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इनका क्‍या होगा? डेट बीतने के बाद भी लाखों गाड़‍ियों पर हाईसिक्‍योरिटी नंबर प्‍लेट नहीं, कई के लिए लगवाने के रास्‍ते भी बंद

हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) लगवाने की आखिरी तारीख (15 फरवरी-2023) बीत चुकी है पर कानपुर में बमुश्किल 40 फीसदी वाहनों में ही यह लग पाई है। कई के लिए इसे पाने के रास्‍ते भी बंद हो गए हैं।

Ajay Singh वरिष्‍ठ संवाददाता , कानपुरFri, 31 March 2023 06:18 AM
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हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट (एचएसआरपी) लगवाने की आखिरी तारीख (15 फरवरी-2023) बीत चुकी है पर कानपुर में बमुश्किल 40 फीसदी वाहनों में ही यह लग पाई है। हद तो यह है कि सवा दो लाख वाहनों के लिए हाईसिक्योरिटी पाने का यह रास्ता ही लगभग बंद हो चुका है। 

दरअसल, एलएमएल जैसी बंद हो चुकीं वाहन कंपनियों और यूपी-78 सीरीज के पहले वाली सीरीज जैसे यूटीई, यूएआर नंबर वाले वाहनों में हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट लगाने की कोई गाइडलाइन ही तय नहीं है। इसलिए एचएसआरपी के लिए आवेदन ही नहीं हो पा रहे हैं। यूपी- 78 सीरीज वर्ष 1989 में आई थी, जबकि 31 मार्च 2019 तक के सभी वाहनों के लिए एचएसआरपी जरूरी है। इसके बाद के वाहनों में रजिस्ट्रेशन के साथ एचएसआरपी ही लगाई जा रही है।

16 फीसदी वाहनों के अस्तित्व पर खतरा

मार्च-2019 में कानपुर जिले में वाहनों की संख्या लगभग 14 लाख थी। इनमें से 2.23 लाख यानी 16 फीसदी वाहन ऐसे हैं, जिनकी या तो कंपनियां बंद हो चुकी हैं या फिर इनके नंबर यूपी-78 सीरीज के पहले के हैं। इसलिए इनमें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लग पा रही है। इनके लिए रास्ता निकालने को परिवहन विभाग सक्रिय हो गया है। 

संभाग में रोज 70-75 आवेदन लटकते

कानपुर संभाग कार्यालय (आरटीओ) में रोज औसतन 70-75 वाहन आते हैं, जिनमें हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट नहीं लगी है। इसके कारण इन वाहनों के दूसरे काम भी लटक जाते हैं। बिना एचएसआरपी कोई भी ऑनलाइन काम आगे बढ़ता ही नहीं है।  

इस वजह से समस्या हुई

एचएसआरपी के आवेदन के लिए जरूरी है कि वाहन कंपनी कार्यरत हो
वाहनों की जिन कंपनियों का अस्तित्व ही नहीं, उनके वाहनों के आवेदन नहीं हो पा रहे
यूपी-78 सीरीज के पहले नंबरों का ऑनलाइन अपग्रेडेशन न होने से भी आवेदन नहीं हो पाता। 

ये काम नहीं हो पाते

वाहनों का हस्तांतरण, डुप्लीकेट आरसी, रीपंजीयन, एनओसी और फिटनेस टेस्ट।

क्‍या कहते हैं जिम्‍मेदार

कानपुर के एआरटीओ प्रशासन सुधीर वर्मा ने कहा कि यह समस्या केवल कानपुर की नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश की है। इसके निस्तारण के लिए परिवहन मुख्यालय स्तर पर कवायद चल रही है। यह सच है कि कानपुर में रोज कई मामले हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न होने की वजह से लटक जा रहे हैं। 

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