राष्ट्रपति के गांव में एक और ट्रेन का स्टॉपेज खत्म, ग्रामीणों ने उठाया यह कदम
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव परौंख के स्टेशन झींझक पर पिछले महीने से लगातार ट्रेनों के स्टॉपेज खत्म हो रहे हैं। 10 दिसंबर से नए शेड्यूल पर शुरू होने वाली 05484 – 05483 महानंदा...
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पैतृक गांव परौंख के स्टेशन झींझक पर पिछले महीने से लगातार ट्रेनों के स्टॉपेज खत्म हो रहे हैं। 10 दिसंबर से नए शेड्यूल पर शुरू होने वाली 05484 – 05483 महानंदा एक्सप्रेस का स्टॉपेज झींझक में रेलवे ने खत्म कर दिया है। इसके पहले तीन और ट्रेनों का ठहराव खत्म किया जा चुका है। यह अलग बात है कि स्थानीय लोगों के होहल्ला करने और राष्ट्रपति के पत्र के बाद रेलवे ने रीवा (02428) एक्सप्रेस का स्टॉपेज बहाल कर दिया है। एक और ट्रेन का स्टापेड खत्म होने के बाद ग्रामीणों ने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखने का फैसला किया है।
महानंदा एक्सप्रेस का स्टॉपेज झींझक स्टेशन से 10 दिसंबर से खत्म होने पर व्यापारी नेता श्याम मोहन दुबे ने राष्ट्रपति भवन को पत्र लिख नाराजगी जताई है। रेलवे पर आरोप है कि जान-बूझकर राष्ट्रपति के पैतृक गांव का ठहराव खत्म किया जा रहा है। जनहित में इसे बहाल करना होगा। इसमें तर्क दिया गया है कि झींझक कानपुर देहात की बड़ी गल्ला मंडी है। व्यापारियों का दिल्ली और अन्य शहरों से सीधा नाता है। इस वजह से स्टॉपेज बढ़ने चाहिए न कि कम होने चाहिए।
सीएसए प्रबंधन बोर्ड सदस्य और व्यापारी नेता श्याम मोहन दुबे ने डीआरएम को भेजे पत्र में कहा है कि देश के प्रथम नागरिक राष्ट्रपति की रेलवे बोर्ड उपेक्षा कर रहा है। इसकी वजह से ही उनके पैतृक गांव परौंख के स्टेशन झींझक में लगातार ट्रेनों का स्टॉपेज खत्म किया जा रहा है। श्याम मोहन दुबे राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के राज्यसभा सदस्य के दौरान उनके प्रतिनिधि भी रहे हैं।