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आपके बच्चों की आंखों के दुश्मन बन रहे पेन-पेन्सिल, डॉक्टरों की इन बातों का रखें ख्याल

बच्चों की आंखों के लिए पेन, पेन्सिल और कैंची दुश्मन बन गए हैं। इन बच्चों की कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विशेषज्ञों को माइक्रोस्कोपिक सर्जरी करनी पड़ी। आपरेशन से आंखें बची है।

Srishti Kunj हिन्दुस्तान टीम, कानपुरFri, 16 Dec 2022 12:37 PM
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कानपुर में सात साल के रघु ने कैंची को लहराने की कोशिश की तो कैंची का नुकीला हिस्सा एक आंख के अंदर लग गया। उसके कार्निया के साथ रेटिना को भी डैमेज कर दिया। माता-पिता जब उसे मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग लाए तो आंख में दर्द के साथ पानी आने लगा, रोशनी में देखने में मुश्किल हो गई। डॉक्टरों ने कार्निया को टांके लगाकर बचा लिया लेकिन रेटिना के लिए उसे एम्स दिल्ली रेफर कर दिया।

पेन्सिल की छीनाझपटी में पेन्सिल की नोक शिवाय (4) की आंख में लग गई तो उसका कार्निया डैमेज हो गया। नोक की चोट से कार्निया का आधा हिस्सा खुल गया था। मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में डॉक्टरों को बच्चे का तत्काल आपरेशन करना पड़ा। 50 मिनट तक चले आपरेशन में डॉक्टरों को 10 नंबर सूचर से 9 टांके बच्चे के कार्निया में लगाने पड़े तब जाकर उसकी आंख में रक्तस्राव रुक सका।

घर में बच्चों के खेल-खेल में 4 साल के अनुज (5.3 ) की आंख में पेन की निब चुभ गई तो अनुज का कार्निया डैमेज हो गया। निब लगते ही बच्चे की आंख लाल हो गई। माता-पिता बच्चे की तकलीफ बढ़ी तो जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग पहुंचे। परीक्षण में कार्निया डैमेज पाया गया। उसी दिन नेत्र विशेषज्ञों ने आधे घंटे आपरेशन कर पांच टांके लगाकर कार्निया बचा लिया।

यह तीन केस बानगी भर हैं। बच्चों की आंखों के लिए पेन, पेन्सिल और कैंची दुश्मन बन गए हैं। इन बच्चों की कानपुर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के नेत्र विशेषज्ञों को माइक्रोस्कोपिक सर्जरी करनी पड़ी। आपरेशन में जरा सी देरी बच्चों की आंखों के लिए मुसीबत बन जाती है। माता-पिता समय से डॉक्टरों के पास ले आएं तो आंखों को बचाया जा सकता है। बच्चों की आंखों को चोटों से बचाने के लिए नेत्र विशेषज्ञों को बहुत महीन धागे से टांके लगाने पड़ते हैं और यह इतना मुश्किल है कि जरा सा हाथ हिला तो आंख पर बन आती है।

नेत्र विभाग जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज प्रोफेसर डॉ.शालिनी मोहन का कहना है कि दस दिनों में आए तीन बच्चों की सर्जरी कर डैमेज कार्निया को बचाया गया है। एक बच्चे को एम्स रेफर किया गया है क्योंकि उसका रेटिना भी डैमेज रहा। हर माह इस तरह के केस आ रहे हैं। ऐसे में अब माता-पिता और परिवारीजनों को सतर्क होना होगा।

डॉक्टरों की इन बातों का रखें ख्याल
- बच्चों को पेन, पेन्सिल और कैंची से खेलने न दें
- बच्चों को जब भी दें तो नोक अपनी ओर करके दें, बच्चे की तरफ नहीं
- स्कूली बैग में पेन्सिल की नोक मोटी कर दें
- ऐसी चोटों में आंखों में पानी आता है, कम दिखने लगता है, लाली आने लगती है
- चोट लगे तो जरा सी भी देरी न करें, तत्काल नेत्र विशेषज्ञ के पास ले जाएं

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