संगमनगरी पहुंचे कांची कामकोटि पीठाधीश्वर, कहा- सनातन धर्म के लिए उपयोग करें मंदिरों का चढ़ावा
प्रयागराज में कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने कहा कि मंदिरों के चढ़ावे का उपयोग सनातन धर्म के उन्नयन में हो। अशोक सिंहल की पुण्यतिथि पर स्मृति व्याख्यान आयोजन में शामिल हुए।
श्री कांची कामकोटि पीठाधीश्वर शंकराचार्य शंकर विजयेंद्र सरस्वती ने कहा है कि देशभर के मंदिरों में श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए जाने वाले चढ़ावे का उपयोग केवल सनातन धर्म, सभ्यता, संस्कृति, वेद, पुराण, उपनिषद इत्यादि के प्रचार-प्रसार और उन्नयन के लिए होना चाहिए। अशोक सिंहल की पुण्यतिथि पर अरुंधति वशिष्ठ अनुसंधान पीठ की ओर से शुक्रवार को महावीर भवन में 'भारतीय अस्मिता की अनुभूति हिंदुत्व' विषय पर आयोजित स्मृति व्याख्यान में शंकराचार्य ने कहा कि धर्मनिरपेक्ष व्यक्ति की कल्पना नहीं की जा सकती है।
हिंदुत्व सनातन वैदिक धर्म का नया नाम और रूप है। सृष्टि के प्रारंभ से सनातन धर्म विद्यमान है। सनातन धर्म की सृष्टि ईश्वर ने लोक के योगक्षेम अर्थात कल्याण के लिए की है। इहलोक और परलोक में समन्वय स्थापित करने वाला एकमात्र धर्म सनातन धर्म है। सनातन धर्म में पेड़, पौधे, मिट्टी, कंकड़, पत्थर, नदियां, जड़ या चेतन किसी का भी तिरस्कार नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू होना चाहिए। सरकार को भी सनातन धर्म के प्रति वैसे ही आस्था रखनी चाहिए जैसे पहले के राजा करते थे।
अशोक सिंहल के लिए कहा कि संपन्न और समृद्ध परिवार से होने के बाद भी अपना पूरा जीवन त्याग, तपस्या और राम जन्मभूमि आंदोलन को समर्पित कर दिया। भगवान राम के लिए उन्होंने जो कार्य शुरू किया वह अब राम मंदिर के रूप में साकार हो रहा है। अयोध्या के निर्माणाधीन रामलला के मंदिर में ट्रस्ट को अशोक सिंहल की प्रतिमा स्थापित करनी चाहिए जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बनेगी। पूर्व राज्यसभा सांसद डॉ. महेश चंद्र शर्मा ने कहा हिंदू धर्म सदैव से ही सम्पूर्ण मानव जाति को दिशा दे रहा है।
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अध्यक्षता करते हुए हाईकोर्ट की सेवानिवृत्त न्यायाधीश न्यायमूर्ति विजयलक्ष्मी ने कहा कि हिंदुत्व धर्म नहीं बल्कि जीवन जीने की पद्धति है। भारतीयता और हिंदुत्व एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। वसुधैव कुटुंबकम की भावना हिंदुत्व के साथ-साथ हमारे संविधान का भी आधार है। इस अवसर पर डॉ. चंद्र प्रकाश की पुस्तक 'हिंदू दृष्टा अशोक सिंहल' का विमोचन हुआ। कार्यक्रम में हाईकोर्ट में अपर महाधिवक्ता अशोक मेहता एवं मनीष गोयल, चिंतामणि, प्रो. सुशील कुमार शर्मा, डॉ. विवेक निगम, अजय गुप्ता, सुनील सिंह, रविन्द्र मोहन गोयल, देवेश द्विवेदी, आनंद सागर, पवन शुक्ला आदि उपस्थित रहे।
'संन्यासी और योद्धा थे अशोक सिंहल'
अशोक सिंहल की पुण्यतिथि पर विश्व हिंदू परिषद के प्रांत कार्यालय केसर भवन में शुक्रवार को सुंदरकांड का पाठ और हवन हुआ। प्रांत संगठन मंत्री नितिन ने कहा कि वह संन्यासी और योद्धा थे। संतों को संगठित करने और हिंदू समाज के जागरण का श्रेय उनको जाता है। श्री राम जन्मभूमि आंदोलन, परावर्तन, गाय, गंगा निर्मलीकरण, संस्कृत की रक्षा, वेद विद्यालय आदि के लिए उनके प्रयास कभी भुलाए नहीं जा सकते। कार्यक्रम में प्रांत अध्यक्ष कविंद्र प्रताप सिंह, प्रांत उपाध्यक्ष सुरेश अग्रवाल, प्रांत कोषाध्यक्ष रविंद्र मोहन गोयल, प्रांत कार्यालय प्रमुख सुनील, प्रांत सह मंत्री अनिल पांडेय, प्रांत गोरक्षा प्रमुख लालमणि तिवारी, अंशुमान, विमल प्रकाश, विनोद अग्रवाल, महानगर अध्यक्ष संजय गुप्ता, महानगर मंत्री सत्य प्रकाश मिश्रा बबलू, अनिल सिंह, शुभम कुशवाहा, देवांशु, शिवम द्विवेदी, विजय पांडे, दिवाकर नाथ त्रिपाठी, कमला मिश्रा आदि उपस्थित रहीं।
कलयुग के हनुमान थे अशोक सिंहल
भाजपा मुट्ठीगंज कार्यालय में अशोक सिंहल को श्रद्धांजलि दी गई। महापौर गणेश केसरवानी ने कहा कि अशोक सिंहल के नेतृत्व में राम जन्मभूमि की लड़ाई सफल हुई और भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है। वास्तव में वह कलियुग के हनुमान थे। श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में राजेश केसरवानी, विवेक अग्रवाल, अजय अग्रहरि, शत्रुघ्न जायसवाल, हरीश मिश्रा, नीरज केसरवानी, लाल बाबू श्रीवास्तव आदि शामिल रहे। रॉयल होटल सिविल लाइंस में भी अशोक सिंहल को श्रद्धांजलि दी गई। भाजपा नेता पवन श्रीवास्तव ने कहा कि अशोक सिंघल के नेतृत्व में हिंदू जन जागरण एवं मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए अध्यात्मिक आंदोलन जैसा कोई आंदोलन न हुआ था और न भविष्य में होगा। पार्षद नीरज गुप्ता, गौरीश आहूजा, अनुराग संत, राजीव टंडन, आलोक श्रीवास्तव, शैलेंद्र श्रीवास्तव, शुभेंद्र श्रीवास्तव आदि ने श्रद्धांजलि दी।