लखनऊ में रोजाना बढ़ रहे 200 से 350 कंटेनमेंट जोन, बांस-बल्लियां का खर्च बना मुसीबत
कोरोना संक्रमितों के साथ ही राजधानी में कंटेनमेंट जोन की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अब कंटेनमेंट जोन को सील करने के लिए बैरिकेडिंग में प्रयोग होने वाली बांस बल्लियां महंगी पड़ने लगी हैं।...
कोरोना संक्रमितों के साथ ही राजधानी में कंटेनमेंट जोन की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। ऐसे में अब कंटेनमेंट जोन को सील करने के लिए बैरिकेडिंग में प्रयोग होने वाली बांस बल्लियां महंगी पड़ने लगी हैं। अभी किराए पर बल्लियां लगाई जा रही हैं। प्रशासन के निर्देश पर अब नगर निगम बांस बल्लियां खरीदने जा रहा है। इससे खर्च में भारी कमी आएगी।
बुधवार को राजधानी में कंटेनमेंट जोन की संख्या 1300 के आसपास थी। इसके पहले मंगलवार को 1080 कंटेनमेंट जोन थे। नगर आयुक्त इन्द्रमणि त्रिपाठी के अनुसार रोजाना 200 से 350 के करीब कंटेनमेंट जोन बढ़ रहे हैं। अभी तक बांस बल्लियों के किराए में 12 लाख रुपए के करीब खर्च हो चुके हैं। ऐसे में यदि नगर निगम खुद बल्लियां खरीद ले तो अनावश्यक खर्च रुकेगा। फिलहाल अगले छह महीनों से लेकर साल भर तक यही संभावना है कि कंटेनमेंट जोन बनते रहेंगे। इसलिए नगर निगम बल्लियां खरीदने के लिए निविदा आमंत्रित कर रहा है। इसके बाद किराए की बल्लियां नहीं ली जाएंगी। किराए पर बल्लियां उपलब्ध कराने वाले ठेकेदार प्रति वर्ग फुट के आधार पर शुल्क वसूल रहे हैं।
अन्य राज्यों की ओर से अपनाए जा रहे तौर तरीकों पर विचार
कमिश्नर की अध्यक्षता में हुई बैठक में कोरोना संक्रमण रोकने पर नए उपाय किए जाने पर चर्चा हुई। इसमें निर्देश दिया गया कि अन्य राज्यों की ओर से किए जा रहे ऐसे उपाय जो कारगर सिद्ध हो रहे हैं, उनको अपनाया जा सकता है। पूर्व में कोविड केयर सेंटरों पर किट बांटने से लेकर अन्य मॉडल जो लागू किए गए वह कारगर रहे।