लड़की से गैंगरेप में 116 दिन में ताउम्र की सजा, पीड़िता ने कहा- दरिंदों को फांसी हो
यूपी में आगरा जिले में गैंगरेप कांड के दोनों आरोपियों को 116 दिन में सजा सुनाई गई। जंगल में गैंगरेप के बाद पत्थर से सिर कुचलकर और गला घोंटकर हत्या का प्रयास भी किया था।
आगरा में मांगरौल गूजर (सिकंदरा) गैंगरेप कांड के दोनों आरोपियों को 116 दिन में सजा सुनाई गई। जंगल में गैंगरेप के बाद पत्थर से सिर कुचलकर और गला घोंटकर हत्या का प्रयास भी किया था। दुराचारी पीड़िता को मरा समझकर छोड़ गए थे। सिकंदरा पुलिस ने घटना में सात दिन में कोर्ट में चार्जशीट पेश की थी। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार ने दोषी गणेश और संतोष को ताउम्र कैद की सजा सुनाई है। दोनों को दो-दो लाख रुपये जुर्माने से भी दंडित किया है। पीड़िता को इंसाफ दिलाने में पुलिस और अभियोजन ने अहम भूमिका निभाई है।
10 मार्च 2023 को 14 वर्षीय किशोरी मांगरौल गूजर के जंगल में लहूलुहान हालत में मिली थी। वह जंगल से घिसटते हुए सड़क किनारे तक आई थी। नौ मार्च की दोपहर से वह लापता थी। परिजन तलाश में जुटे थे। घटना के बाद पुलिस ने किरावली निवासी गणेश और संतोष को गिरफ्तार करके जेल भेजा था। किशोरी को बहाने से बुलाया गया था। आरोपित पहले उसे रुनकता बाजार ले गए थे। बाद में वापस छोड़ने के बहाने आए थे। जंगल में ले जाकर दुराचार किया था। वह किसी को कुछ बता न दे इसलिए पत्थर से सिर कुचला था। दुपट्टे से गला घोंटा था। संयोग से किशोरी बच गई थी। किशोरी के पिता की तहरीर पर पुलिस ने गैंगरेप, हत्या का प्रयास, साक्ष्य नष्ट करने और पॉक्सो एक्ट की धारा के तहत मुकदमा दर्ज किया था।
सात दिन में लगाई थी चार्जशीट
पुलिस आयुक्त डॉक्टर प्रीतिंदर सिंह ने इंस्पेक्टर सिकंदरा आनंद कुमार साही को निर्देश दिए थे कि सात दिन में चार्जशीट पेश की जाए। पुख्ता साक्ष्य जुटाए जाएं। रुनकता चौकी प्रभारी कुंवरपाल सिंह ने मुकदमे की विवेचना की। डिजिटल साक्ष्य भी जुटाए।
पीड़िता ने कहा वह चाहती है फांसी हो
न्यायालय में पीड़िता ने अपने बयान में कहा कि वह चाहती है कि दोनों दरिंदों को फांसी होनी चाहिए। अभियोजन की ओर से वादी, पीड़िता, प्रधानाचार्य तेज प्रकाश सिंह, जय प्रकाश, मुख्य आरक्षी सत्यवीर सिंह, डॉ. वंदना तुलसी, डॉ. केसी भगत, विवेचक कुंवरपाल सिंह, डॉ. मोहित गोपाल वार्ष्णेय को गवाही के लिए न्यायालय में पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट प्रमेंद्र कुमार ने पीड़िता और गवाहों के बयान के आधार पर गणेश और संतोष को दोषी पाते हुए ताउम्र कैद की सजा सुनाई। अभियोजन की ओर से सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता सुभाष गिरि और विशेष लोक अभियोजक विजय किशन लवानिया और वादी के वरिष्ठ अधिवक्ता संतोष दीक्षित द्वारा की गई थी।
विवेचक ने जुटाए पुख्ता साक्ष्य
विवेचक ने किशोरी का खून से सना दुपटटा, उसकी चप्पल, कपड़े, बाल, बाइक पर पीड़िता को ले जाने के सीसीटीवी फुटेज, एक रेस्टोरेंट के सीसीटीवी फुटेज, आरोपियों की मोबाइल की लोकेशन, घटना के समय जंगल में मौजूदगी, शराब की खाली बोतल, दो खाली गिलास, नमकीन के पाउच आदि साक्ष्य जुटाए थे।