Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Lucknow: Three teachers caught on doing job with fake education board marksheet

लखनऊ : फर्जी शिक्षा बोर्ड की मार्कशीट पर नौकरी करते पकड़े गए तीन शिक्षक

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तीन शिक्षकों को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में फर्जी शिक्षा बोर्ड की मार्कशीट के सहारे नौकरी प्राप्त करने का दोषी पाया गया है। ये तीनों शिक्षक हिंदी साहित्य...

Shivendra Singh  आशीष त्रिपाठी, लखनऊ।Wed, 30 Sep 2020 05:24 AM
share Share

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के तीन शिक्षकों को सरकारी सहायता प्राप्त स्कूल में फर्जी शिक्षा बोर्ड की मार्कशीट के सहारे नौकरी प्राप्त करने का दोषी पाया गया है। ये तीनों शिक्षक हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद की मार्कशीट के आधार पर नौकरी कर रहे थे। 

शासन के निर्देश पर जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय के स्तर पर शुरू की गई दस्तावेजों की जांच में इसका खुलासा हुआ है। डीआईओएस डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने इन सभी की सेवा समाप्ति की कार्रवाई शुरू कर दी है। इन शिक्षकों को नोटिस जारी करके अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया गया है।

लखनऊ मोंटेसरी इंटर कॉलेज के व्यायाम शिक्षक मनोज कुमार पटेल के शैक्षणिक दस्तावेजों में मध्यमा (विशारद) का अंकपत्र हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद का पाया गया। वह इसी मार्कशीट के आधार पर वर्ष 2002 से नौकरी कर रहे हैं। डीआईओएस ने साफ किया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की समकक्षता की सूची में हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद का नाम नहीं है। ऐसे में यह अंकपत्र मान्य ही नहीं है। मनोज कुमार पटेल को अपना पक्ष रखने के लिए बुधवार को बुलाया गया है।

डीआईओएस ने साफ किया है कि यदि मनोज कुमार पटेल अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित नहीं होते हैं तो यह मानते हुए कि उन्हें इस प्रकरण में कुछ नहीं कहना है, उनकी सेवा समाप्ति की कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। जानकारों की मानें तो फर्जी बोर्ड की मार्कशीट के आधार पर नौकरी कर रहे मनोज इस स्कूल में प्रिंसिपल पद के लिए दावा भी करते रहे हैं। मनोज के साथ ही रामाधीन सिंह इंटर कॉलेज के विप्लव चौधरी और मुमताज इंटर कॉलेज के अब्दुल रहीम भी हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद की मार्कशीट के आधार पर नौकरी करते हुए पाए गए। विप्लव चौधरी की मार्कशीट वर्ष 1987 की है। अब्दुल रहीम की मार्कशीट वर्ष 1988 की है। जानकारों की मानें तो तत्कालीन स्कूल प्रबंधन और तत्कालीन शिक्षा विभाग के अधिकारियों की सांठगांठ से इस पूरे खेल को अंजाम दिया गया। 

हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद की मार्कशीट मान्य नहीं है। यह तीनों शिक्षक इस अमान्य संस्था की मार्कशीट पर नौकरी प्राप्त करने के दोषी पाए गए। इसके आधार पर तीनों को नोटिस जारी कर दिए गए हैं। इन्हें अपना पक्ष रखने का मौका भी दिया गया। उसके बाद आगे की कार्रवाई शुरू की जाएगी। - डॉ. मुकेश कुमार सिंह, डीआईओएस

सुप्रीम कोर्ट तक ने बताया अमान्य
हिंदी साहित्य सम्मेलन, इलाहाबाद एक फर्जी शिक्षा बोर्ड है। इसके नाम पर जालसाज कई वर्षों से मार्कशीट बांटते आए हैं। यह पहली बार नहीं है जब हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद की मार्कशीट को लेकर विवाद उठा। कई प्रकरण में इलाहाबाद हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने अपने फैसलों में हिंदी साहित्य सम्मेलन को अमान्य संस्था बताया। वर्ष 2010 के राजस्थान प्रदेश विद्या समिति के एक प्रकरण में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया हिंदी साहित्य सम्मेलन इलाहाबाद एक अन्य संस्था है जो किसी प्रकार की शिक्षा नहीं देती है। 

अगला लेखऐप पर पढ़ें