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Kanpur: यहाँ होलिका के साथ पुतला नहीं, असली प्रह्लाद बैठे हैं, जानें मान्यता

होलिका के पुतले के साथ भक्त प्रहलाद के पुतले बहुत से देखे होंगे लेकिन यहां के होलिका के पुतले के साथ असली के भक्त प्रहलाद बैठाए गए हैं।

Pawan Kumar Sharma लाइव हिन्दुस्तान, कानपुरTue, 7 March 2023 09:35 PM
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खुशियों और उमंगों का त्योहार होली 8 मार्च को है। रंगों के इस पर्व से पहले 7 और 8 मार्च को होलिका दहन मनाई जा रही है। होलिका दहन हर साल फाल्गुन महीने के पूर्णिमा पर सूर्यास्त के बाद मनाया जाता है। इस दौरान जगह-जगह पर होलिका के पुतले जलाए जाते हैं। 

कानपुर में होली के त्योहार को लेकर अलग उत्साह रहता है। इस बार कानपुर के तपेश्वरी मंदिर में होलिका का पुतला आकर्षण का केंद्र बना है। इसे देखने दूर-दूर से लोग आ रहे हैं। होलिका के पुतले के साथ भक्त प्रहलाद के पुतले बहुत से देखे होंगे लेकिन यहां के होलिका के पुतले के साथ असली के भक्त प्रह्लाद बैठाए गए हैं। लंबे-ऊंचे होलिका के पुतले के गोद में एक छोटे से बच्चे को बैठाया गया है। 

होलिका दहन का शुभ मुहुर्त

हिंदू  पंचांग के मुताबिक हर साल फाल्गुन मास के पूर्णिमा को होलिका दहन किया जाता है। होलिक दहन का सुभ समय 7 मार्च को 6 बजकर 24 मिनट से रात के 8 बजकर 51 मिनट तक है। 

क्यों मनाया जाता है होलिका दहन

हिंदू पुराणों के अनुसार जब हिरण्यकश्यप ने देखा कि उसका बेटा प्रह्लाद उसकी पूजा छोड़कर भगवान विष्णु की पुजा कर रहा है तो वह क्रोधित हो गया और अपनी बहन होलिका को प्रह्लाद को गोद में लेकर अग्नि में बैठने का आदेश दिया। दरअसल होलिका को वरदान था कि उसे आग जला नहीं सकती। हालांकि आग लगने पर होलिका जल गई और प्रह्लाद बच गए। इसी घटना की स्मृति में होलिका दहन करने की परंपरा है।  

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