। वहीं जेल प्रशासन ने अब सीबीआई को भी चिटठी लिखी है। माना जा रहा है कि अब इससे पुलिसवालों को लाभ मिलने वाला है।
कानपुर के प्रापर्टी डीलर मनीष गुप्ता की 27 सितम्बर 2021 की रात में रामगढ़ताल इलाके के कृष्णा पैलेस होटल में कमरा नम्बर 512 में पुलिस की पिटाई से मौत हो गई थी। मनीष अपने दो अन्य दोस्तों के साथ यहां ठहरा था। आधी रात को चेकिंग करने आई पुलिस ने मनीष को बुरी तरह से पीटा था। इस मामले में तत्कानील इंस्पेक्टर जेएन सिंह के अलावा साथ गए सब इंस्पेक्टर अक्षय मिश्रा, दरोगा विजय यादव और राहुल दुबे, हेड कांस्टेबल कमलेश यादव तथा कांस्टेबल प्रशांत के खिलाफ हत्या का मुकदम दर्ज हुआ था। मनीष की पत्नी मीनाक्षी ने हत्या का केस दर्ज कराने के साथ ही सीबीआई से जांच की मांग की थी। पहले कानुपर की एसआईटी और फिर सीबीआई ने जांच शुरू की और सीबीआई ने बीते सात जनवरी को सभी छह पुलिसवालों पर हत्या सहित अन्य धाराओं में आरोपपत्र दाखिल कर दिया है। सीबीआई ने जबसे आरोपपत्र दाखिल किया है तभी से पुलिसवालों की पेशी को लेकर पेंच फंसा है।
गोरखपुर जेल में बंद पुलिसवालों की गोरखपुर कोर्ट में दस जनवरी को आखिरी पेशी हुई थी। उसके बाद 13 जनवरी को सीबीआई लखनऊ कोर्ट में पेशी की बात सामने आई थी लेकिन जेल प्रशासन के पास न तो आरोपितों के ट्रांसफर को लेकर कोई चिटठी आई और न ही 13 को उनकी वीडियो कांफ्रेंसिंग से पेशी ही हो पाई। इस बीच जेल प्रशासन ने गोरखपुर कोर्ट को इस मामले से अवगत कराते हुए गाइड लाइन मांगी थी।
इस बीच मनीष की पत्नी मीनाक्षी यूपी से बाहर दिल्ली कोर्ट में ट्रालय की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गई थी सुप्रीम कोर्ट ने उनकी मांग मान ली थी लिहाजा सीबीआई लखनऊ ने भले ही अपने यहां केस दर्ज किया पर मामले की ट्रायल सीबीआई दिल्ली कोर्ट में होनी है। माना जा रहा है लखनऊ से दिल्ली चार्जशीट जाएगी और वहां से कोर्ट संज्ञान लेगा जिसके बाद इसमें आगे की कार्रवाई होगी।
मनीष हत्याकांड में शामिल पुलिसवालों की न्यायिक हिरासत न बढ़ने से उन्हें इसका लाभ मिलेगा। चार्जशीट दाखिल होने के बाद से ही जब यह नहीं पता कि किसी कोर्ट में उनकी पेशी होगी तो यह जेल के लिए भी संकट का विषय है। जेल प्रशासन के पास तो न्यायिक हिरासत बढ़ाने की चिटठी आती है और पता चलता है कि अगली पेशी कब है लेकिन उनके पास भी कोई पत्र नहीं है।
गिरिजेश शुक्ल, वरिष्ठ अधिवक्ता