खुलासा! बच्चों को लगने वाली वैक्सीन के रखरखाव में बड़ी खामियां, कोल्ड चेन प्रबंधन फेल
कानपुर में नौनिहालों को लगने वाली वैक्सीन के रखरखाव में ढेरों खामियां उजागर हुई हैं। वैक्सीन का कोल्ड चेन प्रबंधन फेल है। जिम्मेदार हैंडलरों की क्षमता सवालों के घेरे में है। एक अध्ययन में पोल खुली।
कानपुर में नौनिहालों को लगने वाली वैक्सीन के रखरखाव में ढेरों खामियां उजागर हुई हैं। वैक्सीन का कोल्ड चेन प्रबंधन फेल है। जिम्मेदार हैंडलरों की क्षमता सवालों के घेरे में है। एक अध्ययन में कोल्ड चेन प्रबंधन की पोल खुल गई है। ऐेसे में वैक्सीन की गुणवत्ता पर भी संशय है। शहर में 20 कोल्ड चेन केंद्र और उनके हैंडलरों का ज्ञान भी सतही पाया गया है।
इसका खुलासा जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के अध्ययन में किया गया है। अध्ययन में वैक्सीन के बीस कोल्ड चेन केंद्रों और उनके हैंडलरों के ज्ञान, दृष्टिकोण और तरीके का आकलन किया गया। इसमें मल्टी स्टेजेज रैंडम सैम्पलिंग तकनीक का प्रयोग किया गया। डाटा एकत्र कर केंद्र सरकार की वैक्सीन प्रश्नावली को रखा गया।
अध्ययन में सामने आया कि 25 फीसदी हैंडलरों को कोल्ड चेन की बारीकियां पता नहीं हैं। 50 फीसदी हैंडलरों को इस संवेदनशील का केवल कामचलाऊ ज्ञान है। सिर्फ 25 फीसदी अपडेट रहे। और तो और अध्ययन में यह सामने आया कि 60 फीसदी केंद्रों में ही वैक्सीन तापमान का रिकॉर्ड नियमित मिला जबकि यह नियम देश में 70 तो यूपी में 76 फीसद फॉलो किया जा रहा है पर कानपुर के केंद्रों में इसका प्रयोग नहीं हो रहा है।
अध्ययन में यह भी सामने आया
- वैक्सीन की गुणवत्ता का शेक टेस्ट सिर्फ 20 फीसदी हैंडलरों को मालूम
- केंद्र के हैंडलरों से 22 सवाल किए गए, सिर्फ तीन के जवाब पूर्ण संतोषजनक मिले
- वैक्सीन की हीट और फ्रिजिंग संवेदनशीलता का ज्ञान 65 फीसदी में ही मिला
- वैक्सीन के रखरखाव में सही तापमान का ज्ञान 55 प्रतिशत में मिला
- वैक्सीन को आईएलएस यानी प्लस 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान में रखने का ज्ञान 30 फीसदी में ही मिला
ये आए सुझाव
- सभी कोल्ड चेन केंद्रों पर मॉनीटरिंग के साथ ट्रेनिंग जरूरी है
- वैक्सीन पर करोड़ों का निवेश होता है इसलिए ट्रेंड स्टाफ को ही लगाया जाना चाहिए
- शेक टेस्ट के साथ कंटीजेंसी प्लान लगातार चलना चाहिए।
जीएसवीएम की कम्युनिटी मेडिसिन प्रोफेसर, डॉ. सीमा निगम ने कहा कि अध्ययन के जरिए स्वास्थ्य विभाग को सुझाव भी दिए गए हैं, इनकी मॉनीटरिंग कर हर केंद्र में लागू किया जाए और लगातार रिफ्रेशर कोर्स की तरह प्रशिक्षण सत्र चलाए जाने चाहिए।