Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़KDA 153 bids were made for a plot in Kanpur price reached beyond 1 crore know why

कानपुर में एक प्लॉट के लिए लगी 153 बोली, प्लॉट की कीमत पहुंची 1 करोड़ के पार, जानें क्यों

शताब्दी नगर में केडीए का एक प्लॉट एकाएक चर्चा में है। इसे पाने के लिए ऑनलाइन बोली रिकॉर्ड बना चुकी है। यह पहला अवसर है कि एक ही भूखंड के लिए 153 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर बोली लगाई हो।

Srishti Kunj संजय पाण्डेय, कानपुरFri, 9 Sep 2022 01:39 PM
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कानपुर। शताब्दी नगर में केडीए का एक प्लॉट एकाएक चर्चा में आ गया है। इसकी वजह है इसे पाने के लिए ऑनलाइन चलने वाली ऐसी बोली, जो रिकॉर्ड बना चुकी है। यह पहला अवसर है कि एक ही भूखंड के लिए 153 लोगों ने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराकर बोली लगाई हो। इस होड़ से प्लॉट की कीमत 1.14 करोड़ तक जा पहुंची है। बोली अभी भी जारी है।

केडीए ने विकसित योजनाओं में 1100 भूखंडों की लांचिंग 5 अगस्त को की थी। इसमें 371 भूखंडों का पंजीकरण लॉटरी के लिए होना था जबकि 730 भूखंडों की ऑनलाइन बोली लगाई जानी थी। इसी बोली वाले भूखंडों में से शताब्दी नगर सेक्टर 3 के पॉकेट वन का टाइप वन भूखंड 200 वर्ग मीटर का है। रजिस्ट्रेशन के लिए इसकी आरक्षित दर 33500 रुपये प्रति वर्ग मीटर निर्धारित की गई थी। यानी बेस प्राइज 67 लाख रुपये था। जब लोगों ने केडीए की वेबसाइट पर जाकर इस भूखंड की स्थिति देखी। 

बगल से गुजरने वाली चौड़ी रोड के साथ ही सामने की रोड और प्राइम लोकेशन के कारण धीरे-धीरे इसी प्लॉट के लिए ज्यादा लोगों ने रजिस्ट्रेशन कराना शुरू कर दिया। इस तरह बोली में भाग लेने वाले 153 तक पहुंच गए। होड़ ऐसी मची कि इसकी कीमत लोगों ने 57000 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक पहुंचा दी। यानी कीमत हो गई 1.14 करोड़ रुपये। खास बात यह है कि अभी भी इसकी बोली जारी है। दिन-रात चल रही है। अब 21 सितंबर की शाम 5 बजे तक चलेगी। यह देख केडीए के अफसर दंग रह गए हैं।

जवाहरपुरम में 17 प्लॉट के लिए पंजीकरण ही नहीं एक तरफ शताब्दी नगर में एक प्लॉट के लिए मारामारी मची है तो दूसरी ओर जवाहरपुरम के 17 प्लॉटों के लिए कोई पंजीकरण ही नहीं हुआ है। सेक्टर दो, तीन, चार और चौदह में अभी तक कोई बिडिंग ही नहीं आई है। ये भूखंड 300 वर्ग मीटर के हैं। खास बात यह है कि अगर लोगों ने इन भूखंडों की तरफ ध्यान दिया होता तो 200 वर्ग मीटर वाले भूखंड से कम कीमत में ही मिल गया होता क्योंकि प्रतिस्पर्द्धा का सामना कम करना पड़ता।

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