Lucknow: मासूम के इलाज के लिए पिता ने ढाबे पर धोये बर्तन, मां ने चौथी मंजिल से फेंका
ट्रामा सेंटर में बेटे की गंभीर बीमारी का इलाज करा रहा राजन आर्थिक परेशानियों से घिरा हुआ था। दवा खरीदने के लिए रुपये नहीं थे। रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार लेकर कुछ दिन गुजारे। फिर उधार भी मिलना बंद...
ट्रामा सेंटर में बेटे की गंभीर बीमारी का इलाज करा रहा राजन आर्थिक परेशानियों से घिरा हुआ था। दवा खरीदने के लिए रुपये नहीं थे। रिश्तेदारों और दोस्तों से उधार लेकर कुछ दिन गुजारे। फिर उधार भी मिलना बंद हो गया। मुफलिसी के चलते खाने का संकट खड़ा हो गया था। पर, राजन ने हार नहीं मानी।
ट्रामा सेंटर के बाहर लगने वाली रेहड़ी पर काम कर बच्चे की दवा और परिवार की खुराकी जुटाने लगा। राजन के साथ उसका भाई अमरनाथ और पत्नी शांति भी रेडी पर काम करने लगे। बर्तन धोने और खाना परोसने के एवज में उन्हें पेट भर खाना मिलने लगा। तीन महीने से तमाम दुश्वारियां झेल रहे राजन को मंगलवार की सुबह जब पत्नी शांति की हरकत पता चली तो वह सन्न रह गया। समझ ही नहीं आया कि करे तो क्या करें।
"मैं तो बर्बाद हो गया साहब..."
बेटे का जन्म होने पर राजन काफी खुश था। भगवान से शुक्रिया अदा किया था। मगर, उसे नहीं पता था कि यह खुशी चंद दिनों के लिये ही उसके जीवन में आई है। यह कहते हुये राजन की आंखे भर आईं। कहा कि साहब मैं तो बर्बाद हो गया। बेटा दुनिया में नहीं रहा और पत्नी भी जेल चली गई है। अब किसके सहारे जीऊं।
सुरक्षा पर उठे सवाल
ट्रॉमा सेंटर में चौथे मंजिल से बच्चे को नीचे फेंकने की घटना ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। कई खिड़कियों में लोहे की ग्रिल नहीं लगी है। वहीं खिड़की में लगी लोहे की ग्रिल भी दरवाजे की तरह खुलने की सुविधा है।