Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़Lakhs of devotees come to Vindhyachal every year for Trikon Parikrama Vindhyachal Devi Temple Kali Khoh Temple Sita Kund

त्रिकोण परिक्रमा के लिए लाखों श्रद्धालु हर साल आते हैं विंध्याचल, इन मंदिरों में रहती है भक्तों की भीड़

विंध्याचल के पास एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जहां हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां लोग त्रिकोण परिक्रमा के लिए आते हैं। यहां विंध्याचल देवी, मंदिर काली, खोह मंदिर, सीता कुंड प्रसिद्ध हैं।

Atul Gupta लाइव हिंदुस्तान, विंध्याचलTue, 22 Nov 2022 04:56 PM
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विंध्याचल मिर्जापुर और वाराणसी के पास एक प्रसिद्ध हिंदू तीर्थस्थल है जिसके आसपास कई मंदिर हैं। यह शहर पवित्र गंगा नदी के तट पर स्थित है और लोग यहां गंगा स्नान के अलावा इन मंदिरों के दर्शन के लिए आते हैं। भक्त यहां त्रिकोण परिक्रमा करने के लिए आते हैं जिसमें तीन सबसे महत्वपूर्ण मंदिर विंध्यवासिनी, अष्टभुजा और काली खोह मंदिर शामिल हैं। विंध्याचल में साल भर तीर्थयात्रियों की भारी भीड़ रहती है। खास तौर पर नवरात्र के दौरान पूरे शहर को दीयों और फूलों से सजाया जाता है। अगर आप विंध्याचल आएं तो इन जगहों पर जाना बिलकुल ना भूलें। 

विंध्यवासिनी देवी मंदिर

विंध्याचल में मां विंध्यवासिनी देवी का मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है। गंगा नदी के तट पर स्थित इस मंदिर में दर्शन से पहले लोग गंगा नदी में इस विश्वास के साथ डुबकी लगाते हैं कि इससे उनके पाप धुल जाएंगे और उसके बाद एक नया जीवन शुरू कर सकते हैं। अष्टभुजा मंदिर (विंध्यवासिनी मंदिर से 2 किमी दूर) तीन मुख्य मंदिरों में से एक हैं। इन मंदिरों के दर्शन करने से एक त्रिकोण परिक्रमा होती है जो यहाँ की एक सामान्य रस्म है। नवरात्रों और अन्य त्योहारों के दौरान विंध्याचल बेहद सुंदर दिखता है। इसके अलावा यहां काजली प्रतियोगिताएं भी आयोजित होती है।

काली खोह मंदिर

काली खोह मंदिर काली माता का मंदिर जो गुफा के भीतर है। माना जाता है कि देवी काली ने राक्षस रक्तबीज को मारने के लिए अवतार लिया था जिसे वरदान था कि उसके खून की हर बूंद तुरंत एक और रक्तबीज को जन्म देगी। इससे दानव को मारना बेहद मुश्किल हो गया। ऐसा माना जाता है कि मां काली ने अपनी जीभ को पूरी जमीन पर फैला दिया और सारा खून चाट लिया और उनके सारे प्रतिरूपों को निगल लिया।

सीता कुंड़

सीता कुंड की कथा के अनुसार वनवास से घर लौटते समय माता सीता को प्यास लगी तो भगवान लक्ष्मण ने एक तीर से जमीन में छेद कर दिया। जहां से पानी एक फव्वारे के रूप में निकला था। इसी जगह पर बना कुंड सीताकुंड के नाम से जाना जाता है।

अष्टभुजा मंदिर

यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है जिन्हें विद्या की देवी कहा जाता है। पुराणों के अनुसार भगवान कृष्ण की बहन अष्टभुजा कंस के जाल से भाग रही थी जो उन्हें मारने की कोशिश कर रहा था। अष्टभुजा ने भागते हुए इसी जगह पर आकर शरण ली थी जो बाद में अष्टभुजा मंदिर के नाम से जाना गया।

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