जानिए एक साफ्टवेयर इंजीनियर कैसे चार दिन तक कमरे में रहा डिजिटल अरेस्ट, गंवा दिए 98 लाख
एक प्रतिष्ठित आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर कालिंदीपुरम राजरूपपुर निवासी आशीष गुप्ता को साइबर शातिरों ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस और गिरफ्तारी का डर दिखाकर 4 दिन तक कमरे में डिजिटल अरेस्ट बनाए रखा।
एक प्रतिष्ठित आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर कालिंदीपुरम राजरूपपुर निवासी आशीष गुप्ता को साइबर शातिरों ने मनी लॉन्ड्रिंग का केस और गिरफ्तारी का डर दिखाकर चार दिन तक कमरे में डिजिटल अरेस्ट बनाए रखा। इस दौरान उससे 98 लाख रुपये की ठगी कर ली गई।
अलग-अलग बैंक खातों में रुपये ट्रांसफर करने के लिए पीड़ित को कोर्ट का फर्जी आदेश भी दिखाया गया। वीडियो सर्विलांस का झांसा देकर चार दिन तक उसे बंधक बनाए रखा गया। शातिरों ने खुद को सीबीआई का वरिष्ठ अधिकारी बताकर ठगी की घटना को अंजाम दिया। अपनी गिरफ्तारी और परिवार की सुरक्षा के डर से पीड़ित वह सब करता गया जो शातिर उससे बोलते गए।
धूमनगंज थानातंर्गत राजरूपपुर निवासी पीड़ित ने साइबर थाने की पुलिस को दी तहरीर में बताया है कि वह एक आईटी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर है। उसके पास 21 जुलाई को एक अनजान नंबर से काल आई। साइबर शातिरों ने अपनी बातों में उलझाकर उसे 21 से 24 जुलाई तक डिजिटल अरेस्ट रखा। 22 जुलाई को 68 लाख रुपये, 23 जुलाई को 13 लाख 50 हजार और 24 जुलाई को 16 लाख 50 हजार रुपये ठग लिए। वह इस कदर दहशत में था कि दो दिन तक किसी से इस घटना की चर्चा तक नहीं की। 26 जुलाई को दिन में 12 बजे उसने साइबर थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। साइबर थाने की मामले की जांच में जुट गई है।
मनी लॉन्ड्रिंग में फंसाने का दिखाया था डर
सॉफ्टवेयर इंजीनियर को डिजिटल अरेस्ट कर 98 लाख की ठगी करने वाले कॉलर ने अपने आप को एसबीआई का कर्मचारी बताते हुए कहा कि उसके नाम से एक क्रेडिट कार्ड जारी हुआ है, जिस पर एक लाख रुपये का लेनदेन हो चुका है। पीड़ित ने कहा कि उसने अभी तक एसबीआई का क्रेडिट कार्ड नहीं लिया है। तब उस शातिर ने मुंबई पुलिस में शिकायत करने का सुझाव दिया और फिर खुद ही एक व्यक्ति से संपर्क कराया जो अपने आप को मुंबई पुलिस का अधिकारी बता रहा था। दूसरे व्यक्ति ने कहा कि उसे शिकायत दर्ज करने के लिए वीडियो काल पर आकर बयान देना होगा।
इसके बाद पीड़ित के साथ वीडियो काल पर बात हुई। खुद को सीबीआई का वरिष्ठ अधिकारी बता रहे दूसरे शातिर ने पीड़ित से कहा कि इस केस के अलावा उसकी आईडी के जरिए और भी गलत काम किए गए है। उसकी आईडी पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज है उसके खिलाफ वारंट तक जारी हो चुका है। उस व्यक्ति ने यह भी कहा कि पीड़ित कुछ दिन तक उसके अधिकारियों से वीडियो कॉल के जरिए सर्विलांस पर रहेंगे और इस दौरान अपने घर से बाहर नहीं निकलेंगे अन्यथा उसकी गिरफ्तारी हो सकती है।
हिदायत दी कि इस केस के बारे में किसी को न बताएं क्योंकि यह बहुत संगीन मामला है, जिसमें बैंक और सरकारी कर्मचारी भी लिप्त हैं। इसके बाद अगले दिन 22 जुलाई को पीड़ित के अकाउंट का ऑडिट करने के नाम पर उससे आरटीजीएस के जरिए 68 लाख रुपये ट्रांसफर करा लिए। 23 जुलाई को कोर्ट का एक फर्जी ऑर्डर दिखाकर उससे 13 लाख 50 हजार रुपये दूसरे बैंक खाते में ट्रांसफर करवा लिए। 24 जुलाई को भी वीडियो सर्विलांस पर रखते हुए पीड़ित से कोर्ट का फर्जी ऑर्डर दिखाकर 16 लाख 50 हजार रुपये ट्रांसफर करवा लिया। बाद में पीड़ित को ठगे जाने का पता चला। आईटी प्रोफेशनल की तहरीर पर साइबर थाने की पुलिस उसके सभी खातों को फ्रीज कर आरोपियों की तलाश कर रही है।
डिजिटल अरेस्ट की बड़ी घटनाएं
-23 अप्रैल को जार्जटाउन की काकोली दास गुप्ता से एक करोड़ 48 लाख 30 हजार रुपये ठगे
-03 जुलाई को म्योर रोड स्थित एक अपार्टमेंट में रहने वाली युवती से 3.57 लाख की ठगी हुई