लखनऊ पीजीआई : 200 से ज्यादा डायलिसिस की सुविधा इसी साल से
लखनऊ पीजीआई में आने वाले दिनों में गुर्दा मरीजों को डायलिसिस के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। 24 घण्टे के भीतर उनकी डायलिसिस होगी। संस्थान में नवीन ओपीडी के सामने बन रहे आधुनिक गुर्दा प्रत्यारोपण...
लखनऊ पीजीआई में आने वाले दिनों में गुर्दा मरीजों को डायलिसिस के लिए लंबा इंतजार नहीं करना होगा। 24 घण्टे के भीतर उनकी डायलिसिस होगी। संस्थान में नवीन ओपीडी के सामने बन रहे आधुनिक गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र में रोज 200 से ज्यादा डायलिसिस होंगी। यहां 111 डायलिसिस स्टेशन बनेंगे। पीजीआई निदेशक डॉ. आरके धीमन बताते हैं कि यहां डायलिसिस की सुविधा इसी साल शुरू होगी। इस पर काम तेजी से चल रहा है। पीजीआई प्रदेश का सबसे बड़ा डायलिसिस सेंटर होगा।
गुर्दा प्रत्यारोपण वाले मरीजों को प्राथमिकता मिलेगी
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. नारायण प्रसाद बताते हैं कि आधुनिक गुर्दा प्रत्यारोपण केंद्र में 450 से ज्यादा बेड होंगे। इसमें 111 डायलिसिस स्टेशन बनाने पर सहमति बन गई है। तीन शिफ्ट में 24 घण्टे डायलिसिस होगी। गुर्दा प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में शामिल मरीजों को डायलिसिस में प्राथमिकता मिलेगी। अभी पीजीआई में 600 से ज्यादा मरीज प्रत्यारोपण की प्रतीक्षा सूची में हैं। इसके शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिलेगी। डॉक्टर, स्टाफ के अलावा उपकरण और संसाधन की खरीद फरोख्त की प्रक्रिया जल्द शुरू की जाएगी।
एक डायलिसिस का खर्च 1600 रुपये, निजी में 15000
राजधानी में सरकारी अस्पतालों में पीजीआई, केजीएमयू, बलरामपुर अस्पताल व लोहिया संस्थान में डायलिसिस हो रही है। जबकि 25 से ज्यादा निजी अस्पतालों डायलिसिस की सुविधा है। पीजीआई में एक डायलिसिस का खर्च 1600 रुपये आता है। वहीं केजीएमयू व लोहिया में और सस्ती दर पर डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध है। बलरामपुर अस्पताल में नि:शुल्क है जबकि निजी अस्पताल डायलिसिस का खर्च पांच हजार से 15 हजार के बीच ले रहे हैं।
अस्पताल रोज डायलिसिस की संख्या
पीजीआई- 80
केजीएमयू- 50
बलरामपुर अस्पताल- 50
लोहिया संस्थान- 30
25 निजी अस्पतालों में- करीब 150 डायलिसिस
30% मरीजों को डायलिसिस की जरूरत
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. धर्मेंद्र भदौरिया बताते हैं कि गुर्दे की गम्भीर बीमारी क्रॉनिक किडनी डिजीज (सीकेडी) के 30 प्रतिशत मरीजों को डायलिसिस की जरूरत होती है। अमूमन 10 % से कम क्रियाशील गुर्दा वाले मरीज को डायलिसिस की सलाह दी जाती है।